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ऋग्वेद मण्डल - 9 के सूक्त 40 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 40/ मन्त्र 5
    ऋषिः - बृहन्मतिः देवता - पवमानः सोमः छन्दः - निचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः

    स न॑: पुना॒न आ भ॑र र॒यिं स्तो॒त्रे सु॒वीर्य॑म् । ज॒रि॒तुर्व॑र्धया॒ गिर॑: ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    सः । नः॒ । पु॒ना॒नः । आ । भ॒र॒ । र॒यिम् । स्तो॒त्रे । सु॒ऽवीर्य॑म् । ज॒रि॒तुः । व॒र्ध॒य॒ । गिरः॑ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    स न: पुनान आ भर रयिं स्तोत्रे सुवीर्यम् । जरितुर्वर्धया गिर: ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    सः । नः । पुनानः । आ । भर । रयिम् । स्तोत्रे । सुऽवीर्यम् । जरितुः । वर्धय । गिरः ॥ ९.४०.५

    ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 40; मन्त्र » 5
    अष्टक » 6; अध्याय » 8; वर्ग » 30; मन्त्र » 5
    Acknowledgment

    संस्कृत (1)

    पदार्थः

    (स) हे परमात्मन् ! स पूर्वोक्तो भवान् (नः स्तोत्रे) भवतः स्तुतिकर्त्रे मह्यं (पुनानः) पवित्रयन् (सुवीर्यम् रयिम्) सुपराक्रमेण सहैश्वर्यं (आभर) ददातु (जरितुः गिरः वर्धय) उपासकस्य मम वाक्शक्तिं च वर्द्धयतु ॥५॥

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    हिन्दी (3)

    पदार्थ

    (स) हे परमात्मन् ! वह पूर्वोक्त आप (नः स्तोत्रे) आपकी स्तुति करनेवाले मुझको (पुनानः) पवित्र करते हुए (सुवीर्यम् रयिम्) सुन्दर पराक्रम के साथ ऐश्वर्य को (आभर) दीजिये (जरितुः गिरः वर्धय) और मुझ उपासक की वाक्शक्ति को बढ़ाइये ॥५॥

    भावार्थ

    जो लोग परमात्मपरायण होकर अपनी वाक्शक्ति को बढ़ाते हैं, परमात्मा उन्हें वाग्मी अर्थात् सुन्दर वक्ता बनाता है ॥५॥

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    विषय

    रवि-सुवीर्य-ज्ञान

    पदार्थ

    [१] हे सोम ! तू (पुनानः) = हमें पवित्र करता हुआ (नः) = हमारे लिये (रयिम्) = ऐश्वर्य को, ज्ञान व बल रूप धन को (आभर) = खूब ही प्राप्त करा । (स्तोत्रे) = स्तोता के लिये (सुवीर्यम्) = उत्तम शक्ति को देनेवाला हो । वस्तुतः स्तोता वासनाओं से अपने को बचा पाता है और इस प्रकार सोम का रक्षण करनेवाला होता है। यह सुरक्षित सोम उसे वीर बनाता है । [२] हे सोम ! तू (जरितुः) = स्तोता की (गिरः) = ज्ञान की वाणियों को (वर्धया) = बढ़ानेवाला हो । वस्तुतः सोम ज्ञानाग्नि का ईंधन बनता है । यह ज्ञानाग्नि को दीप्त करके स्तोता के ज्ञान को बढ़ाता है ।

    भावार्थ

    भावार्थ- सुरक्षित सोम रयि, सुवीर्य व ज्ञान को प्राप्त कराता है ।

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    विषय

    परमेश्वर से बलों की और ऐश्वयों की प्रार्थना, याचनादि।

    भावार्थ

    (सः) वह तू (पुनानः) हमें प्राप्त होता हुआ (नः रयिं आ भर) हमें ऐश्वर्य प्राप्त करा और (स्तोत्रे सुवीर्यम् आ भर) विद्वान् स्तुतिकर्त्ता को उत्तम बल दे। (जरितुः गिरः वर्धय) स्तुति कर्त्ता की वाणियों को बढ़ा और अधिक बलवान् कर।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    बृहन्मतिर्ऋषिः। पवमानः सोमो देवता॥ छन्दः- १, २ गायत्री। ३-६ निचृद् गायत्री॥ षडृचं सूक्तम्॥

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    इंग्लिश (1)

    Meaning

    May the lord, Soma, pure and purifying, bring us wealth, honour and excellence, bless us with divine strength and generous heroism for the celebrant, and elevate and exalt the devotees’ songs of adoration.

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    मराठी (1)

    भावार्थ

    जे लोक परमात्म परायण बनून आपली वाकशक्ती वाढवितात. परमेश्वर त्यांना वाग्मी अर्थात चांगला वक्ता बनवितो. ॥५॥

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