यजुर्वेद - अध्याय 5/ मन्त्र 38
ऋषिः - आगस्त्य ऋषिः
देवता - विष्णुर्देवता
छन्दः - भूरिक् आर्षी अनुष्टुप्,
स्वरः - गान्धारः
8
उ॒रु वि॑ष्णो॒ विक्र॑मस्वो॒रु क्षया॑य नस्कृधि। घृतं घृ॑तयोने पिब॒ प्रप्र॑ य॒ज्ञप॑तिं तिर॒ स्वाहा॑॥३८॥
स्वर सहित पद पाठउ॒रु। वि॒ष्णो॒ऽइति॑ विष्णो। वि। क्र॒म॒स्व॒। उ॒रु। क्षया॑य। नः॒। कृ॒धि॒। घृ॒तम्। घृ॒त॒यो॒न॒ इति॑ घृतऽयोने। पि॒ब॒। प्रप्रेति॒ प्रऽप्र॑। य॒ज्ञप॑ति॒मिति॑ य॒ज्ञऽप॑तिम्। ति॒र॒। स्वाहा॑ ॥३८॥
स्वर रहित मन्त्र
उरु विष्णो विक्रमस्वोरु क्षयाय नस्कृधि घृतङ्घृतयोने पिब प्रप्र यज्ञपतिन्तिर स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठ
उरु। विष्णोऽइति विष्णो। वि। क्रमस्व। उरु। क्षयाय। नः। कृधि। घृतम्। घृतयोन इति घृतऽयोने। पिब। प्रप्रेति प्रऽप्र। यज्ञपतिमिति यज्ञऽपतिम्। तिर। स्वाहा॥३८॥
विषय - फिर वे कैसे हैं, यह उपदेश अगले मन्त्र में किया है॥
पदार्थ -
जैसे सर्वव्यापक परमेश्वर सब जगत् की रचना करता हुआ जगत् के कारण को प्राप्त हो सब को रचता है, वैसे हे विद्यादि गुणों में व्याप्त होने वाले वीर पुरुष! अपने विद्या के फल को (उरु) बहुत (वि) अच्छी तरह (क्रमस्व) पहुंच (क्षयाय) निवास करने योग्य गृह और विज्ञान की प्राप्ति के योग्य (नः) हम लोगों को (कृधि) कीजिये। हे (घृतयोने) विद्यादि सुशिक्षायुक्त पुरुष! जैसे अग्नि घृत पी के प्रदीप्त होता है, वैसे तू भी अपने गुणों में (घृतम्) घृत को (प्रप्र पिब) वारंवार पी के शरीर बलादि से प्रकाशित हो और ऋत्विज आदि विद्वान् लोग (यज्ञपतिम्) यजमान की रक्षा करते हुए उसे यज्ञ से पार करते हैं, वैसे तू भी (स्वाहा) यज्ञ की क्रिया से यज्ञ के (तिर) पार हो॥३८॥
भावार्थ - जैसे परमेश्वर अपनी व्यापकता से कारण को प्राप्त हो सब जगत् के रचने और पालने से सब जीवों को सुख देता है, वैसे आनन्द में हम सभों को रहना उचित है। जैसे अग्नि काष्ठ आदि इन्धन वा घृत आदि पदार्थों को प्राप्त हो प्रकाशमान होता है, वैसे हम लोगों को भी शत्रुओं को जीत प्रकाशित होना चाहिये, और जैसे होता आदि विद्वान् लोग धार्मिक यज्ञ करने वाले यजमान को पाकर अपने कामों को सिद्ध करते हैं, वैसे प्रजास्थ लोग धर्मात्मा सभापति को पाकर अपने-अपने सुखों को सिद्ध किया करें॥३८॥
इस भाष्य को एडिट करेंAcknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
N/A
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
N/A
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
N/A
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
Shri Virendra Agarwal
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal