अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 6/ मन्त्र 7
ये अपी॑ष॒न्ये अदि॑ह॒न्य आस्य॒न्ये अ॒वासृ॑जन्। सर्वे॑ ते॒ वध्र॑यः कृ॒ता वध्रि॑र्विषगि॒रिः कृ॒तः ॥
स्वर सहित पद पाठये । अपी॑षन् । ये । अदि॑हन् । ये । आस्य॑न् । ये । अ॒व॒ऽअसृ॑जन् । सर्वे॑ । ते । वध्र॑य: । कृ॒ता: । वध्रि॑: । वि॒ष॒ऽगि॒रि: । कृ॒त: ॥६.७॥
स्वर रहित मन्त्र
ये अपीषन्ये अदिहन्य आस्यन्ये अवासृजन्। सर्वे ते वध्रयः कृता वध्रिर्विषगिरिः कृतः ॥
स्वर रहित पद पाठये । अपीषन् । ये । अदिहन् । ये । आस्यन् । ये । अवऽअसृजन् । सर्वे । ते । वध्रय: । कृता: । वध्रि: । विषऽगिरि: । कृत: ॥६.७॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
विष दूर करने के लिये उपदेश।
पदार्थ
(ये) जिन शत्रुओं ने [विष को] (अपीषन्) पांसा है, (ये) जिन्होंने (अदिहन्) लेप किया है, (ये) जिन्होंने (आस्यन्) दूर से फैंका है, और (ये) जिन्होंने (अवासृजन्) पास से छोड़ा है। (ते सर्वे) वे सब (वध्रयः) असमर्थ (कृताः) कर दिये गये, और (विषगिरिः) विषपर्वत भी (वध्रिः) निर्वीर्य (कृतः) कर दिया गया है ॥७॥
भावार्थ
राजा विषप्रयोगी पुरुषों को यथावत् दण्ड देकर सर्वथा बलहीन कर देवे, और विष के उत्पत्तिस्थानों को भी नियमबद्ध रक्खे ॥७॥
टिप्पणी
७−(ये) जनाः (अपीषन्) पिष्लृ संचूर्णने लङि छान्दसं रूपम्। अपिंषन्। पिष्टवन्तः। विषमिति शेषः (अदिहन्) दिह उपचये=वृद्धौ-लङ्। लिप्तवन्तः। (आस्यन्) म० ४। दूरात् क्षिप्तवन्तः (अव-असृजन्) सृज विसर्गे-लङ्। अवसृष्टवन्तः। समीपे त्यक्तवन्तः (सर्वे) (ते) पूर्वोक्ता जनाः (वध्रयः) अ० ३।९।२। बन्ध बन्धने क्रिन्। विफलाः। निर्वीर्याः। (कृताः) निष्पादिताः। (वध्रिः) निर्वीर्यः (विषगिरिः) विषोत्पत्तिहेतुः पर्वतः ॥
विषय
विषदाताओं को दण्डित करना
पदार्थ
१. (ये) = जो लोग (अपीषन्) = विषोपादान औषध को पीसकर देते हैं, (ये) = जो लोग (अदिहन) = इस विष का लेप करते हैं, (ये आस्यन्) = जो विष को दूर से शरीर पर फेंकते हैं-ऐसिड आदि डाल देते हैं, (ये अवासृजन) = जो समीपस्थ होते हुए अन्न-पान आदि में विष मिला देते हैं, (ते सर्वे) = वे सब (बध्रयः कृता:) = उचित दण्ड-व्यवस्था के द्वारा निर्वीर्य किये जाते हैं। राजा इन्हें दण्डित करता हुआ इन पापों से रोकता है २. (विषगिरिः) = कन्दमूल आदि के विष का उत्पत्तिहेतुभत पर्वत भी (वध्रिः कृत:) = निवार्य किया गया है। ऐसे पर्वतों पर भी राजा सामान्य लोगों के आने-जाने पर प्रतिबन्ध लगाता है, तब उस पर्वत के कन्दमूल आदि का दुरुपयोग नहीं हो पाता।
भावार्थ
राजा विविध प्रकार से विष देनेवालों को दण्डित करे। विषोत्पत्ति स्थानों पर सामान्य लोगों के आने-जाने को निषिद्ध कर दे।
भाषार्थ
(ये) जिन्होंने (अपीषन्) इसे पीसा है, (ये) जिन्होंने (अदिहन्) बाण के मुखाग्र को विष से लिप्त किया है। (ये) जिन्होंने (आस्यन्) विष सम्पृक्त बाण को फेंका है, चलाया है, (ये) जिन्होंने (अवासृजन्) विष का सर्जन किया है, (ते सर्वे) वे सब (वध्रयः कृताः) शक्तिरहित कर दिए हैं, (विषगिरिः) विषपर्वत (वध्रि:) विषोत्पादन में नि:शक्त (कृतः) कर दिया है।
टिप्पणी
[विष गिरि=विष का समूह; अथवा गिरि को विषैले सर्पों से रहित कर दिया है, उन सबको मार दिया है।]
विषय
विष चिकित्सा।
भावार्थ
(ये) जो (अपीषन्) विष के पदार्थों को पीसें, (ये अदिहन्) जो उसका प्रलेप करें, (य आस्यन्) जो विषमय पदार्थ फेंकें, (ये अवासृजन्) जो विषैले पदार्थ उत्पन्न करें, (सर्वे ते) वे सब (वध्रयः कृताः) राजशासन द्वारा दण्ड के योग्य हों और (विष-गिरिः) विष की खानें, संखिया आदि की खानें भी (वध्रिः) राजशासन में प्रबद्ध रूप से रिजर्व्ड् (कृतः) किया जाय। इन सब कार्यों को राजा अपने प्रबन्ध में रक्खे और स्वतन्त्र किसी को न करने दे।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
गरुत्मान् ऋषिः। तक्षको देवता। १-८ अनुष्टुभः। अष्टर्चं सूक्तम्।
इंग्लिश (4)
Subject
Antidote to Poison
Meaning
Those who grind the poisonous substances, those who apply, those who shoot and those who release it among the people, all these should be made ineffective, even the sources of poison should be rendered ineffectice.
Translation
Those who have mashed you fine, those who have smeared, those who have hurled you, and those who have thrown you, all of them I have made impotent. The mountain, producing the poison, also has been made impotent.
Translation
All those persons who found it, those who smeart it on, those who discharge it, those who sent it forth should be punished and the mine of the poisonous material and plants should be under control of the King.
Translation
The men who bray the poison and administer it to others, smear it on their bodies, they who discharge it from a distance, and mix it with water, all these are liable to be Punishedby the state. All mines of poison should be administered by the state.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
७−(ये) जनाः (अपीषन्) पिष्लृ संचूर्णने लङि छान्दसं रूपम्। अपिंषन्। पिष्टवन्तः। विषमिति शेषः (अदिहन्) दिह उपचये=वृद्धौ-लङ्। लिप्तवन्तः। (आस्यन्) म० ४। दूरात् क्षिप्तवन्तः (अव-असृजन्) सृज विसर्गे-लङ्। अवसृष्टवन्तः। समीपे त्यक्तवन्तः (सर्वे) (ते) पूर्वोक्ता जनाः (वध्रयः) अ० ३।९।२। बन्ध बन्धने क्रिन्। विफलाः। निर्वीर्याः। (कृताः) निष्पादिताः। (वध्रिः) निर्वीर्यः (विषगिरिः) विषोत्पत्तिहेतुः पर्वतः ॥
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