Loading...
अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 27 के मन्त्र
मन्त्र चुनें
  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 27/ मन्त्र 2
    ऋषिः - गोषूक्त्यश्वसूक्तिनौ देवता - इन्द्रः छन्दः - गायत्री सूक्तम् - सूक्त-२७
    84

    शिक्षे॑यमस्मै॒ दित्से॑यं॒ शची॑पते मनी॒षिणे॑। यद॒हं गोप॑तिः॒ स्याम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    शिक्षे॑यम् । अ॒स्मै॒ । दित्से॑यम् । शची॑ऽपते । म॒नी॒षिणे॑ । यत् । अ॒हम् । गोऽप॑ति: । स्याम् ॥२७.२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    शिक्षेयमस्मै दित्सेयं शचीपते मनीषिणे। यदहं गोपतिः स्याम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    शिक्षेयम् । अस्मै । दित्सेयम् । शचीऽपते । मनीषिणे । यत् । अहम् । गोऽपति: । स्याम् ॥२७.२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 27; मन्त्र » 2
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    राजा के लक्षणों का उपदेश।

    पदार्थ

    (शचीपते) हे बुद्धि के स्वामी ! [राजन्] (अस्मै) इस (मनीषिणे) बुद्धिमान् [ब्रह्मचारी] को (शिक्षेयम्) मैं शिक्षा करूँ और (दित्सेयम्) दान दूँ, (यत्) जो (अहम्) मैं (गोपतिः) विद्या का स्वामी (स्याम्) हो जाऊँ ॥२॥

    भावार्थ

    बुद्धिमान् राजा आदि धनी लोग प्रबन्ध करें कि ब्रह्मचारी लोग निश्चिन्त होकर उत्तम शिक्षकों से उत्तम विद्या पावें ॥२॥

    टिप्पणी

    २−(शिक्षेयम्) शिक्षां दद्याम् (अस्मै) उपस्थिताय (दित्सेयम्) दा दाने-सन् प्रत्ययः। दातुमिच्छेयम् (शचीपते) अ० ३।१०”।१२। शच व्यक्तायां वाचि-इन्, ङीप्। शची प्रज्ञानाम-निघ० ३।९। हे बुद्धिस्वामिन् (मनीषिणे) बुद्धिमते ब्रह्मचारिणे (यत्) यदि (अहम्) पुरुषः (गोपतिः) गोर्विद्यायाः स्वामी (स्याम्) भवेयम् ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    धन-प्राप्ति व धन-दान

    पदार्थ

    १. हे (शचीपते) = शक्तियों व प्रज्ञानों के स्वामिन् प्रभो! (यत्) = यदि (अहम्) = मैं (गोपति: स्याम) = गौओं का मालिक होऊँ-गोधन को प्राप्त करूँ तो (अस्मै) = इस (मनीषिणे) = विद्वान् पुरुष के लिए (दित्सेयम्) = धन को देने की कामना कसैं और कामना ही नहीं, (शिक्षेयम्) = देनेवाला बनूं [शिक्षतिर्दानकर्मा] २. हम प्रभु-कृपा से धन प्राप्त करें और ज्ञान-प्रसार के कार्यों में लगे हुए ज्ञानियों के लिए उन धनों को दें।'गोधन वेदधेनु का भी संकेत करता है। यदि इस वेदवाणीरूप गोधन को प्राप्त करें तो समझदार पुरुषों के लिए इसे देने की कामना करें और दें। जान-प्रसार में अधिक-से-अधिक शक्ति लगाएँ।

    भावार्थ

    हम धन के स्वामी बनें और ज्ञान-प्रसार के कार्यों के लिए उसका दान करें।

    इस भाष्य को एडिट करें

    भाषार्थ

    (शचीपते) हे प्रज्ञा और वेदवाणियों के पति! (यद्) जो (अहम्) मैं (गोपतिः) वेदवाणियों का और समग्र पृथिवी का पति (स्याम्) होऊं, तो मैं (अस्मै) इस (मनीषिणे) बुद्धिमान् मनस्वी अपने स्तोता को (शिक्षेयम्) वेदवाणियों में शिक्षित करुं, और इसे (दित्सेयम्) पार्थिव-सम्पत्तियों का दान भी करूँ।

