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ऋग्वेद मण्डल - 10 के सूक्त 120 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 10/ सूक्त 120/ मन्त्र 5
    ऋषिः - बृहद्दिव आथर्वणः देवता - इन्द्र: छन्दः - निचृत्त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः

    त्वया॑ व॒यं शा॑शद्महे॒ रणे॑षु प्र॒पश्य॑न्तो यु॒धेन्या॑नि॒ भूरि॑ । चो॒दया॑मि त॒ आयु॑धा॒ वचो॑भि॒: सं ते॑ शिशामि॒ ब्रह्म॑णा॒ वयां॑सि ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    त्वया॑ । व॒यम् । शा॒श॒द्म॒हे॒ । रणे॑षु । प्र॒ऽपश्य॑न्तः । यु॒धेन्या॑नि । भूरि॑ । चो॒दया॑मि । ते॒ । आयु॑धा । वचः॑ऽभिः । सम् । ते॒ । शि॒शा॒मि॒ । ब्रह्म॑णा । वयां॑सि ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    त्वया वयं शाशद्महे रणेषु प्रपश्यन्तो युधेन्यानि भूरि । चोदयामि त आयुधा वचोभि: सं ते शिशामि ब्रह्मणा वयांसि ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    त्वया । वयम् । शाशद्महे । रणेषु । प्रऽपश्यन्तः । युधेन्यानि । भूरि । चोदयामि । ते । आयुधा । वचःऽभिः । सम् । ते । शिशामि । ब्रह्मणा । वयांसि ॥ १०.१२०.५

    ऋग्वेद - मण्डल » 10; सूक्त » 120; मन्त्र » 5
    अष्टक » 8; अध्याय » 7; वर्ग » 1; मन्त्र » 5
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    हिन्दी (1)

    पदार्थ

    (त्वया) तेरी सहायता से (वयं) हम (युद्धेषु) युद्धों में शत्रुओं को (शाशद्महे) नष्ट करें (युधेन्यानि) युद्ध करने योग्य शास्त्रों को (प्रपश्यन्तः) प्रकृष्टरूप से जानते हुए (ते वचोभिः) तेरे आदेशों से (आयुधानि) शास्त्रों को (प्रेरयामि) फेंकता हूँ (ते ब्रह्मणा) तेरे ब्रह्मास्त्र से (वयांसि) बाणफलकों को (सं शिशामि) तीक्ष्ण करता हूँ ॥५॥

    भावार्थ

    जितना भी कोई शस्त्रचालक हो, उसे परमात्मा के सहाय्य से युद्ध में शस्त्र चलाकर शत्रु पर जय पाने की प्रार्थना करनी चाहिये। अपने शस्त्रों को तीक्ष्ण बनाना, विजय पाना चाहिये ॥५॥

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    संस्कृत (1)

    पदार्थः

    (त्वया वयं रणेषु शाशद्महे) त्वया त्वत्सहायतया वयं युद्धेषु शत्रून् शातयामो नाशयामः (युधेन्यानि भूरि प्रपश्यन्तः) योधनार्हाणि शस्त्राणि बहूनि प्रकृष्टं जानन्तः (ते वचोभिः) तवादेशैः (आयुधानि-प्रेरयामि) शस्त्राणि प्रक्षिपामि (ते ब्रह्मणा) तव ब्रह्मास्त्रेण (वयांसि सं शिशामि) बाणफलकानि तीक्ष्णीकरोमि ॥५॥

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    इंग्लिश (1)

    Meaning

    With your divine inspiration, well knowing the weapons of war, we fight out the enemies of life in the battles of humanity. I strengthen and calibrate the arms and ammunitions for battle by your divine words, and by the same divine formula I sharpen the target efficacy of the arrows and missiles of defence and offence.

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    मराठी (1)

    भावार्थ

    कितीही मोठा शस्त्रचालक असो, त्याला परमात्म्याच्या साह्याने युद्धात शस्त्राने लढाई करून शत्रूवर विजय मिळविण्यासाठी प्रार्थना केली पाहिजे. आपले शस्त्र तीक्ष्ण बनवून विजय प्राप्त केला पाहिजे. ॥५॥

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