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अथर्ववेद > काण्ड 16 > सूक्त 6

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  • अथर्ववेद - काण्ड 16/ सूक्त 6/ मन्त्र 1
    सूक्त - उषा,दुःस्वप्ननासन देवता - प्राजापत्या अनुष्टुप् छन्दः - यम सूक्तम् - दुःख मोचन सूक्त

    अजै॑ष्मा॒द्यास॑नामा॒द्याभू॒मना॑गसो व॒यम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अजै॑ष्म । अ॒द्य । अस॑नाम । अ॒द्य । अभू॑म । अना॑गस: । व॒यम् ॥६.१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अजैष्माद्यासनामाद्याभूमनागसो वयम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अजैष्म । अद्य । असनाम । अद्य । अभूम । अनागस: । वयम् ॥६.१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 16; सूक्त » 6; मन्त्र » 1

    पदार्थ -
    १. (अद्य) = आज (अजैष्म) = हमने सब वासनाओं को जीता है। इसी उद्देश्य से (असनाम) [worship] = हमने प्रभुपूजन किया है और प्रभुपूजन द्वारा (वयम्) = हम (अद्य) = आज (अनागस: अभूम) = निष्पाप हुए हैं।

    भावार्थ - हम सदा वासनाओं को पराजित करने के लिए यत्नशील हों। इस वासना-संग्राम में विजय के लिए प्रभु का पूजन करें। यह प्रभुपूजन हमें निष्पाप बनाएगा।

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