अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 22/ मन्त्र 1
सूक्त - अङ्गिराः
देवता - मन्त्रोक्ताः
छन्दः - साम्न्येकावसानोष्णिक्
सूक्तम् - ब्रह्मा सूक्त
आ॑ङ्गिर॒साना॑मा॒द्यैः पञ्चा॑नुवा॒कैः स्वाहा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठआ॒ङ्गि॒र॒साना॑म्। आ॒द्यैः। पञ्च॑। अ॒नु॒ऽवा॒कैः। स्वाहा॑ ॥२२.१॥
स्वर रहित मन्त्र
आङ्गिरसानामाद्यैः पञ्चानुवाकैः स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठआङ्गिरसानाम्। आद्यैः। पञ्च। अनुऽवाकैः। स्वाहा ॥२२.१॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 22; मन्त्र » 1
विषय - अथर्व सूक्तों का संग्रह।
भावार्थ -
(आङ्गिरसानाम्) आंगिरस वेद में कहे अनुवाकों में से (आद्यैः) आदि के (पञ्चानुवाकैः) पांच अनुवाकों से (स्वाहा) उत्तम ज्ञान प्राप्त करो।
टिप्पणी -
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ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - अंगिरा ऋषिः। मन्त्रोक्ता देवताः। १ साम्न्युष्णिक् ३, १९ प्राजापत्या गायत्री। ४, ७, ११, १७, दैव्यो जगत्यः। ५, १२, १३ दैव्यस्त्रिष्टुभः, २, ६, १४, १६, दैव्यः पंक्तयः। ८-१० आसुर्यो जगत्यः। १८ आसुर्यो अनुष्टुभः, (१०-२० एकावसानाः) २ चतुष्पदा त्रिष्टुभः। एकविंशत्यृचं समाससूक्तम्॥
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