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अथर्ववेद > काण्ड 20 > सूक्त 12

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  • अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 12/ मन्त्र 4
    सूक्त - वसिष्ठः देवता - इन्द्रः छन्दः - त्रिष्टुप् सूक्तम् - सूक्त-१२

    आप॑श्चित्पिप्यु स्त॒र्यो॒ न गावो॒ नक्ष॑न्नृ॒तं ज॑रि॒तार॑स्त इन्द्र। या॒हि वा॒युर्न नि॒युतो॑ नो॒ अच्छा॒ त्वं हि धी॒भिर्दय॑से॒ वि वाजा॑न् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आप॑: । चि॒त् । पि॒प्यु॒: । स्त॒र्य॑: । न । गाव॑: । नक्ष॑न् । ऋ॒तम् । ज॒रि॒तार॑: । ते॒ । इ॒न्द्र॒ ॥ या॒ह‍ि । वा॒यु: । न । नि॒ऽयुत॑: । न॒: । अच्छ॑ । त्वम् । हि । धी॒भि: । दय॑से । वि । वाजा॑न् ॥१२.४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    आपश्चित्पिप्यु स्तर्यो न गावो नक्षन्नृतं जरितारस्त इन्द्र। याहि वायुर्न नियुतो नो अच्छा त्वं हि धीभिर्दयसे वि वाजान् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    आप: । चित् । पिप्यु: । स्तर्य: । न । गाव: । नक्षन् । ऋतम् । जरितार: । ते । इन्द्र ॥ याह‍ि । वायु: । न । निऽयुत: । न: । अच्छ । त्वम् । हि । धीभि: । दयसे । वि । वाजान् ॥१२.४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 12; मन्त्र » 4

    पदार्थ -
    १. (आप:) = रेत:कण [आप: रेतो भूत्वा०] (चित्) = निश्चय से (पिप्यु:) = हमारे शरीरों में अभिवृद्ध होते हैं, परिणामत: (गाव:) = इन्द्रियों (स्तर्य: न) = अब बन्ध्या [Sterile] नहीं हैं। इन रेत:कणों के रक्षण से वे अपना-अपना कार्य करने में समर्थ हुई हैं। हे (इन्द्र) = परमैश्वर्यशालिन् प्रभो! (ते जरितार:) = आपके स्तोता (ऋतं नक्षन्) = ऋत को-सत्यफलवाले यज्ञ को व सत्य वेदज्ञान को प्राप्त होते हैं। प्रभु का स्तोता यज्ञादि उत्तम कर्मों में प्रवृत्त होता है तथा अपने ज्ञान को बढ़ानेवाला होता है। २. जिस प्रकार (वायुः) = गतिशील जीव नियुत: अपने इन्द्रियाश्वों को प्राप्त करता है, उसी प्रकार आप (नः अच्छा याहि) = हमें आभिमुख्येन प्राप्त होइए। (जितना)-जितना जीव इन्द्रियाश्वों को अपने समीप करता है, अर्थात् जितना-जितना उन्हें वश में करता है, उतना-उतना प्रभु के समीप हो पाता है। हे प्रभो! (त्वं हि) = आप ही (धीभि:) = बुद्धियों के साथ (वाजान्) = शक्तियों को (विदयसे) = देते है [प्रयच्छसि सा०]।

    भावार्थ - सोम-रक्षण से इन्द्रियों सशक्त बनती हैं। प्रभु के स्तोता ऋत को प्राप्त करते हैं यज्ञों को ब वेदज्ञान को प्राप्त करते हैं। जितना-जितना हम इन्द्रियों को वश में करते हैं, उतना उतना ही प्रभु को प्राप्त करते हैं। प्रभु हमें बुद्धि के साथ शक्तियों देते हैं।

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