अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 132/ मन्त्र 11
दे॒वी ह॑न॒त्कुह॑नत् ॥
स्वर सहित पद पाठदे॒वी । ह॑न॒त् । कुह॑नत् ॥१३२.११॥
स्वर रहित मन्त्र
देवी हनत्कुहनत् ॥
स्वर रहित पद पाठदेवी । हनत् । कुहनत् ॥१३२.११॥
अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 132; मन्त्र » 11
विषय - missing
भावार्थ -
(यदि) देवी, विजयशालिनी सेना उसको मारती है तो (कुह हनत्) वह कहां मारती है ?
टिप्पणी -
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - missing
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