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ऋग्वेद मण्डल - 10 के सूक्त 90 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 10/ सूक्त 90/ मन्त्र 13
    ऋषिः - नारायणः देवता - पुरुषः छन्दः - निचृदनुष्टुप् स्वरः - गान्धारः

    च॒न्द्रमा॒ मन॑सो जा॒तश्चक्षो॒: सूर्यो॑ अजायत । मुखा॒दिन्द्र॑श्चा॒ग्निश्च॑ प्रा॒णाद्वा॒युर॑जायत ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    च॒न्द्रमा॑ । मन॑सः । जा॒तः । चक्षोः॑ । सूर्यः॑ । अ॒जा॒य॒त॒ । मुखा॑त् । इन्द्रः॑ । च॒ । अ॒ग्निः । च॒ । प्रा॒णात् । वा॒युः । अ॒जा॒य॒त॒ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षो: सूर्यो अजायत । मुखादिन्द्रश्चाग्निश्च प्राणाद्वायुरजायत ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    चन्द्रमा । मनसः । जातः । चक्षोः । सूर्यः । अजायत । मुखात् । इन्द्रः । च । अग्निः । च । प्राणात् । वायुः । अजायत ॥ १०.९०.१३

    ऋग्वेद - मण्डल » 10; सूक्त » 90; मन्त्र » 13
    अष्टक » 8; अध्याय » 4; वर्ग » 19; मन्त्र » 3
    Acknowledgment

    हिन्दी (1)

    पदार्थ

    (मनसः-चन्द्रमाः जातः) समष्टि पुरुष के मननसामर्थ्य से चन्द्रमा उत्पन्न हुआ (चक्षोः-सूर्यः-अजायत) उसके ज्योतिर्मयस्वरूप से सूर्य उत्पन्न हुआ (मुखात्-इन्द्रः-च अग्निः-च) उसके प्रमुख बल से विद्युत् और अग्नि उत्पन्न हुए (प्राणात्-वायुः-अजायत) प्राण शक्ति से वायु उत्पन्न हुआ ॥१३॥

    भावार्थ

    परमात्मा ने अपनी मननशक्ति से चन्द्रमा को उत्पन्न किया, ज्योतिर्मयस्वरूप से सूर्य को, प्रमुख बल से विद्युत् और अग्नि को और प्राणन शक्ति से वायु को उत्पन्न किया ॥१३॥

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    संस्कृत (1)

    पदार्थः

    (मनसः-चन्द्रमाः-जातः) समष्टिपुरुषस्य मननसामर्थ्याच्चन्द्रमाः जातः (चक्षोः-सूर्यः-अजायत) तस्य ज्योतिर्मयस्वरूपात् सूर्य उत्पन्नः (मुखात्-इन्द्रः-च-अग्निः-च) मुखात् प्रमुखबलात्-खल्विन्द्रो विद्युच्चाग्निश्च जातः (प्राणात्-वायुः-अजायत) प्राणशक्तेर्वायुरुत्पन्नः ॥१३॥

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    इंग्लिश (1)

    Meaning

    The moon is bom of the cosmic mind, the sun is born of the eye, the fire and energy is born from the mouth and the wind is born from the breath.

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    मराठी (1)

    भावार्थ

    परमात्म्याने आपल्या मननशक्तीने चंद्र उत्पन्न केला. ज्योतिर्मयस्वरूपाने सूर्य प्रमुख बलाने विद्युत व अग्नी आणि प्राण शक्तीने वायू उत्पन्न केला. ॥१३॥

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