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अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 132 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 132/ मन्त्र 9
    ऋषिः - देवता - प्रजापतिः छन्दः - प्राजापत्या गायत्री सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त
    47

    क ए॑षां दु॒न्दुभिं॑ हनत् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    क: । एषाम् । दु॒न्दुभि॑म् । हनत् ॥१३२.९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    क एषां दुन्दुभिं हनत् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    क: । एषाम् । दुन्दुभिम् । हनत् ॥१३२.९॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 132; मन्त्र » 9
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    परमात्मा के गुणों का उपदेश।

    पदार्थ

    (कः) कौन (एषाम्) इनके बीच (दुन्दुभिम्) दुन्दुभि [ढोल] (हनत्) बजावे ॥९॥

    भावार्थ

    चुने हुए विद्वान् मनुष्य और विदुषी स्त्रियाँ संसार में उत्तम उत्तम बाजों के साथ वेद-विद्या का गान करके आत्मा और शरीर की बल बढ़ानेवाली चमत्कारी क्रियाओं का प्रकाश करें ॥८-१२॥

    टिप्पणी

    ९−(कः) (एषाम्) (दन्दुभिम्) अथ० ।२०।१। बृहड्ढक्काम् (हनत्) वादयेत् ॥

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    विषय

    कर्करी विलेखन व दुन्दुभि हनन

    पदार्थ

    १. (एषाम्) = गतमन्त्र के अनुसार इन क्रियाशील प्राणसाधकों व उदारधर्म का पालन करनेवालों की (कर्करी) = क्रियाशीलताओं को (क:) = कौन (लिखत्) = अवदीर्ण-विनष्ट कर देता है? कौन इनकी क्रियाशीलताओं को उखाड़ फेंकता है? "कर्करी' शब्द द्विवचन में है। एक अभ्युदय-साधक क्रियाएँ हैं, दूसरी निःश्रेयस-साधक। कौन-सी शक्ति है जो इसकी इन क्रियाओं को विदीर्ण कर डालती है? २. (क:) = कौन-सी वह प्रबल शक्ति (एषाम्) = इन साधकों की (दुन्दुभिम्) = दुन्दुभि को अन्तर्नाद को-अन्त:स्थित प्रभु से दी जानेवाली प्रेरणा को-(हनत्) = नष्ट कर देती है। किसके वशीभूत होकर यह जीव उस प्रेरणा को नहीं सुनता। ३. (यदि) = यदि (इयम्) = यह देदीप्यमान रूपवाली प्रकृति (इनत्) = इन क्रियाओं व अन्तर्नाद को नष्ट करती है तो (कथं हनत्) = कैसे नष्ट करती है? जीव बड़े उत्तम मार्ग पर चल रहा होता है। न जाने क्या होता है कि उसकी सब क्रियाएँ विनष्ट हो जाती हैं और वह अन्त:स्थित प्रभु-प्रेरणा को सुननेवाला नहीं रहता।

    भावार्थ

    प्रकृति का चमकीला आवरण हमपर इसप्रकार आक्रामक हो जाता है कि हमारी सब शुभ क्रियाएँ समाप्त हो जाती हैं और हम उस अन्त:स्थित प्रभु की प्रेरणा को नहीं सुन पाते।

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    भाषार्थ

    (कः) कौन है वह (एषाम्) इन जीवात्माओं के कर्त्तव्याकर्त्तव्य की (दुन्दुभिम्) डौंडी (हनत्) पीटता है?

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    विषय

    missing

    भावार्थ

    (एषाम्) इनके बीच में से (दुन्दुभिम्) द्वन्द युद्ध में शोभा पाने वाले, अथवा शत्रुनाशक इस प्रबल राजा को (कः) कौन (हनत्) मारने में समर्थ है।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    missing

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Prajapati

    Meaning

    Who blows the trumpet to wind up the game of the life of these souls? It is Ka, the Lord Supreme.

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    Translation

    Who among them do beat drum?

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    Translation

    Who among them do beat drum?

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    Translation

    Whichever strikes it, how does it do so?

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ९−(कः) (एषाम्) (दन्दुभिम्) अथ० ।२०।१। बृहड्ढक्काम् (हनत्) वादयेत् ॥

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    बंगाली (2)

    मन्त्र विषय

    পরমাত্মগুণোপদেশঃ

    भाषार्थ

    (কঃ) কে (এষাম্) তাঁদের মধ্যে (দুন্দুভিম্) দুন্দুভি [ঢোল] (হনৎ) বাজায়/বাজাবে ॥৯॥

    भावार्थ

    মনোনীত বিদ্বান পুরুষ এবং বিদুষী নারী জগতে উত্তম উত্তম বাদ্যের সহিত বেদ-বিদ্যা গান করে আত্মা এবং শরীরের বল বৃদ্ধিকারী বিবিধ ক্রিয়ার প্রকাশ করুক ॥৮-১২॥

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    भाषार्थ

    (কঃ) কে তিনি (এষাম্) এই জীবাত্মাদের কর্ত্তব্যাকর্ত্তব্যের (দুন্দুভিম্) দুন্দুভি (হনৎ) বাজায়?

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