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अथर्ववेद के काण्ड - 3 के सूक्त 11 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 11/ मन्त्र 7
    ऋषिः - ब्रह्मा, भृग्वङ्गिराः देवता - इन्द्राग्नी, आयुः, यक्ष्मनाशनम् छन्दः - उष्णिग्बृहतीगर्भा पथ्यापङ्क्तिः सूक्तम् - दीर्घायुप्राप्ति सूक्त
    56

    ज॒रायै॑ त्वा॒ परि॑ ददामि ज॒रायै॒ नि धु॑वामि त्वा। ज॒रा त्वा॑ भ॒द्रा ने॑ष्ट॒ व्य॒न्ये य॑न्तु मृ॒त्यवो॒ याना॒हुरित॑रान्छ॒तम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ज॒रायै॑ । त्वा॒ । परि॑ । द॒दा॒मि॒ । ज॒रायै॑ । नि । धु॒वा॒मि॒ । त्वा॒ । ज॒रा । त्वा॒ । भ॒द्रा । ने॒ष्ट॒ । वि । अ॒न्ये । य॒न्तु॒ । मृ॒त्यव॑: । यान् । आ॒हु: । इत॑रान् । श॒तम् ॥११.७॥


    स्वर रहित मन्त्र

    जरायै त्वा परि ददामि जरायै नि धुवामि त्वा। जरा त्वा भद्रा नेष्ट व्यन्ये यन्तु मृत्यवो यानाहुरितरान्छतम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    जरायै । त्वा । परि । ददामि । जरायै । नि । धुवामि । त्वा । जरा । त्वा । भद्रा । नेष्ट । वि । अन्ये । यन्तु । मृत्यव: । यान् । आहु: । इतरान् । शतम् ॥११.७॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 3; सूक्त » 11; मन्त्र » 7
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    रोग नाश करने के लिये उपदेश।

    पदार्थ

    [हे प्राणी !] (त्वा) तुझे (जरायै) स्तुति पाने के लिये (परि) सब प्रकार (ददामि) दान करता हूँ। (जरायै) स्तुति के लिये (त्वा) तेरे (नि धुवामि) निहोरे करता हूँ [अथवा, तुझे झकझोरता हूँ] (जरा) स्तुति (त्वा) तुझे (भद्रा=भद्राणि) अनेक सुख (नेष्ट) पहुँचावे। (अन्ये) दूसरे (मृत्यवः) मृत्यु के कारण (वि यन्तु) उलटे चले जावें, (यान्) जिन (इतरान्) कामनानाशक [मृत्युओं] को (शतम्) सौ प्रकार का (आहुः) बतलाते हैं ॥७॥

    भावार्थ

    मनुष्य कभी नम्र, कभी कठोर होकर स्तुति के लिये अपनी आत्मा लगावे और निर्धनता, रोगादि मृत्यु के कारणों को हटाकर सुखी रहे ॥७॥

    टिप्पणी

    ७−(जरायै)। षिद्भिदादिभ्योऽङ् पा० ३।३।१०४। इति जॄ स्तुतौ-अङ्, टाप्। जरा स्तुतिर्जरतेः स्तुतिकर्मणः-निरु० १०।८। स्तुतिप्राप्तये। (परि ददामि)। अ० १।३०।२। समर्पयामि। (नि)। आदरे। निश्चये। अधोभागे। (धुवामि)। धूञ् कम्पने, तुदादिः सकर्मकः। कम्पयामि। प्रेरयामि। (त्वा)। प्राणिनम्। (भद्रा)। भद्राणि। मङ्गलानि। (नेष्ट)। लेट्। नयतु प्रापयतु। अन्यद् गतम्-म० ५ ॥

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    विषय

    भद्रशक्तियों से युक्त जरावस्था

    पदार्थ

    (त्वा) = तुझे (जरायै) = पूर्ण वृद्धावस्था के दीर्घजीवन के लिए परिददामि देता हूँ। (त्वा) = तुझे (जरायै) = इस पूर्ण वृद्धावस्था के दीर्घजीवन के लिए (निथुवामि) = प्रेरित करता हूँ। यह (जरा) = वृद्धावस्था (त्वा) = तुझे (भद्रा नेष्ट) = सब भद्र वस्तुओं को प्राप्त कराये। २. ये (अन्ये) = विलक्षण (मृत्यवः) = रोग (वियन्तु) = सर्वथा दूर चले जाएँ। (यान् इतरान्) = स्वाभाविक मृत्यु से भिन्न जिन रोगों को (शतं आहुः) = संख्या में सौ कहते हैं।

    भावार्थ

    हम पूर्ण वृद्धावस्थापर्यन्त भद्र शक्तियों से युक्त हुए-हुए सौ वर्ष के दीर्घजीवन को प्राप्त करें।

