अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 22/ मन्त्र 5
सूक्त - अङ्गिराः
देवता - मन्त्रोक्ताः
छन्दः - दैवी त्रिष्टुप्
सूक्तम् - ब्रह्मा सूक्त
ह॑रि॒तेभ्यः॒ स्वाहा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठह॒रि॒तेभ्यः॑। स्वाहा॑ ॥२२.५॥
स्वर रहित मन्त्र
हरितेभ्यः स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठहरितेभ्यः। स्वाहा ॥२२.५॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 22; मन्त्र » 5
विषय - अथर्व सूक्तों का संग्रह।
भावार्थ -
(हरितेभ्यः स्वाहा) हरितसूक्त जिनमें औषधि लता, वनस्पतियों का वर्णन है उनसे उत्तम ज्ञान प्राप्त करों।
टिप्पणी -
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - अंगिरा ऋषिः। मन्त्रोक्ता देवताः। १ साम्न्युष्णिक् ३, १९ प्राजापत्या गायत्री। ४, ७, ११, १७, दैव्यो जगत्यः। ५, १२, १३ दैव्यस्त्रिष्टुभः, २, ६, १४, १६, दैव्यः पंक्तयः। ८-१० आसुर्यो जगत्यः। १८ आसुर्यो अनुष्टुभः, (१०-२० एकावसानाः) २ चतुष्पदा त्रिष्टुभः। एकविंशत्यृचं समाससूक्तम्॥
इस भाष्य को एडिट करें