अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 9/ मन्त्र 11
सूक्त - ब्रह्मा
देवता - शान्तिः, मन्त्रोक्ताः
छन्दः - अनुष्टुप्
सूक्तम् - शान्ति सूक्त
शं रु॒द्राः शं वस॑वः॒ शमा॑दि॒त्याः शम॒ग्नयः॑। शं नो॑ मह॒र्षयो॑ दे॒वाः शं दे॒वाः शं बृह॒स्पतिः॑ ॥
स्वर सहित पद पाठशम्। रु॒द्राः। शम्। वस॑वः। शम्। आ॒दि॒त्याः। शम्। अ॒ग्नयः॑। शम्। नः॒।म॒ह॒ऽऋष॑यः। दे॒वाः। शम्। दे॒वाः। शम्। बृह॒स्पतिः॑ ॥९.११॥
स्वर रहित मन्त्र
शं रुद्राः शं वसवः शमादित्याः शमग्नयः। शं नो महर्षयो देवाः शं देवाः शं बृहस्पतिः ॥
स्वर रहित पद पाठशम्। रुद्राः। शम्। वसवः। शम्। आदित्याः। शम्। अग्नयः। शम्। नः।महऽऋषयः। देवाः। शम्। देवाः। शम्। बृहस्पतिः ॥९.११॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 9; मन्त्र » 11
विषय - मनुष्यों को कर्तव्य का उपदेश।
पदार्थ -
(रुद्राः) रुद्र [ग्यारह रुद्र अर्थात् प्राण, अपान, व्यान, उदान, समान, नाग, कूर्म, कृकल, देवदत्त, धनञ्जय और जीवात्मा] (शम्) शान्तिदायक (वसवः) वसु [आठ वसु अर्थात् अग्नि, पृथिवी, वायु, अन्तरिक्ष, सूर्य, प्रकाश, चन्द्रमा और तारागण] (शम्) शान्तिदायक (आदित्याः) महीने [चैत्र आदि बारह महीने] (शम्) शान्तिदायक और (अग्नयः) अग्नियाँ [शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक बल] (शम्) शान्तिदायक [होवें]। (महर्षयः) महर्षि [बड़े-बड़े वेदज्ञाता] (देवाः) विद्वान् लोग (नः) हमें (शम्) शान्तिदायक, (देवाः) उत्तम व्यवहार (शम्) शान्तिदायक [होवें] और (बृहस्पतिः) बड़े ब्रह्माण्डों का स्वामी [परमात्मा] (शम्) शान्तिदायक [होवे] ॥११॥
भावार्थ - मनुष्य रुद्र, वसु और आदित्यसंज्ञक पदार्थों को प्रयत्नपूर्वक महर्षि विद्वानों के सत्सङ्ग और परमात्मा के विश्वास से अनेक व्यवहारों में प्रयुक्त करके सब जीवों को सुख पहुँचावें ॥११॥
टिप्पणी -
रुद्र, वसु और आदित्य शब्दों के लिये महर्षिदयानन्दकृत यजुर्वेदभाष्य−२।५। देखो ॥ ११−(शम्) शान्तिप्रदाः (रुद्राः) रु गतौ-क्विप्, तुक् रो मत्वर्थीयः गतिमन्तः। प्राणापानव्यानोदानसमान-नागकूर्मकृकलदेवदत्तधनञ्जयाख्या दश प्राणा एकादशो जीवश्चेत्येकादश रुद्राः-दयानन्दकृतभाष्ये, यजु० २।५। (शम्) (वसवः) अग्निश्च पृथिवी च वायुश्चान्तरिक्षं चादित्यश्च द्यौश्च चन्द्रमाश्च नक्षत्राणि चैते वसवः-दयानन्दभाष्ये, यजु० २।५। (शम्) (आदित्याः) द्वादशमासाः-तत्रैव (शम्) (अग्नयः) शारीरिकात्मिकसामाजिकपराक्रमाः (शम्) (नः) (महर्षयः) महान्तो वेदार्थज्ञातारः (देवाः) विद्वांसः (शम्) (देवाः) उत्तमव्यवहाराः (शम्) (बृहस्पतिः) बृहतां ब्रह्माण्डानां पालकः परमेश्वरः ॥