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अथर्ववेद के काण्ड - 4 के सूक्त 6 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 6/ मन्त्र 8
    ऋषिः - गरुत्मान् देवता - विषम् छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - विषघ्न सूक्त
    72

    वध्र॑यस्ते खनि॒तारो॒ वध्रि॒स्त्वम॑स्योषधे। वध्रिः॒ स पर्व॑तो गि॒रिर्यतो॑ जा॒तमि॒दं वि॒षम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    वध्र॑य: । ते॒ । ख॒नि॒तार॑: । वध्रि॑: । त्वम् । अ॒सि॒ । ओ॒ष॒धे॒ । वध्रि॑: । स: । पर्व॑त: । गि॒रि: । यत॑: । जा॒तम् । इ॒दम् । वि॒षम् ॥६.८॥


    स्वर रहित मन्त्र

    वध्रयस्ते खनितारो वध्रिस्त्वमस्योषधे। वध्रिः स पर्वतो गिरिर्यतो जातमिदं विषम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    वध्रय: । ते । खनितार: । वध्रि: । त्वम् । असि । ओषधे । वध्रि: । स: । पर्वत: । गिरि: । यत: । जातम् । इदम् । विषम् ॥६.८॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 4; सूक्त » 6; मन्त्र » 8
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    विष दूर करने के लिये उपदेश।

    पदार्थ

    (ओषधे) हे दाह [जलन] के धारण करनेवाले विष ! (ते) तेरे (खनितारः) खोदनेवाले (वध्रयः) असमर्थ [हो जावें] और (त्वम्) तू भी (वध्रिः) निर्वीर्य (असि) है। (सः) वह (पर्वतः) अवयववाला (गिरिः) पहाड़ (वध्रिः) असमर्थ [हो जावे], (यतः) जिससे (इदम् विषम्) यह विष (जातम्) उत्पन्न हुआ है ॥८॥

    भावार्थ

    राजा विषव्यापारियों और विषस्थानों को नीति विधान से अपने वश में रक्खे ॥८॥

    टिप्पणी

    ८−(वध्रयः) म० ७। असमर्थाः (ते) तव (खनितारः) खननकर्तारः (वध्रिः) निर्वीर्या। निर्वीर्यः। (त्वम् असि) (ओषधे) अ० १।२३।१। उष दाहे-घञ्+डुधाञ् धारणपोषणयोः-कि। हे दाहधारक विष (सः) (पर्वतः) अ० १।१२।३। पर्व पूरणे अतच्। पर्वति पूरयति भूमिम्। यद्वा। पर्वमरुद्भ्यां तन् वक्तव्यः। वा० पा० ५।२।१२२। इति पर्वन्-तन् मत्वर्थे। पर्ववान्। अवयवयुक्तः (गिरिः) अ० २।२५।४। शैलः (यतः) यस्माद् गिरेः (जातम्) उत्पन्नम् (इदम्, विषम्) ॥

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    विषय

    विष-खनन पर प्रतिबन्ध

    पदार्थ

    १. राष्ट्र में उचित नियमों के द्वारा हे (ओषधे!) = विषोपादानभूत ओषधे! (ते खनितार:) = तेरे खोदनेवाले (वधयः) = निर्वीय हो जाएँ-इन कर्मों को करने में इनकी कमर टूट जाए। हे ओषधे! (त्वम्) = तू भी (वधिः असि) = निर्वीर्य हो गई है। २. वास्तव में (सः पर्वतः) = पोवाला-शिलाओं की तहोंवाला (गिरि:) = पर्वत भी (वध्रिः) = निवार्य हो गया है, (यत:) = जिस पर्वत से (इदं विषम्) = यह (विष जातम्) = उत्पन्न होता है।

    भावार्थ

    विषौषधों को खोदनेवालों पर प्रतिबन्ध हो। विषोत्पदक पर्वतों पर भी लोगों के आने-जाने पर प्रतिबन्ध हो।

