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  • अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 22/ मन्त्र 11
    सूक्त - अङ्गिराः देवता - मन्त्रोक्ताः छन्दः - दैवी जगती सूक्तम् - ब्रह्मा सूक्त

    उ॑पोत्त॒मेभ्यः॒ स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    उ॒प॒ऽउ॒त्त॒मेभ्यः॑। स्वाहा॑ ॥२२.११॥


    स्वर रहित मन्त्र

    उपोत्तमेभ्यः स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    उपऽउत्तमेभ्यः। स्वाहा ॥२२.११॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 22; मन्त्र » 11

    भावार्थ -
    (उपोत्तमेभ्यः उत्तमेभ्यः उत्तरेभ्यः स्वाहा ३) उत्तमों के समीप उपोत्तम, उत्तम और उत्तर इन तीन प्रकार के सूक्तों का भी ज्ञान करना चाहिये, मोक्ष विषयक सूक्त उत्तम, साधना विषयक सूक्त उपोत्तम, और कर्मकाण्ड विषयक या यज्ञ विषयक सूक्त उत्तर प्रतीत होते हैं।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - अंगिरा ऋषिः। मन्त्रोक्ता देवताः। १ साम्न्युष्णिक् ३, १९ प्राजापत्या गायत्री। ४, ७, ११, १७, दैव्यो जगत्यः। ५, १२, १३ दैव्यस्त्रिष्टुभः, २, ६, १४, १६, दैव्यः पंक्तयः। ८-१० आसुर्यो जगत्यः। १८ आसुर्यो अनुष्टुभः, (१०-२० एकावसानाः) २ चतुष्पदा त्रिष्टुभः। एकविंशत्यृचं समाससूक्तम्॥

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