Loading...
अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 49 के मन्त्र
मन्त्र चुनें
  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 49/ मन्त्र 5
    ऋषिः - नोधाः देवता - इन्द्रः छन्दः - प्रगाथः सूक्तम् - सूक्त-४९
    39

    द्यु॒क्षं सु॒दानुं॒ तवि॑षीभि॒रावृ॑तं गि॒रिं न पु॑रु॒भोज॑सम्। क्षु॒मन्तं॒ वाजं॑ श॒तिनं॑ सह॒स्रिणं॑ म॒क्षू गोम॑न्तमीमहे ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    द्यु॒क्षम् । सु॒ऽदानु॑म् । तावि॑षीभि: । आऽवृ॑तम् । गि॒रिम् । न । पु॒रु॒ऽभोज॑सम् ॥ क्षु॒ऽमन्त॑म् । वाज॑म् । श॒तिन॑म् । स॒ह॒स्रिण॑म् । म॒क्षु॒ । गोऽम॑न्तम् । ई॒म॒हे॒ ॥४९.५॥


    स्वर रहित मन्त्र

    द्युक्षं सुदानुं तविषीभिरावृतं गिरिं न पुरुभोजसम्। क्षुमन्तं वाजं शतिनं सहस्रिणं मक्षू गोमन्तमीमहे ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    द्युक्षम् । सुऽदानुम् । ताविषीभि: । आऽवृतम् । गिरिम् । न । पुरुऽभोजसम् ॥ क्षुऽमन्तम् । वाजम् । शतिनम् । सहस्रिणम् । मक्षु । गोऽमन्तम् । ईमहे ॥४९.५॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 49; मन्त्र » 5
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    ईश्वर की उपासना का उपदेश।

    पदार्थ

    (द्युक्षम्) व्यवहारों में गतिवाले, (सुदानुम्) बड़े दानी, (तविषीभिः) सेनाओं से (आवृतम्) भरपूर, (गिरिम् न) मेघ के समान (पुरुभोजसम्) बहुत पालन करनेवाले (क्षुमन्तम्) अन्नवाले, (वाजम्) बलवाले, (शतिनम्) सैकड़ों उत्तम पदार्थोंवाले, (सहस्रिणम्) सहस्रों श्रेष्ठ गुणवाले, (गोमन्तम्) उत्तम गौओंवाले [शूर पुरुष] को (मक्षु) शीघ्र [इन्द्र परमात्मा से] (ईमहे) हम माँगते हैं ॥॥

    भावार्थ

    मनुष्य परमात्मा से प्रार्थना करके प्रयत्न करें कि वे अपने सन्तानों अधिकारियों और प्रजाजनों सहित शूरवीर होकर व्यवहारकुशल होवें ॥॥

    टिप्पणी

    ४-७−एते मन्त्रा व्याख्याताः-अ० २०।९।१-४ ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    'द्युक्ष सुदानु' प्रभु

    पदार्थ

    १. हम उस प्रभु से (मक्षु) = शीन (वाजम्) = बल को (ईमहे) = माँगते हैं, जो बल (क्षुमन्तम्) = प्रभु के स्तवन से युक्त है [क्षु शब्दे], (शतिनम्) = सौ-के-सौ वर्ष तक स्थिर रहता है अथवा शतवर्ष के जीवन को प्राप्त कराता है। (सहस्त्रिणम्) = [सहस्]-जीवन को आनन्दयुक्त रखता है तथा (गोमन्तम्) = प्रशस्त इन्द्रियोंवाला है। २. उन प्रभु से हम बल की याचना करते हैं जोकि धुक्षम् ज्ञानज्योति में निवास करनेवाले हैं। (सुदानम्) = ज्ञान के द्वारा वासनाओं का खण्डन करनेवाले हैं। (तविषीभिः आवृतम्) = बलों से आवृत्त हैं-बल के पुञ्ज हैं। ये प्रभु शक्ति प्राप्त कराके हमारा रक्षण करते हैं।

    भावार्थ

    प्रभु ज्ञान व शक्ति के पुञ्ज हैं। प्रभु से हम भी उस बल की याचना करते हैं, जो ज्ञान व स्तवन से युक्त है।

    इस भाष्य को एडिट करें

    भाषार्थ

    (द्युक्षम्) द्युलोक में भी निवास करनेवाले, (सुदानुम्) उत्तमदानी, (तविषीभिः) नाना शक्तियों से (आवृतम्) घिरे हुये, अर्थात् नानाशक्तियों से सम्पन्न, (गिर न) पर्वत के सदृश अचल, (पुरुभोजसम्) सबके पालक, (क्षुमन्तम्) वैदिकशब्दों के स्वामी, (वाजम्) बलस्वरूप, (शतिनं सहस्रिणम्) सैकड़ों और हजारों लोक-लोकान्तरों के स्वामी, (गोमन्तम्) और हमारी इन्द्रियों के भी स्वामी को (मक्षू) शीघ्र (ईमहे) हम प्राप्त होते हैं, और इस निमित्त उससे प्रार्थनाएँ करते हैं।

