अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 22/ मन्त्र 8
सूक्त - अङ्गिराः
देवता - मन्त्रोक्ताः
छन्दः - आसुरी जगती
सूक्तम् - ब्रह्मा सूक्त
प्र॑थ॒मेभ्यः॑ श॒ङ्खेभ्यः॒ स्वाहा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठप्र॒थ॒मेभ्यः॑। श॒ङ्खेभ्यः॑। स्वाहा॑ ॥२२.८॥
स्वर रहित मन्त्र
प्रथमेभ्यः शङ्खेभ्यः स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठप्रथमेभ्यः। शङ्खेभ्यः। स्वाहा ॥२२.८॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 22; मन्त्र » 8
विषय - अथर्व सूक्तों का संग्रह।
भावार्थ -
(प्रथमेभ्यः, द्वितीयेभ्यः तृतीयेभ्यः शंखभ्यः ३ स्वाहा ३) प्रथम, द्वितीय और तृतीय शंख सूक्तों का भी उत्तम ज्ञान प्राप्त करो। शंख सूक्त ‘शंनोदेवी’ आदि शान्तिगण में पठित सूक्त समझने चाहियें। वे तीन काण्डों में पृथक् वर्णित होने से प्रथम, द्वितीय, तृतीय नाम से कह गये हैं।
टिप्पणी -
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ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - अंगिरा ऋषिः। मन्त्रोक्ता देवताः। १ साम्न्युष्णिक् ३, १९ प्राजापत्या गायत्री। ४, ७, ११, १७, दैव्यो जगत्यः। ५, १२, १३ दैव्यस्त्रिष्टुभः, २, ६, १४, १६, दैव्यः पंक्तयः। ८-१० आसुर्यो जगत्यः। १८ आसुर्यो अनुष्टुभः, (१०-२० एकावसानाः) २ चतुष्पदा त्रिष्टुभः। एकविंशत्यृचं समाससूक्तम्॥
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