Loading...

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 22/ मन्त्र 4
    सूक्त - अङ्गिराः देवता - मन्त्रोक्ताः छन्दः - दैवी जगती सूक्तम् - ब्रह्मा सूक्त

    नी॑लन॒खेभ्यः॒ स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    नी॒ल॒ऽन॒खेभ्यः॑। स्वाहा॑ ॥२२.४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    नीलनखेभ्यः स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    नीलऽनखेभ्यः। स्वाहा ॥२२.४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 22; मन्त्र » 4

    भावार्थ -
    (नीलनखेभ्यः स्वाहा) ‘नीलनख’ नामक उन सूक्तों से उत्तम ज्ञान प्राप्त करो जिनमें शस्त्रास्त्रों द्वारा दुष्ट पुरुषों के दमन करने का उपदेश किया गया है।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - अंगिरा ऋषिः। मन्त्रोक्ता देवताः। १ साम्न्युष्णिक् ३, १९ प्राजापत्या गायत्री। ४, ७, ११, १७, दैव्यो जगत्यः। ५, १२, १३ दैव्यस्त्रिष्टुभः, २, ६, १४, १६, दैव्यः पंक्तयः। ८-१० आसुर्यो जगत्यः। १८ आसुर्यो अनुष्टुभः, (१०-२० एकावसानाः) २ चतुष्पदा त्रिष्टुभः। एकविंशत्यृचं समाससूक्तम्॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top