    टिप्पणी

    [क्षुमन्तम्=क्षु (शब्दे)+मतुप्। मक्षू=क्षिप्रम् (निघं০ २.१५)। ईमहे=ई गतौ। तथा ईमहे याञ्चाकर्मा (निघं০ ३.१९)। गिर न=अथवा मेघ के सदृश पालक तथा भोजनदाता। मेघ वर्षा द्वारा पालन करता तथा भोजन-सामग्री देता है। गिरि=मेघ (निघं০ १.१०)।]

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    ईश्वरोपासना।

    भावार्थ

    (४-७) इन चार मन्त्रों की व्याख्या देखो अथर्ववेद काण्ड २०। ९। १-४॥

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    ऋषिः—१,३ खिलः, ४,५ नोधाः, ६,७ मेध्यातिथिः॥ देवता—इन्द्रः॥ छन्दः- १-३ गायत्री, ४-७ बार्हतः प्रगाथः (समाबृहती+विषमा—सतोबृहती)॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    इंग्लिश (4)

    Subject

    Indra Devata

    Meaning

    We pray to Indra, lord of light, omnificent, hallowed with heavenly glory, universally generous like clouds of shower, and we ask for food abounding in strength and nourishment and for hundredfold and thousandfold wealth and prosperity abounding in lands, cows and the graces of literature and culture, and we pray for the gift instantly.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    We ardently ask self-refulgent bounteous God who is covered with his might and like mountain is endowed with plentiful protective powers, for wealth full of corn, blessee with cows and brought in hundred fold and thousand fold.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    We ardently ask self-refulgent bounteous God who is covered with his might and like mountain is endowed with plentiful protective powers, for wealth full of corn, blessee with cows and brought in hundred fold and thousand fold.

    इस भाष्य को एडिट करें

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ४-७−एते मन्त्रा व्याख्याताः-अ० २०।९।१-४ ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    बंगाली (2)

    मन्त्र विषय

    ঈশ্বরোপাসনোপদেশঃ

    भाषार्थ

    (দ্যুক্ষম্) ব্যবহারে গতিযুক্ত, (সুদানুম্) উত্তমদাতা, (তবিষীভিঃ) সেনাদ্বারা (আবৃতম্) পরিপূর্ণ (গিরিম্ ন) মেঘের সমান (পুরুভোজসম্) অনেকের পালনকারী, (ক্ষুমন্তম্) অন্নযুক্ত, (বাজম্) বলযুক্ত, (শতিনম্) শত শত উত্তম পদার্থসম্পন্ন (সহস্রিণম্) সহস্র শ্রেষ্ঠ, গুণযুক্ত, (গোমন্তম্) উত্তম গাভীসম্পন্ন [বীর পুরুষ] কে (মক্ষূ) শীঘ্রই [ইন্দ্র পরমাত্মার প্রতি] (ঈমহে) আমরা প্রার্থনা করি ॥৫॥

    भावार्थ

    মনুষ্য পরমাত্মার প্রতি প্রার্থনা করে প্রচেষ্টা করুক, যাতে তাঁরা নিজেদের সন্তান, অধিকারী এবং প্রজাদের সহিত বীর হয়ে ব্যবহারকুশল হয় ॥৫॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    भाषार्थ

    (দ্যুক্ষম্) দ্যুলোকের মধ্যেও নিবাসকারী, (সুদানুম্) উত্তমদানী, (তবিষীভিঃ) নানা শক্তি দ্বারা (আবৃতম্) আবৃত, অর্থাৎ নানাশক্তিসম্পন্ন, (গির ন) পর্বতের সদৃশ অচল, (পুরুভোজসম্) সর্বপালক, (ক্ষুমন্তম্) বৈদিকশব্দ-সমূহের স্বামী, (বাজম্) বলস্বরূপ, (শতিনং সহস্রিণম্) শত এবং সহস্র লোক-লোকান্তরের স্বামী, (গোমন্তম্) এবং আমাদের ইন্দ্রিয়-সমূহেরও স্বামীকে (মক্ষূ) শীঘ্র (ঈমহে) আমরা প্রাপ্ত হই, এবং এই নিমিত্ত উনার প্রতি প্রার্থনা করি।

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top