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  • यजुर्वेद - अध्याय 1/ मन्त्र 17
    ऋषिः - परमेष्ठी प्रजापतिर्ऋषिः देवता - अग्निर्देवता छन्दः - निचृत् ब्राह्मी पङ्क्ति, स्वरः - पञ्चमः
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    धृष्टि॑र॒स्यपा॑ऽग्नेऽअ॒ग्निमा॒मादं॑ जहि॒ निष्क्र॒व्याद॑ꣳ से॒धा दे॑व॒यजं॑ वह। ध्रु॒वम॑सि पृथि॒वीं दृ॑ꣳह ब्रह्म॒वनि॑ त्वा क्षत्र॒वनि॑ सजात॒वन्युप॑दधामि॒ भ्रातृ॑व्यस्य व॒धाय॑॥१७॥

    स्वर सहित पद पाठ

    धृष्टिः। अ॒सि। अप॑। अ॒ग्ने॒। अ॒ग्निम्। आ॒माद॒मित्या॑मऽअद॑म्। ज॒हि॒। निष्क्र॒व्याद॒मिति निष्क्रव्य॒ऽअद॑म्। सेध॒। आ। दे॒व॒यज॒मिति। देव॒ऽयज॑म्। व॒ह॒। ध्रु॒वम्। अ॒सि॒। पृ॒थिवी॑म्। दृ॒ꣳह॒। ब्र॒ह्म॒वनीति ब्रह्म॒ऽवनि॑। त्वा॒। क्ष॒त्र॒वनीति॑ क्षत्र॒ऽवनि॑। स॒जा॒त॒वनीति॑ सजात॒ऽवनि॑। उप॑ऽद॒धा॒मि॒। भ्रातृ॑व्यस्य व॒धाय॑ ॥१७॥


    स्वर रहित मन्त्र

    धृष्टिरस्यपाग्नेऽअग्निमामादञ्जहि निष्क्रव्यादँ सेधा आ देवयजँ वह । धु्रवमसि पृथिवीन्दृँह ब्रह्मवनि त्वा क्षत्रवनि सजातवन्युप दधामि भ्रातृव्यस्य बधाय ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    धृष्टिः। असि। अप। अग्ने। अग्निम्। आमादमित्यामऽअदम्। जहि। निष्क्रव्यादमिति निष्क्रव्यऽअदम्। सेध। आ। देवयजमिति। देवऽयजम्। वह। ध्रुवम्। असि। पृथिवीम्। दृꣳह। ब्रह्मवनीति ब्रह्मऽवनि। त्वा। क्षत्रवनीति क्षत्रऽवनि। सजातवनीति सजातऽवनि। उपऽदधामि। भ्रातृव्यस्य वधाय॥१७॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 1; मन्त्र » 17
    Acknowledgment

    Translation -
    О fire, you are superb. (1) Discard the fire that cooks food; discard the fire that consumes corpses. (2) Bring the one that carries oblations to Nature's bounties. (3) You are steady. Make this earth steady. You are pleasing to men of intellect, pleasing to men of defence and to other persons like us-I place you here for destruction of our еnеmу. (4)

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