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अथर्ववेद के काण्ड - 3 के सूक्त 30 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 30/ मन्त्र 3
    ऋषिः - अथर्वा देवता - चन्द्रमाः, सांमनस्यम् छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - सांमनस्य सूक्त
    192

    मा भ्राता॒ भ्रात॑रं द्विक्ष॒न्मा स्वसा॑रमु॒त स्वसा॑। स॒म्यञ्चः॒ सव्र॑ता भू॒त्वा वाचं॑ वदत भ॒द्रया॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    मा । भ्राता॑ । भ्रात॑रम् । द्वि॒क्ष॒त् । मा । स्वसा॑रम् । उ॒त । स्वसा॑ । स॒म्यञ्च॑: । सऽव्र॑ता: । भू॒त्वा । वाच॑म् । व॒द॒त॒ । भ॒द्रया॑ ॥३०.३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    मा भ्राता भ्रातरं द्विक्षन्मा स्वसारमुत स्वसा। सम्यञ्चः सव्रता भूत्वा वाचं वदत भद्रया ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    मा । भ्राता । भ्रातरम् । द्विक्षत् । मा । स्वसारम् । उत । स्वसा । सम्यञ्च: । सऽव्रता: । भूत्वा । वाचम् । वदत । भद्रया ॥३०.३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 3; सूक्त » 30; मन्त्र » 3
    Acknowledgment

    हिन्दी (5)

    विषय

    परस्पर मेल का उपदेश।

    पदार्थ

    (भ्राता) भ्राता (भ्रातरम्) भ्राता से (मा द्विक्षत्) द्वेष न करे (उत) और (स्वसा) बहिन (स्वसारम्) बहिन से भी (मा) नहीं। (सम्यञ्चः) एक मत वाले और (सव्रताः) एकव्रती (भूत्वा) होकर (भद्रया) कल्याणी रीति से (वाचम्) वाणी (वदत) बोलो ॥३॥

    भावार्थ

    भाई-भाई, बहिन-बहिन और सब कुटुम्बी नियमपूर्वक मेल से वैदिक रीति पर चलकर सुख भोगें ॥३॥

    टिप्पणी

    ३−(भ्राता) अ० १।१४।२। भ्राजते यः। सहोदरः। (मा द्विक्षत्) मा द्विष्यात्। (स्वसारम्) अ० १।२८।४। भगिनीम्। (सम्यञ्चः)। ऋत्विग्दधृक्०। पा० ३।२।५९। इति सम्+अञ्चू गतिपूजनयोः-क्विन्। समः समि। पा० ६।३।९३। इति समि इत्यादेशः। समञ्चनाः सङ्गताः। समानज्ञानाः। सम्यक् पूजनशीलाः। (सव्रताः) सहकर्माणः। (वाचम्) वाणीम्। (वदत) कथयत। (भद्रया) कल्याण्या रीत्या। अन्यत् स्पष्टम् ॥

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    विषय

    परस्पर प्रेम व भद्र व्यवहार

    पदार्थ

    १. (भ्राता भातरं मा द्विक्षत्) = भाई-भाई से द्वेष न करे (उत) = और (स्वसा) = बहिन (स्वसारम् मा) = बहिन से द्वेष न करे। २. (सम्यञ्च:) = समान गतिवाले (सवता: भूत्वा) = समान कर्मोवाले होकर (भद्रया) = बड़ी कल्याणमयी रीति से (वाचं वदत) = वाणी को बोलो, परस्पर भद्रता से वार्तालाप करो।

    भावार्थ

    भाई-बहिनों में परस्पर प्रेम हो। सब परस्पर अविरुद्ध गतिवाले हों और वाणी को भद्रता से बोलें।

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    पदार्थ

    शब्दार्थ =  ( मा भ्राता भ्रातरं द्विक्षत् ) = भाई-भाई के साथ द्वेष न करे  ( मा स्वसारमुत स्वसा ) = बहिन - बहिन के साथ द्वेष न करे ।  ( सम्यञ्चः ) = एक मतवाले और  ( सव्रता: ) = एकव्रत  ( भूत्वा ) = हो कर  ( भद्रया ) = कल्याणी रीति से  ( वाचं ) = वाणी को  ( वदत ) = बोलें ।

    भावार्थ

    भावार्थ = भाई-भाई और बहिन-बहिन आपस में कभी द्वेष न करें। यह आपस में मिल कर एक मतवाले, एक व्रतवाले होकर एक दूसरे को शुभवाणी से बोलते हुए सुख के भागी बनें ।

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    भाषार्थ

    (मा)(भ्राता) भाई (भ्रातरम्) भाई के साथ (द्विक्षत्) द्वेष करे, (मा)(स्वसा) बहिन (स्वसारम्) बहिन के साथ द्वेष करे। (सम्यञ्च:) सम्यक् व्यवहारोंवाले, (सव्रताः) तथा समान कर्मोवाले (भूत्वा) होकर, (भद्रया) सुखदायक तरीके के साथ (वाचम् वदत) वाणी बोला करो।