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    भाषार्थ

    [हे व्याधिनिर्मुक्ता] (त्वा) तुझे (जरा) जरावस्था के लिए (परिददामि) रक्षार्थ में प्रदान करता हूँ, [हे व्याधि!] (त्वा) तुझे (जरायै) इसकी जरावस्था के लिए (नि धुवामि) मैं नितरां कम्पित करता हूँ। [हे व्याधिनिर्मुक्त!] (त्वा) तुझे (भद्रा) कल्याणकारिणी तथा सुखदायिनी (जरा) जरावस्था (नेष्ट) प्राप्त हुई है। (अन्ये मृत्यवः) अन्य मृत्युएं (वि यन्तु) विगत हो जायेँ, (यान्) जिन्हें (आहुः) कहते हैं (इतरान्) तद्भिन्न (शतम्) सौ।

    टिप्पणी

    [धुवामि=धूञ् कम्पने (चुरादिः)। परि ददामि=रक्षार्थ दानं परिदानम् (सायण)। भद्रा=भदि कल्याणे सुखे च (भ्वादिः)। नेष्ट=णीञ् प्रापणे (भ्वादिः) छान्दसो लुङ (सायण)।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Long Life and Yakshma Cure

    Meaning

    I assign you to full age till completion. I energise you to live unto full old age. Let time and age bring you all that is good for well being. Let others, causes of ill health, disease and death, aliens all, get away. They are hundreds, they say.

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    Translation

    I hereby entrust you to ripe old age (jarāyai). I urge you to reach old age. May the old age lead you benignly. May the other deaths go away, which they call the remaining hundred.

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    Translation

    I give you over to old age and make you strong to attain old age. Let old age bring you happiness. Let pass away from you all other mortalities of which people count a hundred.

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    Translation

    O man free from disease, I hand thee over to old age, I keep thee physically fit till old age: Let kindly old age lend thee comfort, Let all the other causes of death, whereof men count a hundred, pass away.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ७−(जरायै)। षिद्भिदादिभ्योऽङ् पा० ३।३।१०४। इति जॄ स्तुतौ-अङ्, टाप्। जरा स्तुतिर्जरतेः स्तुतिकर्मणः-निरु० १०।८। स्तुतिप्राप्तये। (परि ददामि)। अ० १।३०।२। समर्पयामि। (नि)। आदरे। निश्चये। अधोभागे। (धुवामि)। धूञ् कम्पने, तुदादिः सकर्मकः। कम्पयामि। प्रेरयामि। (त्वा)। प्राणिनम्। (भद्रा)। भद्राणि। मङ्गलानि। (नेष्ट)। लेट्। नयतु प्रापयतु। अन्यद् गतम्-म० ५ ॥

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    बंगाली (2)

    भाषार्थ

    [হে ব্যাধিনির্মুক্ত] (ত্বা) তোমাকে (জরায়ৈ) জরাবস্থার জন্য (পরিদদামি) রক্ষার্থে আমি প্রদান করি, [হে ব্যাধি !] (ত্বা) তোমাকে (জরায়ৈ) এর[এই রুগ্ণের] জরাবস্থার জন্য (নি ধুবামি) আমি নিরন্তর কম্পিত করি। [হে ব্যাধিনির্মুক্ত!] (ত্বা) তোমাকে (ভদ্রা) কল্যাণকারিণী ও সুখদায়িনী (জরা) জরাবস্থার (নেষ্ট) প্রাপ্ত হয়েছে। (অন্যে মৃত্যবঃ) অন্য মৃত্যুসমূহ (বি যন্তু) বিগত হোক/হয়ে যাক, (যান্) যেগুলোকে (আহুঃ) বলা হয় (ইতরান্) তদ্ভিন্ন (শতম্) শত।

    टिप्पणी

    [ধুবামি=ধূঞ্ কম্পনে (চুরাদিঃ)। পরী দদামি = রক্ষার্থং দানং পরিদানম্ (সায়ণ)। ভদ্রা = ভদি কল্যাণ সুখে চ (ভ্বাদিঃ)। নেষ্ট = ণীঞ্ প্রাপণে (ভ্বাদিঃ) ছান্দসো লুঙ্ (সায়ণ)।]

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    मन्त्र विषय

    রোগনাশনায়োপদেশঃ

    भाषार्थ

    [হে প্রাণী !] (ত্বা) তোমাকে (জরায়ৈ) স্তুতি প্রাপ্তির জন্য (পরি) সমস্ত প্রকারের (দদামি) দান করি। (জরায়ৈ) স্তুতির জন্য (ত্বা) তোমার (নি ধুবামি) কৃতজ্ঞতা প্রকাশ করি [অথবা, তোমাকে প্রেরিত করি] (জরা) স্তুতি (ত্বা) তোমাকে (ভদ্রা=ভদ্রাণি) অনেক সুখ (নেষ্ট) প্রদান করুক। (অন্যে) অপর (মৃত্যবঃ) মৃত্যুর কারণ (বি যন্তু) বিপরীতে চলে যাক/বিমুখ হোক, (যান্) যে (ইতরান্) কামনানাশক [মৃত্যু] কে (শতম্) শত প্রকারের (আহুঃ) বলা হয় ॥৭॥

    भावार्थ

    মনুষ্য কখনো নম্র, কখনো কঠোর হয়ে স্তুতির জন্য নিজের আত্মা নিয়োজিত করুক এবং নির্ধনতা, রোগাদি মৃত্যুর কারণসমূহ দূর করে সুখী থাকুক ॥৭।।

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