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अथर्ववेद > काण्ड 9 > सूक्त 6 > पर्यायः 1

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  • अथर्ववेद - काण्ड 9/ सूक्त 6/ मन्त्र 16
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - अतिथिः, विद्या छन्दः - साम्न्यनुष्टुप् सूक्तम् - अतिथि सत्कार

    शूर्पं॑ प॒वित्रं॒ तुषा॑ ऋजी॒षाभि॒षव॑णी॒रापः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    शूर्प॑म् । प॒वित्र॑म् । तुषा॑: । ऋ॒जी॒षा: । अ॒भि॒ऽसव॑नी: । आप॑: ॥६.१६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    शूर्पं पवित्रं तुषा ऋजीषाभिषवणीरापः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    शूर्पम् । पवित्रम् । तुषा: । ऋजीषा: । अभिऽसवनी: । आप: ॥६.१६॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 6; पर्यायः » 1; मन्त्र » 16

    Translation -
    The winnowing fan (Surpa) is, as if, the strainer (pavitram) the chaff (tusa) is, as if, the residue (rjisa) of the curejuice; the water at meal-time is, as if, the water used for pressing out the cure-juice.

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