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ऋग्वेद मण्डल - 7 के सूक्त 55 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 7/ सूक्त 55/ मन्त्र 8
    ऋषिः - वसिष्ठः देवता - इन्द्र: छन्दः - निचृदनुष्टुप् स्वरः - गान्धारः

    प्रो॒ष्ठे॒श॒या व॑ह्येश॒या नारी॒र्यास्त॑ल्प॒शीव॑रीः। स्त्रियो॒ याः पुण्य॑गन्धा॒स्ताः सर्वाः॑ स्वापयामसि ॥८॥

    स्वर सहित पद पाठ

    प्रो॒ष्ठे॒ऽश॒याः । व॒ह्ये॒ऽश॒याः । नारीः॑ । याः । त॒ल्प॒ऽशीव॑रीः । स्रियः॑ । याः । पुण्य॑ऽगन्धाः । ताः । सर्वाः॑ । स्वा॒प॒या॒म॒सि॒ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    प्रोष्ठेशया वह्येशया नारीर्यास्तल्पशीवरीः। स्त्रियो याः पुण्यगन्धास्ताः सर्वाः स्वापयामसि ॥८॥

    स्वर रहित पद पाठ

    प्रोष्ठेऽशयाः। वह्येऽशयाः। नारीः। याः। तल्पऽशीवरीः। स्त्रियः। याः। पुण्यऽगन्धाः। ताः। सर्वाः। स्वापयामसि ॥८॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 7; सूक्त » 55; मन्त्र » 8
    अष्टक » 5; अध्याय » 4; वर्ग » 22; मन्त्र » 8
    Acknowledgment

    संस्कृत (1)

    विषयः

    पुनः स्त्रीणां गृहाणि उत्तमानि कार्याणीत्याह ॥

    अन्वयः

    हे गृहस्था ! यथा वयं याः प्रोष्ठेशया वह्येशया तल्पशीवरीर्नारीः स्त्रियः याः पुण्यगन्धाः स्युस्ताः सर्वा वयं उत्तमे गृहे स्वापयामसि यूयमप्येता उत्तमे गृहे स्वापयत ॥८॥

    पदार्थः

    (प्रोष्ठेशयाः) या प्रोष्ठे अतिशयेन प्रौढे गृहे शेरते ताः (वह्येशयाः) या वह्ये प्रापणीये शेरते ताः (नारीः) नरस्य स्त्रियः (याः) (तल्पशीवरीः) यास्तल्पेषु शेरते ताः (स्त्रियः) (याः) (पुण्यगन्धाः) पुण्यः शुद्धो गन्धो यासां ताः (ताः) (सर्वाः) (स्वापयामसि) ॥८॥

    भावार्थः

    हे गृहस्था ! यत्र गृहे स्त्रियो वसेयुस्तद्गृहमतीवोत्तमं रक्षणीयं यतः स्वसन्ताना उत्तमा भवेयुः ॥८॥ अत्र गृहस्थकृत्यगुणवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिर्वेद्या ॥ इति ऋग्वेदे सप्तमे मण्डले तृतीयोऽनुवाकः पञ्चपञ्चाशत्तमं सूक्तं पञ्चमेऽष्टके चतुर्थेऽध्याये द्वाविंशो वर्गश्च समाप्तः ॥

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    हिन्दी (3)

    विषय

    फिर स्त्री जनों के घर उत्तम बनावें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

    पदार्थ

    हे मनुष्यो ! जैसे हम लोग (याः) जो (प्रोष्ठेशयाः) अतीव सब प्रकार उत्तम सुखों की प्राप्ति करानेवाले घर में सोती हैं (वह्येशयाः) वा जो प्राप्ति करानेवाले घर में सोतीं वा जो (तल्पशीवरीः) पलंग पर सोनेवाली उत्तम (नारीः) स्त्री (स्त्रियः) विवाहित तथा (पुण्यगन्धाः) जिन का शुद्धगन्ध हो (ताः) उन (सर्वाः) सभों को हम लोग उत्तम घर में (स्वापयामसि) सुलावें, वैसे तुम भी उत्तम घर में सुलाओ ॥८॥