    विशेष

    अगले सूक्त का विषय भी यही है। 'गुरुत्मान्' ही ऋषि है |

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    भाषार्थ

    [हे खनिज विष] (ते) तेरे (खनितारः) खोदनेवाले (वध्रयः) नि:शक्त कर दिए हैं, (ओषधे) हे विषैली ओषधि ! (त्वाम्) तू (वध्रि: असि) नि:शक्त हो गई है। (सः) वह (पर्वतः) बड़ा पर्वत तथा (गिरिः) छोटा पर्वत (वध्रि:) विषोत्पादन में (वध्रि:) निःशक्त कर दिया है, (यतः) जिससे कि (इदम् विषम्) यह विष (जातम्) उत्पन्न हुआ है, या उत्पन्न होता है।

    टिप्पणी

    [अभिप्राय यह कि राजनियम द्वारा खनिज विषों का खोदना, तथा विषैली ओषधियों का विनाश कर दिया है, तथा पर्वत और गिरि के विषैले सांपों का भी विनाश कर दिया है। इस प्रकार खोदनेवाले तथा पर्वत और गिरि विषोत्पादन में नि:शक्त हो गये हैं। सूक्त का देवता है 'तक्षक' सर्प, अतः सूक्त में विषैले सांपों का भी वर्णन अभिप्रेत है तथा सूक्त का ऋषि 'गरुत्मा' अर्थात् गरुड़ है, जोकि सर्पों का शत्रु है। बध्रय:= बधिया]

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    विषय

    विष चिकित्सा।

    भावार्थ

    (ते खनितारः वधयः) वे विषैले पदार्थों को खोदने वाले पुरूष भी विना राजाज्ञा के दण्ड के योग्य हों, और हे (ओषधे त्वम् वध्रिः असि) विष की ओषधियो ! तुम भी बन्द, सुरक्षित स्थान पर रहो। (सः पर्वतः) वह पहाड़ का भाग (यतः) जिससे (इदं विषं) यह विष (जातम्) उत्पन्न होता है वह भी (वध्रिः) राज्य की कड़ी निगरानी या पहरे में रहे।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    गरुत्मान् ऋषिः। तक्षको देवता। १-८ अनुष्टुभः। अष्टर्चं सूक्तम्।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Antidote to Poison

    Meaning

    O poison and poisonous intoxicant, those who dig and collect you have been made ineffective. O poisonous herb, you have been made ineffective. And that hill and mountain from which this poison has been dug out is made ineffectual. (The point is that there should be no free availability of intoxicant and poisonous substances, they must be strictly under the control of the government for special and specific purposes.)

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    Translation

    May impotent become the diggers of poison; impotent (badhri) may you become O poisonous plant. May that mountain become impotent from where this poison (is produced) has come out.

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    Translation

    Those who dig out from earth the poisonous plant, mineral etc., without permission of the administration should be punished. The medicine of the poison should also be under the control of the ruler. That mountain wherein the Poisonous mineral plants etc. are produced should also be prohibited for visitors and public.

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    Translation

    Thy diggers, without Government's license should be punished. O poisonous plant, remain in a safe place! The rugged mountain that produces this poison, should remain under the supervision of the Government.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ८−(वध्रयः) म० ७। असमर्थाः (ते) तव (खनितारः) खननकर्तारः (वध्रिः) निर्वीर्या। निर्वीर्यः। (त्वम् असि) (ओषधे) अ० १।२३।१। उष दाहे-घञ्+डुधाञ् धारणपोषणयोः-कि। हे दाहधारक विष (सः) (पर्वतः) अ० १।१२।३। पर्व पूरणे अतच्। पर्वति पूरयति भूमिम्। यद्वा। पर्वमरुद्भ्यां तन् वक्तव्यः। वा० पा० ५।२।१२२। इति पर्वन्-तन् मत्वर्थे। पर्ववान्। अवयवयुक्तः (गिरिः) अ० २।२५।४। शैलः (यतः) यस्माद् गिरेः (जातम्) उत्पन्नम् (इदम्, विषम्) ॥

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