ऋग्वेद - मण्डल 10/ सूक्त 126/ मन्त्र 6
ऋषिः - कुल्मलबर्हिषः शैलूषिः, अंहोभुग्वा वामदेव्यः
देवता - विश्वेदेवा:
छन्दः - निचृद्बृहती
स्वरः - मध्यमः
नेता॑र ऊ॒ षु ण॑स्ति॒रो वरु॑णो मि॒त्रो अ॑र्य॒मा । अति॒ विश्वा॑नि दुरि॒ता राजा॑नश्चर्षणी॒नामति॒ द्विष॑: ॥
स्वर सहित पद पाठनेता॑रः । ऊँ॒ इति॑ । सु । नः॒ । ति॒रः । वरु॑णः । मि॒त्रः । अ॒र्य॒मा । अति॑ । विश्वा॑नि । दुः॒ऽइ॒ता । राजा॑नः । च॒र्ष॒णी॒नाम् । अति॑ । द्विषः॑ ॥
स्वर रहित मन्त्र
नेतार ऊ षु णस्तिरो वरुणो मित्रो अर्यमा । अति विश्वानि दुरिता राजानश्चर्षणीनामति द्विष: ॥
स्वर रहित पद पाठनेतारः । ऊँ इति । सु । नः । तिरः । वरुणः । मित्रः । अर्यमा । अति । विश्वानि । दुःऽइता । राजानः । चर्षणीनाम् । अति । द्विषः ॥ १०.१२६.६
ऋग्वेद - मण्डल » 10; सूक्त » 126; मन्त्र » 6
अष्टक » 8; अध्याय » 7; वर्ग » 13; मन्त्र » 6
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अष्टक » 8; अध्याय » 7; वर्ग » 13; मन्त्र » 6
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भाष्य भाग
हिन्दी (3)
पदार्थ
(वरुणः-मित्रः-अर्यमा) वरुण मित्र, अर्यमा (नः-चर्षणीनां राजानः-नेतारः) हम मनुष्यों के राजा के समान रक्षक नेता हैं (विश्वानि दुरितानि) सब दुःखों को (उ सु-अति तिरः) भलीभाँति तिरस्कृत करते हैं, (द्विषः-अति) द्वेष करनेवालों का अतिक्रमण करके हम-स्थित होवें ॥६॥
भावार्थ
वरुण, मित्र, अर्यमा, मनुष्यों के राजमान रक्षक हैं, सारे दुःखों को तिरस्कृत करते हैं, हम द्वेष करनेवालों का अतिक्रमण करके स्थित होवें ॥६॥
विषय
अति विश्वानि दुरिता
पदार्थ
[१] (वरुणः) = द्वेष निवारण की देवता, (मित्रः) = स्नेह की देवता तथा (अर्यमा) = [अदीन् यच्छति] काम-क्रोध आदि को पराजित करने की देवता, ये सब (उ) = निश्चय से (सु) = अच्छी प्रकार (नः) = हमें (तिरः नेतारः) = [तिर : aeross, beyond, oner] पार ले जानेवाले हैं । [२] ये (विश्वानि दुरिता) = सब दुरितों से अति अतिक्रान्त करके हमें सुवितों में प्राप्त करानेवाले हैं। (चर्षणीनां राजान:) = श्रमशील व्यक्तियों के जीवनों को व्यवस्थित करनेवाले ये 'वरुण-मित्र अर्यमा' (द्विषः अति) = हमें शत्रुओं से पार ले जानेवाले हैं।
भावार्थ
भावार्थ-वरुण-मित्र - अर्यमा हमें दुरितों से दूर करके सुन्दर जीवनवाला बनाएँ ।
विषय
विश्वेदेव। पाप से रक्षा। सत्संग द्वारा सज्जनों की कृपा से पाप से पार होना, सब बुराइयों से छूटना।
भावार्थ
(चर्षणीनां राजानः) मनुष्यों के बीच राजाओं के तुल्य तेजस्वी, (वरुणः मित्रः अर्यमा) वरण करने योग्य, सर्वस्नेहवान्, न्यायकारी जन, (नः) हमारी (विश्वानि दुरिता) समस्त बुराइयों को (तिरः नेतारः) दूर करने वाले और हमें (द्विषः अति नेतारः) शत्रुओं, और द्वेष करने वाले अप्रिय जनों से पार पहुंचाने वाले, हमें उनसे अधिक शक्तिशाली बनाने वाले हैं।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
ऋषिः कुल्मलबर्हिषः शैलुषिरंहोमुग्वा वामदेव्यः॥ विश्वेदेवा देवताः॥ छन्दः—१, ५, ६ निचृद् बृहती। २–४ विराड् वृहती। ७ बृहती। ८ आर्चीस्वराट् त्रिष्टुप्। अष्टर्चं सूक्तम्॥
संस्कृत (1)
पदार्थः
(वरुणः-मित्रः-अर्यमा नः-चर्षणीनां राजानः-नेतारः) वरुणः, मित्रः, अर्यमाऽस्माकं मनुष्याणां राजमानाः-नेतारः (विश्वानि दुरितानि-उ सु-अति तिरः) सर्वाणि-दुःखानि खलु सम्यगत्यन्तं तिरस्कुर्वन्ति (द्विषः-अति) द्वेष्टॄन् विरोधिनश्चातिक्रम्य स्थिता भवेम ॥६॥
इंग्लिश (1)
Meaning
May Varuna, Mitra and Aryama, leaders and brilliant rulers of the people, judicious, loving and nobly motivated, safely pilot us across all sin and evil of the world and all forces of hate, jealousy and enmity of society.
मराठी (1)
भावार्थ
वरुण, मित्र, अर्यमा, माणसांचे राजाप्रमाणे रक्षक आहेत. संपूर्ण दु:खांना तिरस्कृत करतात. आम्ही द्वेष करणाऱ्यांवर अतिक्रमण करून स्थित व्हावे. ॥६॥
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