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अथर्ववेद के काण्ड - 5 के सूक्त 13 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 13/ मन्त्र 3
    ऋषिः - गरुत्मान् देवता - तक्षकः छन्दः - जगती सूक्तम् - सर्पविषनाशन सूक्त
    59

    वृषा॑ मे॒ रवो॒ नभ॑सा॒ न त॑न्य॒तुरु॒ग्रेण॑ ते॒ वच॑सा बाध॒ आदु॑ ते। अ॒हं तम॑स्य॒ नृभि॑रग्रभं॒ रसं॒ तम॑स इव॒ ज्योति॒रुदे॑तु॒ सूर्यः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    वृषा॑ । मे॒ । रव॑: । नभ॑सा । न । त॒न्य॒तु: । उ॒ग्रेण॑ । ते॒ । वच॑सा । बा॒धे॒ । आत् ।ऊं॒ इति॑ । ते॒ । अ॒हम् । तम् । अ॒स्य॒ । नृऽभि॑: । अ॒ग्र॒भ॒म् । रस॑म् । तम॑स:ऽइव । ज्योति॑:। उत् । ए॒तु॒ । सूर्य॑: ॥१३.३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    वृषा मे रवो नभसा न तन्यतुरुग्रेण ते वचसा बाध आदु ते। अहं तमस्य नृभिरग्रभं रसं तमस इव ज्योतिरुदेतु सूर्यः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    वृषा । मे । रव: । नभसा । न । तन्यतु: । उग्रेण । ते । वचसा । बाधे । आत् ।ऊं इति । ते । अहम् । तम् । अस्य । नृऽभि: । अग्रभम् । रसम् । तमस:ऽइव । ज्योति:। उत् । एतु । सूर्य: ॥१३.३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 5; सूक्त » 13; मन्त्र » 3
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    दोषनिवारण के लिये उपदेश।

    पदार्थ

    (मे) मेरा (रवः) शब्द (नभसा) मेघ के साथ (तन्यतुः न) गर्जन के समान (वृषा) शक्तिवाला है। (आत् उ) और भी (वचसा) अपने वचन से (ते) तेरे, (ते) तेरे [रस को] (बाधे) हटाता हूँ। (अहम्) मैंने (नृभिः) मनुष्यों के साथ (अस्य) इसके (तम् रसम्) उस रस को (तमसः) अन्धकार से (ज्योतिः इव) ज्योति के समान (अग्रभम्) मैंने पकड़ लिया है। [अव] (सूर्यः) सूर्य (उदेतु) उदय होवे ॥३॥

    भावार्थ

    मनुष्य आत्मबल बढ़ाकर विषरूपी अज्ञान का नाश करके विद्यारूपी सूर्य का प्रकाश करें ॥३॥

    टिप्पणी

    ३−(वृषा) अ० १।१२।१। वृषु ऐश्वर्ये−कनिन्। ऐश्वर्यवान् (मे) मम (रवः) शब्दः (नभसा) मेघेन (न) इव (तन्यतुः) ऋतन्यञ्जि०। उ० ४।२। इति तनु विस्तारे−यतुच्। मेघनादः−विद्युत् (उग्रेण) तीव्रेण (ते) तव रसम् (वचसा) वचनेन (बाधे) निवारयामि (आत्) अनन्तरम् (उ) अवश्यम् (ते) तव (अहम्) जीवः (तम्) प्रसिद्धम् (अस्य) पुरोवर्तिनः (नृभिः) मनुष्यैः (अग्रभम्) अहं गृहीतवान् (रसम्) प्रभावम् (तमसः) अन्धकारात् (इव) यथा (ज्योतिः) प्रकाशम् (उदेतु) उद्गच्छतु (सूर्यः) रविः ॥

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    विषय

    विष-चिकित्सा में उच्च शब्द का स्थान

    पदार्थ

    १. मे (रव:) = मेरा शब्द (नभसा तन्यतुः न) = मेघ से उत्पन्न होनेवाली गर्जना के समान वृषा-शक्तिशाली है। मैं इस (उग्रेण वचसा) = शक्तिशाली शब्द से (ते) = तेरे इस विष को (बाधे) = बाधित करता हूँ, (आत् उ) = और अब निश्चय से (ते) = तेरा भी बाधन करता हूँ। २. (अहम्) = मैं (नृभिः) = मनुष्यों के साथ (अस्य) = इस सर्प के (तं रसम्) = उस विषरस को (अग्रभम्) = वश में कर लेता है। (तमसः ज्योतिः इव) =  अन्धकार के विनाश से जैसे ज्योति का उदय होता है, उसी प्रकार इस सर्पदष्ट पुरुष के जीवन में भी विषान्धकार के विनाश के साथ (सूर्यः उदेतु) = जीवन के सूर्य का उदय हो।