    भावार्थ

    हे गृहस्थो ! जिस घर में स्त्री बसें वह घर अतीव उत्तम रखना चाहिये, जिससे निज सन्तान उत्तम हों ॥८॥ इस सूक्त में गृहस्थों के काम का और गुणों का वर्णन होने से इस सूक्त के अर्थ की इससे पूर्व सूक्त के अर्थ के साथ सङ्गति जाननी चाहिये ॥ यह ऋग्वेद के सातवें मण्डल में तीसरा अनुवाक, पचपनवाँ सूक्त और पञ्चम अष्टक के चौथे अध्याय में बाईसवाँ वर्ग पूरा हुआ ॥

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    विषय

    सबके सुख पूर्वक रहने सोने का प्रबन्ध

    भावार्थ

    ( याः नारीः ) जो स्त्रियां ( प्रोष्ठे-शयाः ) आंगन या उत्तम भवन पर सोती हैं (या वह्ये-शयाः ) रथ आदि में सोती हैं ( याः तल्पशीवरी: ) जो उत्तम सेजों में सोती हैं और ( याः पुण्यगन्धाः स्त्रियः ) जो पुण्य, उत्तम गन्ध वाली, शुभ-लक्षणा स्त्रियां हैं (ताः सर्वाः ) उन सबको ( स्वापयामसि ) सुख की नींद सोने दें । ऐसा उत्तम राज्य और गृह का प्रबन्ध करें ।

    टिप्पणी

    अनुक्रमणिका में इस सूक्त को 'उपनिषत्' लिखा है । अतः अध्यात्म योजना देखो अथर्ववेद आलोकभाष्य कां० ४ सू०५॥ मं० १, ३, ६॥ इति द्वाविंशो वर्गः ॥ इति तृतीयोऽनुवाकः ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    वसिष्ठ ऋषिः ॥ १ वास्तोष्पतिः । २—८ इन्द्रो देवता॥ छन्दः —१ निचृद्गायत्री। २,३,४ बृहती। ५, ७ अनुष्टुप्। ६, ८ निचृदनुष्टुप् । अष्टर्चं सूक्तम् ॥

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    विषय

    राज्य व्यवस्था

    पदार्थ

    पदार्थ - (याः नारी:) = जो स्त्रियाँ (प्रोष्ठे-शया:) = आंगन में सोती हैं, या (वह्ये-शयाः) = जो रथ आदि में सोती हैं, (याः तल्पशीवरी:) = जो उत्तम सेजों में सोती हैं और (याः पुण्यगन्धाः स्त्रियः) = जो उत्तम गन्धवाली, शुभ-लक्षणा स्त्रियाँ हैं (ताः सर्वाः) = उन सबको (स्वापयामसि) = सुख की नींद सोने दें। ऐसा उत्तम राज्य और गृह का प्रबन्ध करें।

    भावार्थ

    भावार्थ- राजा ऐसा उत्तम राज्य प्रबन्ध करे कि उसके राज्य में स्त्रियाँ भी निर्भय विचरण कर सके। चाहे वे आंगन में सोवें या भवन में, रथ में सोवें या उत्तम सेजों पर। चाहे आभूषणों से सजी हों वे सब निर्भयता के साथ सुख की नींद सोवें। अगले सूक्त का ऋषि वसिष्ठ और मरुत् देवता है।

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    मराठी (1)

    भावार्थ

    हे गृहस्थांनो ! ज्या घरात स्त्रीचा निवास असतो ते घर अति उत्तम ठेवले पाहिजे. ज्यामुळे आपले संतान उत्तम निर्माण होईल. ॥ ८ ॥

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    इंग्लिश (1)

    Meaning

    The women who sleep in large homes and open court yards, who sleep while on the move in travel, who sleep in comfortable beds and those who are fragrantly dressed with perfumes, for all these we provide for peace and safety to sleep in security.

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