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अथर्ववेद > काण्ड 20 > सूक्त 131

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  • अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 131/ मन्त्र 18
    सूक्त - देवता - प्रजापतिर्वरुणो वा छन्दः - प्राजापत्या गायत्री सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त

    अदू॑हमि॒त्यां पूष॑कम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अदू॑हमि॒त्याम् । पूष॑कम् ॥१३१.१८॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अदूहमित्यां पूषकम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अदूहमित्याम् । पूषकम् ॥१३१.१८॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 131; मन्त्र » 18

    टिप्पणीः - १८−(अदूहमित्याम्) अ+दुहिर् अर्दने-क+माङ् माने-क्तिन्। अनष्टायां मित्यां ज्ञाने, (पूषकम्) पूष वृद्धौ-ण्वुल्। वृद्धिकरं व्यवहारम् ॥

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