    भावार्थ

    सर्पविष चिकित्सा में ऊँचे शब्द का भी महत्व है। यह सर्पदष्ट को मूर्छा में चले जाने से बचाता है। चिकित्सक अन्य मनुष्यों के साथ सर्पविष के भय को दूर करने का प्रयत्न करता है तथा सर्पदष्ट मनुष्य के जीवन से मूर्छान्धकार को दूर करके जीवन के सूर्य को उदित करता है।

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    भाषार्थ

    (मे) मेरी (रवः) आबाज ( वृषा) प्रबल है, बतः सुखवर्षी है; (नभसा=नभसः) मेघ से ( तन्यतु: न ) मेघगर्जन के सदृश ( उग्रेण वचसा ) निज उग्रवचन द्वारा (ते) तेरे [ विषरस को ] (बाध) में उसके फैलने में बाधा डालता हूँ; (आत् उ) तदनन्तर ही (अस्य ते) इस तेरे ( तम् रसम् ) उस विषरस को (नृभिः) अन्य विषचिकित्सक मनुष्यों के सहयोग द्वारा (अग्रभम् ) मैंने पकड़ लिया है, फैलने नहीं दिया। (सूर्यः ) सूर्य जैसे (तमसः) रात्रि के अन्धकार से उदित होता है, वैसे [विषजन्य मूर्छान्धकार से] (ज्योतिः) तेरी ज्ञानज्योतिः (उदेतु) उदित हो।

    टिप्पणी

    [उग्रेण वचसा= अथर्व० (४।१३।६,७)।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Cure of Snake Poison

    Meaning

    My word is mighty and virile like thunder of the cloud. With that powerful word, I stop and drive out you and your poison. With the help of men I have seized and dispelled the effective spirit of the poison as light removes the darkness and the light of the patient’s life would rise like the sun at dawn.

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    Translation

    Powerful is my voice like thunder of the cloud. With formidable words, I drive it away for you from you. I have seized that power of his with men. May hé raise himself like the sun out of darkness.

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    Translation

    My cry is strong like the thunder of the rainy cloud, I drive away the venom of snake with the prescription of medicine. I seize the poison of this snake with men, like the light from gloom. Let the sun of happiness rise up.

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    Translation

    Strong is my word-like thunder with the rainy cloud: with powerful words I remove thee and thy venom. With the aid of efficacious medicines, I remove that venom of thine, just as light removes the gloom, and lets the sunrise.

    Footnote

    As light removes darkness and the sun sets in, so the removal of vemon restores the light of life to the victim. ‘Thee’ ‘thy’ refer to a snake. ‘I’, ‘my’ refer to a physician. The physician through his powerful words of assurance encouragement, convinces the patient to be cured s00n. If a patient loses heart, he cannot be cured, Doctor's words go a long way to cure a patient,

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ३−(वृषा) अ० १।१२।१। वृषु ऐश्वर्ये−कनिन्। ऐश्वर्यवान् (मे) मम (रवः) शब्दः (नभसा) मेघेन (न) इव (तन्यतुः) ऋतन्यञ्जि०। उ० ४।२। इति तनु विस्तारे−यतुच्। मेघनादः−विद्युत् (उग्रेण) तीव्रेण (ते) तव रसम् (वचसा) वचनेन (बाधे) निवारयामि (आत्) अनन्तरम् (उ) अवश्यम् (ते) तव (अहम्) जीवः (तम्) प्रसिद्धम् (अस्य) पुरोवर्तिनः (नृभिः) मनुष्यैः (अग्रभम्) अहं गृहीतवान् (रसम्) प्रभावम् (तमसः) अन्धकारात् (इव) यथा (ज्योतिः) प्रकाशम् (उदेतु) उद्गच्छतु (सूर्यः) रविः ॥

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