Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 27/ मन्त्र 41
    ऋषिः - वामदेव ऋषिः देवता - इन्द्रो देवता छन्दः - पादनिचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः
    5

    अ॒भी षु णः॒ सखी॑नामवि॒ता ज॑रितॄ॒णाम्।श॒तं भ॑वास्यू॒तये॑॥४१॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ॒भि। सु। नः॒। सखी॑नाम्। अ॒वि॒ता। ज॒रि॒तॄणाम्। श॒तम्। भ॒वा॒सि॒। ऊ॒तये॑ ॥४१ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अभी षु णः सखीनामविता जरितऋृणाम् । शतम्भवास्यूतये ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    अभि। सु। नः। सखीनाम्। अविता। जरितॄणाम्। शतम्। भवासि। ऊतये॥४१॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 27; मन्त्र » 41
    Acknowledgment

    Meaning -
    Indra, lord of power and knowledge, you are the over-all saviour and protector of our friends and admirers. Be gracious to us in a hundred ways for our protection and well-being.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top