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अथर्ववेद के काण्ड - 19 के सूक्त 22 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 22/ मन्त्र 11
    ऋषिः - अङ्गिराः देवता - मन्त्रोक्ताः छन्दः - दैवी जगती सूक्तम् - ब्रह्मा सूक्त
    45

    उ॑पोत्त॒मेभ्यः॒ स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    उ॒प॒ऽउ॒त्त॒मेभ्यः॑। स्वाहा॑ ॥२२.११॥


    स्वर रहित मन्त्र

    उपोत्तमेभ्यः स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    उपऽउत्तमेभ्यः। स्वाहा ॥२२.११॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 22; मन्त्र » 11
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    महाशान्ति के लिये उपदेश।

    पदार्थ

    (उपोत्तमेभ्यः) श्रेष्ठों के समीपवर्ती [ब्रह्मचारी आदि पुरुषों] के लिये (स्वाहा) स्वाहा [सुन्दर वाणी] हो ॥११॥

    भावार्थ

    स्पष्ट है ॥११॥

    टिप्पणी

    ११−(उपोत्तमेभ्यः) श्रेष्ठानां समीपवर्तिभ्यो ब्रह्मचार्यादिभ्यः ॥

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    विषय

    उपोत्तम-उत्तम-उत्तर

    पदार्थ

    १. गतमन्त्र के शान्तेन्द्रिय, अतएव (उपोत्तमेभ्यः) = उस उत्तमपुरुष प्रभु के समीप वास करनेवालों के लिए (स्वाहा) = हम प्रशंसात्मक शब्द कहते हैं। २. (उत्तमेभ्यः) [ब्रह्मभूतेभ्यः] = इन उत्तम-ब्रह्मप्राप्त पुरुषों के लिए (स्वाहा) = हम शुभ शब्द बोलते हैं। ३. (उत्तरेभ्यः) = संसार-सागर को उत्तीर्ण कर गये इन पुरुषों के लिए हम (स्वाहा) = अपने को अर्पित करते हैं [स्व हा] और उनकी भाँति हम भी भवसागर को तैरने के लिए यत्नशील होते हैं।

    भावार्थ

    हम प्रभु की उपासना करें। प्रभु को प्राप्त करें और भवसागर से उत्तीर्ण हो जाएँ।

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    भाषार्थ

    (उपोत्तमेभ्यः) उपोत्तम अर्थात् उत्तम पाशों के समीप वर्तमान पाशों को शिथिल करने के लिए (स्वाहा) समर्पण हो॥ ११॥

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    विषय

    अथर्व सूक्तों का संग्रह।

    भावार्थ

    (उपोत्तमेभ्यः उत्तमेभ्यः उत्तरेभ्यः स्वाहा ३) उत्तमों के समीप उपोत्तम, उत्तम और उत्तर इन तीन प्रकार के सूक्तों का भी ज्ञान करना चाहिये, मोक्ष विषयक सूक्त उत्तम, साधना विषयक सूक्त उपोत्तम, और कर्मकाण्ड विषयक या यज्ञ विषयक सूक्त उत्तर प्रतीत होते हैं।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    अंगिरा ऋषिः। मन्त्रोक्ता देवताः। १ साम्न्युष्णिक् ३, १९ प्राजापत्या गायत्री। ४, ७, ११, १७, दैव्यो जगत्यः। ५, १२, १३ दैव्यस्त्रिष्टुभः, २, ६, १४, १६, दैव्यः पंक्तयः। ८-१० आसुर्यो जगत्यः। १८ आसुर्यो अनुष्टुभः, (१०-२० एकावसानाः) २ चतुष्पदा त्रिष्टुभः। एकविंशत्यृचं समाससूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Chhandas

    Meaning

    Svaha for cure of the penultimates and release from penultimate bonds.

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    Translation

    Svaha to the hymns of the last but one chapter.

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    Translation

    Attain the knowledge of penultimate of orderly things and appreciate them,

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    Translation

    The suktas that are better, the near-best and the best should be completely studied.

    Footnote

    (11.-13) ‘The better’: concerning sacrifice, or action. ‘The near best’—concerning preparation for salvation by yogic exercises. ‘The best’—concerning the state of bliss. Pt. Khem Karan Das Trivedi has given a different rendering to this as well as to the next hymn. But it seems to far-fetch the meanings of the numbers, given herein and the next hymn, too.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ११−(उपोत्तमेभ्यः) श्रेष्ठानां समीपवर्तिभ्यो ब्रह्मचार्यादिभ्यः ॥

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