Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 21/ मन्त्र 60
    ऋषिः - स्वस्त्यात्रेय ऋषिः देवता - लिङ्गोक्ता देवताः छन्दः - धृतिः स्वरः - ऋषभः
    2

    सू॒प॒स्थाऽअ॒द्य दे॒वो वन॒स्पति॑रभवद॒श्विभ्यां॒ छागे॑न॒ सर॑स्वत्यै मे॒षेणेन्द्रा॑यऽऋष॒भेणाक्षँ॒स्तान् मे॑द॒स्तः प्रति॑ पच॒तागृ॑भीष॒तावी॑वृधन्त पुरो॒डाशै॒रपु॑र॒श्विना॒ सर॑स्व॒तीन्द्रः॑ सु॒त्रामा॑ सुरासो॒मान्॥६०॥

    स्वर सहित पद पाठ

    सू॒प॒स्था इति॑ सुऽउप॒स्थाः। अ॒द्य। दे॒वः। वन॒स्पतिः॑। अ॒भ॒व॒त्। अ॒श्विभ्या॒मित्य॒श्विऽभ्या॑म्। छागे॑न। सर॑स्वत्यै। मे॒षेण॑। इन्द्रा॑य। ऋ॒ष॒भेण॑। अक्ष॑न्। तान्। मे॒द॒स्तः। प्रति॑। प॒च॒ता। अगृ॑भीषत। अवी॑वृधन्त। पु॒रो॒डाशैः॑। अपुः॑। अ॒श्विना॑। सर॑स्वती। इन्द्रः॑। सु॒त्रामेति॑ सु॒ऽत्रामा॑। सु॒रा॒सो॒मानिति॑ सुराऽसो॒मान् ॥६० ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सूपस्थाऽअद्य देवो वनस्पतिरभवदश्विभ्याञ्छागेन सरस्वत्यै मेषेणेन्द्रायऽऋषभेणाक्षँस्तान्मेदस्तः प्रति पचतागृभीषतावीवृधन्त पुरोडाशैरपुरश्विना सरस्वतीन्द्रः सुत्रामा सुरासोमाँत्वामद्य ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    सूपस्था इति सुऽउपस्थाः। अद्य। देवः। वनस्पतिः। अभवत्। अश्विभ्यामित्यश्विऽभ्याम्। छागेन। सरस्वत्यै। मेषेण। इन्द्राय। ऋषभेण। अक्षन्। तान्। मेदस्तः। प्रति। पचता। अगृभीषत। अवीवृधन्त। पुरोडाशैः। अपुः। अश्विना। सरस्वती। इन्द्रः। सुत्रामेति सुऽत्रामा। सुरासोमानिति सुराऽसोमान्॥६०॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 21; मन्त्र » 60
    Acknowledgment

    Translation -
    The Lord of Vegetation today has done good service to the twin healers with the goat, to the divine Doctress with the ram and to the resplendent self with the bull. The twin healers, the divine Doctress and the resplendent self have taken these offerings, cooked with butter, and eaten their fill and have grown strong and they have drunk the fermented cure-juice. (1)

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top