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ऋग्वेद मण्डल - 10 के सूक्त 137 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 10/ सूक्त 137/ मन्त्र 2
    ऋषिः - सप्त ऋषय एकर्चाः देवता - विश्वेदेवा: छन्दः - निचृदनुष्टुप् स्वरः - गान्धारः

    द्वावि॒मौ वातौ॑ वात॒ आ सिन्धो॒रा प॑रा॒वत॑: । दक्षं॑ ते अ॒न्य आ वा॑तु॒ परा॒न्यो वा॑तु॒ यद्रप॑: ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    द्वौ । इ॒मौ । वातौ॑ । वा॒तः॒ । आ । सिन्धोः॑ । आ । प॒रा॒ऽवतः॑ । दक्ष॑म् । ते॒ । अ॒न्यः । आ । वा॒तु॒ । परा॑ । अ॒न्यः । वा॒तु॒ । यत् । रपः॑ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    द्वाविमौ वातौ वात आ सिन्धोरा परावत: । दक्षं ते अन्य आ वातु परान्यो वातु यद्रप: ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    द्वौ । इमौ । वातौ । वातः । आ । सिन्धोः । आ । पराऽवतः । दक्षम् । ते । अन्यः । आ । वातु । परा । अन्यः । वातु । यत् । रपः ॥ १०.१३७.२

    ऋग्वेद - मण्डल » 10; सूक्त » 137; मन्त्र » 2
    अष्टक » 8; अध्याय » 7; वर्ग » 25; मन्त्र » 2
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    हिन्दी (1)

    पदार्थ

    (इमौ द्वौ वातौ वातः) ये दोनों वायु श्वास प्रश्वास बहते हैं-चलते हैं (आसिन्धोः-आ परावतः) उनमें से एक श्वास स्यन्दमान प्राणाशय हृदयपर्यन्त तक जाता है और दूसरा प्रश्वास बाहिर दूर तक जाता है (ते दक्षम्-अन्यः-आ वातु) हे रोगी तेरे लिए अन्य प्रश्वासरूप वायु बल को लाता है (अन्यः-यत्-रपः-परा वातु) अन्य प्रश्वासरूप पाप रोग दुःख को परे ले जाता है-दूर ले जाता है-दूर करता है ॥२॥

    भावार्थ

    मनुष्य के अन्दर दो वायु काम करती हैं, उनमें से श्वासरूप वायु प्राणाशय हृदय में आती है और जीवनबल को लाती है, दूसरी प्रश्वासरूप वायु बाहर जाती है और रोग को बाहर निकालती है, इसलिए श्वास को धीरे-धीरे लेना चाहिए और प्रश्वास को शीघ्र निकाल देना चाहिए ॥२॥

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    संस्कृत (1)

    पदार्थः

    (इमौ द्वौ वातौ वातः) एतौ द्वौ वायू श्वासप्रश्वासौ वहतः (आसिन्धोः-आपरावतः) तत्रैकः स्यन्दमानः प्राणाशयं हृदयपर्यन्तं श्वासरूपो वायुः “प्राणो वै सिन्धुः” [श० ८।५।२।४] द्वितीयो वायुः प्रश्वासो दूरस्थानपर्यन्तं शरीराद्बहिः (ते दक्षम्-अन्यः-आ वातु) तुभ्यं हे रोगिन् ! अन्यः श्वासो बलमानयतु (अन्यः-यत्-रपः-परा वातु) प्रश्वासो यद्रपः पापं रोगदुःखम् “रपः पापफलमिव रोगाख्यं दुःखम्” [यजु० १२।८४ दयानन्दः] “रपो रिप्रमिति पापनाम्नी भवतः” [निरु० ४।२१] परानयतु दूरं करोतु ॥२॥

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    इंग्लिश (1)

    Meaning

    Here are two winds of life that blow: one from and upto the sea, the other beyond. May the one bring you strength and vigour of freshness, let the other blow out sin, evil and pollution far away.

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    मराठी (1)

    भावार्थ

    माणसामध्ये दोन वायू काम करतात. त्यापैकी श्वासरूपी वायू प्राणाशय हृदयात येतो व जीवनबल देतो. दुसरा प्रश्वासरूपी वायू बाहेर जातो व रोग बाहेर काढतो. त्यासाठी श्वास हळूहळू घ्यावा व प्रश्वास ताबडतोब काढून टाकावा. ॥२॥

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