    टिप्पणी

    [उपासक वेदज्ञान और पार्थिव सम्पत्ति, इन दोनों का पति होना चाहता है। इसीलिए उसे “मन्त्र २” के अनुसार वेदवाणी के रहस्यार्थों का परिज्ञान नहीं होने पाया। कहावत है कि सरस्वती और लक्ष्मी, ये दोनों इकठ्ठी नहीं रहतीं। उपासक पार्थिव सम्पत्तियों को भी गर्धा रखता है, और वैदिक रहस्यार्थों की भी। इसलिए वह असफल है। [गो=वाक्=वेदवाणी (निघं০ १.११); तथा पृथिवी (निघं০ १.१)।]

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    धनाढ्यों के प्रति राजा का कर्त्तव्य।

    भावार्थ

    (यद्) जब मैं (गोपतिः स्याम्) भूमियों और गौवों का स्वामी होजाऊं तो (अस्मै) मैं इस प्रत्यक्ष में मेरे पास आये (मनीषिणे) और बुद्धिमान् विद्वान् पुरुष को (शिक्षेयम्) इसकी इच्छानुसार धन दूं। और हे (शचीपते) शक्ति के स्वामिन् ! (अस्मै दित्सेयम्) और इसको मैं भी धन देने की इच्छा करूं। और स्वयं धनाढ्य सम्पन्न होकर मनुष्य विद्वानों को दान करें और स्वयं भी दान देने की इच्छा करे।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    गोषूक्त्यश्वसूक्तिना वृषी। इन्द्रो देवता। गायत्र्यः। षडृचं सूक्तम्॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    इंग्लिश (4)

    Subject

    Self-integration

    Meaning

    O lord and master of world power and prosperity, Indra, if I were master of knowledge and controller of power, I would love to share and give wealth and knowledge to this noble minded person of vision and wisdom.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    O All-knowledge Divinity if I become the master of cows should be left with no other alternative but to give and give with certin advices this learned man plentiful riches.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    O All-knowledge Divinity if I become the master of cows I should be left with no other alternative but to give and give with certin advices this learned man plentiful riches.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    O Lord of power and learning, I (Thy devotee) may instruct and wish to give this learned person of high thinking powers, land, wealth and cows, if I become the lord of land, learning, cows and riches.

    इस भाष्य को एडिट करें

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    २−(शिक्षेयम्) शिक्षां दद्याम् (अस्मै) उपस्थिताय (दित्सेयम्) दा दाने-सन् प्रत्ययः। दातुमिच्छेयम् (शचीपते) अ० ३।१०”।१२। शच व्यक्तायां वाचि-इन्, ङीप्। शची प्रज्ञानाम-निघ० ३।९। हे बुद्धिस्वामिन् (मनीषिणे) बुद्धिमते ब्रह्मचारिणे (यत्) यदि (अहम्) पुरुषः (गोपतिः) गोर्विद्यायाः स्वामी (स्याम्) भवेयम् ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    बंगाली (2)

    मन्त्र विषय

    রাজলক্ষণোপদেশঃ

    भाषार्थ

    (শচীপতে) হে বুদ্ধির স্বামী! [রাজন্] (অস্মৈ) এই (মনীষিণে) বুদ্ধিমান [ব্রহ্মচারীকে] (শিক্ষেয়ম্) আমি শিক্ষিত করি/শিক্ষা প্রদান করি এবং (দিৎসেয়ম্) দান দেব, (যৎ) যে (অহম্) আমি (গোপতিঃ) বিদ্যার প্রভু (স্যাম্) হয়ে যাব ॥২॥

    भावार्थ

    বুদ্ধিমান্ রাজা আদি ধনী ব্যাক্তি প্রচেষ্টা করবে/করুক, যাতে ব্রহ্মচারী নিশ্চিন্ত হয়ে উত্তম শিক্ষকদের থেকে উত্তম বিদ্যা পায়/প্রাপ্ত হয়/করে ॥২॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    भाषार्थ

    (শচীপতে) হে প্রজ্ঞা এবং বেদবাণীর পতি! (যদ্) যে (অহম্) আমি (গোপতিঃ) বেদবাণীর এবং সমগ্র পৃথিবীর পতি (স্যাম্) হই, তবে আমি (অস্মৈ) এই (মনীষিণে) বুদ্ধিমান্ মনস্বী নিজের স্তোতাকে (শিক্ষেয়ম্) বেদবাণী দ্বারা শিক্ষিত করি/করবো, এবং তাঁকে (দিৎসেয়ম্) পার্থিব-সম্পত্তির দানও করি/করবো।

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top