ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 40/ मन्त्र 4
विश्वा॑ सोम पवमान द्यु॒म्नानी॑न्द॒वा भ॑र । वि॒दाः स॑ह॒स्रिणी॒रिष॑: ॥
स्वर सहित पद पाठविश्वा॑ । सो॒म॒ । प॒व॒मा॒न॒ । द्यु॒म्नानि॑ । इ॒न्दो॒ इति॑ । आ । भ॒र॒ । वि॒दाः । स॒ह॒स्रिणीः॑ । इषः॑ ॥
स्वर रहित मन्त्र
विश्वा सोम पवमान द्युम्नानीन्दवा भर । विदाः सहस्रिणीरिष: ॥
स्वर रहित पद पाठविश्वा । सोम । पवमान । द्युम्नानि । इन्दो इति । आ । भर । विदाः । सहस्रिणीः । इषः ॥ ९.४०.४
ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 40; मन्त्र » 4
अष्टक » 6; अध्याय » 8; वर्ग » 30; मन्त्र » 4
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अष्टक » 6; अध्याय » 8; वर्ग » 30; मन्त्र » 4
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भाष्य भाग
संस्कृत (1)
पदार्थः
(सोम पवमान) हे जगतां पवित्रयितः परमात्मन् ! (इन्दो) हे परमैश्वर्यसम्पन्न ! त्वं (विश्वा द्युम्नानि आभर) निखिलदिव्यरत्नं मह्यं देहि किञ्च (सहस्रिणीः इषः विदाः) अनेकधा अन्नाद्यैश्वर्यान् देहि ॥४॥
हिन्दी (3)
पदार्थ
(सोम पवमान) हे जगत् को पवित्र करनेवाले परमात्मन् ! (इन्दो) हे परमैश्वर्यसम्पन्न ! (विश्वा द्युम्नानि आभर) आप मेरे लिये सम्पूर्ण दिव्य रत्नों को दीजिये तथा (सहस्रिणीः इषः विदाः) और अनेक प्रकार के अन्नादि ऐश्वर्यों को दीजिये ॥४॥
भावार्थ
सब प्रकार के ऐश्वर्यों का दाता एकमात्र परमात्मा ही है, इसलिये उससे ऐश्वर्यों की प्रार्थना करनी चाहिये ॥४॥
विषय
घुम्नानि-इषः
पदार्थ
[१] हे (पवमान) = हमारे जीवनों को पवित्र करनेवाले, (इन्दो) = हमें शक्तिशाली बनानेवाले (सोम) = वीर्यशक्ते ! (विश्वा) = सब (द्युम्नानि) = ज्योतियों को (आभर) = हमारे में भर दे । सोम ही ज्ञानाग्नि का ईंधन बनता है। यही हृदय को पवित्र करता है तथा शरीर में सम्पूर्ण शक्ति का संचार करनेवाला यही है । [२] हे सोम ! तू (सहस्रिणीः इषः) = [स+हस्] आनन्द की कारणभूत प्रेरणाओं को (विदाः) = प्राप्त करा । इस सोम के रक्षण से हृदय पवित्र होता है, सोम पवमान' है। पवित्र हृदय में प्रभु की प्रेरणायें सुन पड़ती हैं। इन प्रेरणाओं में ही जीवन का उल्लास है ।
भावार्थ
भावार्थ - सुरक्षित सोम सब ज्योतियों व प्रेरणाओं को प्राप्त कराता है।
विषय
परमेश्वर से बलों की और ऐश्वयों की प्रार्थना, याचनादि।
भावार्थ
हे (पवमान सोम) व्यापक सर्वशक्तिमन् ! तू (विश्वा द्युम्नानि) समस्त ऐश्वर्य, बल (नः आ भर) हमें प्राप्त करा और (सहस्त्रिणीः इषः विदाः) सहस्रों संख्या से युक्त इच्छाओं को वा अन्नों को प्राप्त करा।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
बृहन्मतिर्ऋषिः। पवमानः सोमो देवता॥ छन्दः- १, २ गायत्री। ३-६ निचृद् गायत्री॥ षडृचं सूक्तम्॥
इंग्लिश (1)
Meaning
O Soma, spirit of universal bliss and beauty, bring us the light, lustre and glory of all the world. Bless us with a thousandfold food, energy and advancement in knowledge, culture and values of Dharma.
मराठी (1)
भावार्थ
सर्व प्रकारच्या ऐश्वर्याचा दाता एकमेव परमात्माच आहे. त्यामुळे त्याची ऐश्वर्यासाठी प्रार्थना केली पाहिजे. ॥४॥
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