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अथर्ववेद > काण्ड 1 > सूक्त 30

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  • अथर्ववेद - काण्ड 1/ सूक्त 30/ मन्त्र 1
    सूक्त - अथर्वा देवता - विश्वे देवाः छन्दः - त्रिष्टुप् सूक्तम् - दीर्घायुप्राप्ति सूक्त

    विश्वे॑ देवा॒ वस॑वो॒ रक्ष॑ते॒ममु॒तादि॒त्या जा॑गृ॒त यू॒यम॒स्मिन्। मेमं सना॑भिरु॒त वान्यना॑भि॒र्मेमं प्राप॒त्पौरु॑षेयो व॒धो यः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    विश्वे॑ । दे॒वा॒: । वस॑व: । रक्ष॑त । इ॒मम् । उ॒त । आ॒दि॒त्या: । जा॒गृ॒त । यू॒यम् । अ॒स्मिन् । मा । इ॒मम् । सऽना॑भि: । उ॒त । वा॒ । अ॒न्यऽना॑भि: । मा । इ॒मम् । प्र । आ॒प॒त् । पौरु॑षेय: । व॒ध: । य: ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    विश्वे देवा वसवो रक्षतेममुतादित्या जागृत यूयमस्मिन्। मेमं सनाभिरुत वान्यनाभिर्मेमं प्रापत्पौरुषेयो वधो यः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    विश्वे । देवा: । वसव: । रक्षत । इमम् । उत । आदित्या: । जागृत । यूयम् । अस्मिन् । मा । इमम् । सऽनाभि: । उत । वा । अन्यऽनाभि: । मा । इमम् । प्र । आपत् । पौरुषेय: । वध: । य: ॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 1; सूक्त » 30; मन्त्र » 1

    पदार्थ -

    १. (विश्वेदेवाः) = सब प्राकृतिक शक्तियो! (बसवः) = निवास के कारणभूत तत्वो! (इमम्) = इस व्यक्ति का (रक्षत) = तुम रक्षण करो। सब प्राकृतिक शक्तियों की अनुकूलता में ही मनुष्य के स्वास्थ्य का रक्षण होता है। जल-वायु आदि को प्रतिकूलता ही स्वास्थ्य का विकृत करती है। २. इन प्राकृत शक्तियों के अतिरिक्त माता-पिता, आचार्य आदि की सावधानता भी बालक के उत्तम निर्माण में बड़ा महत्व रखती है, अत: मन्त्र में कहा है कि (उत) = और (आदित्या:) = हे गुणों का

    आदान करनेवाले पुरुषो। (यूयम्) = आप सब (अस्मिन्) = इसके विषय में (जागृत) = जागते रहो सावधान रहो। आपकी जागरूकता ही इसके जीवन को विकृत होने से बचाएगी। ३. राष्ट्रीय व्यवस्था भी इसप्रकार उत्तम हो कि (इमम्) = इस पुरुष को (स-नाभिः) = समान बन्धनवाला कोई रिश्तेदार (उत वा) = अथवा (अन्यनाभि:) = अबन्धु (मा) = नष्ट करनेवाला न हो। (इमम्) = इसे (यः पौरुषेयः वध:) = जो किसी पुरुष से प्राप्त होनेवाला वध है, वह (मा प्रापत्) = मत प्राप्त हो। कोई चोर-डाकू भी इसका हनन करनेवाला न हो।

    भावार्थ -

    दीर्घ जीवन के लिए आवश्यक है कि [क] जल-वायु आदि देव अनुकूल हों, [ख] माता-पिता, आचार्य आदि जागरूक रहकर बालक का निर्माण करें, [ग] पारिवारिक व सामाजिक सम्बन्ध ठीक हों, [घ] राष्ट्रीय व्यवस्था उत्तम हो।

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