Loading...
अथर्ववेद > काण्ड 20 > सूक्त 70

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 70/ मन्त्र 10
    सूक्त - मधुच्छन्दाः देवता - इन्द्रः छन्दः - गायत्री सूक्तम् - सूक्त-७०

    इन्द्र॒ वाजे॑षु नोऽव स॒हस्र॑प्रधनेषु च। उ॒ग्र उ॒ग्राभि॑रू॒तिभिः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    इन्द्र॑: । वाजे॑षु । न॒: । अ॒व॒ । स॒हस्र॑ऽप्रधनेषु ॥ च॒ । उ॒ग्र: । उ॒ग्राभि॑: । ऊ॒तिऽभि॑: ॥७०.१०॥


    स्वर रहित मन्त्र

    इन्द्र वाजेषु नोऽव सहस्रप्रधनेषु च। उग्र उग्राभिरूतिभिः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    इन्द्र: । वाजेषु । न: । अव । सहस्रऽप्रधनेषु ॥ च । उग्र: । उग्राभि: । ऊतिऽभि: ॥७०.१०॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 70; मन्त्र » 10

    भाषार्थ -
    (उग्र इन्द्र) हे शक्तिशाली परमेश्वर! (वाजेषु) सांसारिक सम्पत्तियों और सांसारिक बलों की प्राप्ति में आप (नः अव) हमारी रक्षा कीजिए, ताकि प्रलोभनवश और असत्य व्यवहारों द्वारा हम इनकी प्राप्ति न करें। (च) तथा (सहस्रप्रधनेषु) हजारों प्रकार की प्रकृष्ट-सम्पत्तियाँ जिनसे प्राप्त हो जाती हैं, ऐसे महायुद्धों में भी आप (उग्राभिः ऊतिभिः) अपनी प्रबल रक्षाओं द्वारा हमारी रक्षा करें, ताकि हम इन युद्धों से परे रहें।

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top