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  • यजुर्वेद - अध्याय 1/ मन्त्र 6
    ऋषिः - परमेष्ठी प्रजापतिर्ऋषिः देवता - प्रजापतिर्देवता छन्दः - आर्ची पङ्क्तिः स्वरः - पञ्चमः
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    कस्त्वा॑ युनक्ति॒ स त्वा॑ युनक्ति॒ कस्मै॑ त्वा युनक्ति॒ तस्मै॑ त्वा युनक्ति। कर्म॑णे वां॒ वेषा॑य वाम्॥६॥

    स्वर सहित पद पाठ

    कः। त्वा॒। यु॒न॒क्ति॒। सः। त्वा॒। यु॒न॒क्ति॒। कस्मै॑। त्वा॒। यु॒न॒क्ति॒। तस्मै॑। त्वा॒। यु॒न॒क्ति॒। कर्म्म॑णे। वां॒। वेषा॑य। वा॒म् ॥६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    कस्त्वा युनक्ति स त्वा युनक्ति कस्मै त्वा युनक्ति तस्मै त्वा युनक्ति । कर्मणे वाँवेषाय वाम् ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    कः। त्वा। युनक्ति। सः। त्वा। युनक्ति। कस्मै। त्वा। युनक्ति। तस्मै। त्वा। युनक्ति। कर्म्मणे। वां। वेषाय। वाम्॥६॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 1; मन्त्र » 6
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    Translation -
    Who appoints you? He appoints you. For what does he appoint you? For that he appoints you. (1) Both of you, for work as well as dressing up and finish. (2)

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