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    विषय

    परस्पर मिलकर एक चित्त होकर रहने का उपदेश ।

    भावार्थ

    (भ्राता भ्रातरं स्वसारम् मा द्विक्षत्) भाई भाई से और बहिन से द्वेष न करे (उत) और (स्वसा स्वसारं भ्रातरं मा) बहिन अपनी बहिन से और भाई से द्वेष न करे ! हे प्रजाजनो ! सब (सम्यञ्चः) एकत्र होकर (सव्रताः) एक दूसरे के अनुकूल, एकचित्त और एक ही उद्देश्य में होकर (भद्रया) कल्याण और सुखप्रद रीति से (वाचं वदत) एक दूसरे के प्रति वाणी बोला करो ।

    टिप्पणी

    ‘भ्रातर द्विष्यात् (च०) वदतु’ इति सायणः।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    अथर्वा ऋषिः। चन्द्रमाः सामनस्यञ्च देवता। १-४ अनुष्टुभः। ५ विराड् जगती। ६ प्रस्तार पंक्तिः। ७ त्रिष्टुप्। सप्तर्चं सूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Love and Unity

    Meaning

    Let not brother hate brother nor sister hate sister. Let all, united in love and cooperation, dedicated to common values and like ideals, speak with language conducive to the realisation of common and universal good.

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    Translation

    Let no brother cherish malice against a brother, nor a sister against her sister. Becoming accordant to each other in thoughts and intents, speak your speech in friendly way.

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    Translation

    Let not a brother hate his brother and let not a sister hate her sister. Let all of them speak with another in a very gentle term being united in their mind and keeping common ideal and goal of life before them.

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    Translation

    Let no brother hate his brother, no sister to sister be unkind. Unanimous, with one intent, speak ye your speech in friendliness.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ३−(भ्राता) अ० १।१४।२। भ्राजते यः। सहोदरः। (मा द्विक्षत्) मा द्विष्यात्। (स्वसारम्) अ० १।२८।४। भगिनीम्। (सम्यञ्चः)। ऋत्विग्दधृक्०। पा० ३।२।५९। इति सम्+अञ्चू गतिपूजनयोः-क्विन्। समः समि। पा० ६।३।९३। इति समि इत्यादेशः। समञ्चनाः सङ्गताः। समानज्ञानाः। सम्यक् पूजनशीलाः। (सव्रताः) सहकर्माणः। (वाचम्) वाणीम्। (वदत) कथयत। (भद्रया) कल्याण्या रीत्या। अन्यत् स्पष्टम् ॥

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    बंगाली (3)

    পদার্থ

    মা ভ্রাতা ভ্রাতরং দ্বিক্ষন্মা স্বসারমুত স্বসা ।

    সম্যঞ্চঃ সব্রতা ভূত্বা বাচং বদত ভদ্রয়া ।।৯৩।।

    (অথর্ব ৩।৩০।৩)

    পদার্থঃ (মা ভ্রাতা ভ্রাতরং দ্বিক্ষন্) ভাই যেন ভাইয়ের সাথে দ্বেষ না করে (মা স্বসারং উত স্বসা) এবং বোন যেন বোনের সাথে দ্বেষ না করে। (সম্যঞ্চঃ) এক মত ও (সব্রতা) এক ব্রতী (ভূত্বা) হয়ে যেন সকলে (ভদ্রয়া) একে অপরকে শুভ (বাচম্) কথা (বদত) বলে।

     

    ভাবার্থ

    ভাবার্থঃ মানবজাতির আমরা সকলে পরস্পর ভাই-বোন। নিজের পরিবারের ভাই-বোন এর মতই আমরা নিজেদের ভেতর যেন কখনো দ্বেষ না করি। আমরা যেন একসাথে মিলে এক মত, এক পথ, এক ব্রতযুক্ত হয়ে একে অন্যের উদ্দেশ্যে শুভবাণী বলি ও এভাবে সুখী ও আদর্শ জীবনযাপন করি ।।৯৩।।

     

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    भाषार्थ

    (মা) না (ভ্রাতা) ভাই (ভ্রাতরম্‌) ভাই-এর সাথে (দ্বিক্ষৎ) দ্বেষ করবে, (মা) না (স্বসা) বোন (স্বসারম্) বোনের সাথে দ্বেষ করবে। (সম্যঞ্চঃ) সম্যক আচরণকারী হয়ে, (সব্রতাঃ) এবং সমান কর্মকারী (ভূত্বা) হয়ে, (ভদ্রয়া) সুখদায়ক রীতিতে (বাচম্ বদত) বাণী বলো।

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    मन्त्र विषय

    পরস্পরপ্রীত্যুদেশঃ

    भाषार्थ

    (ভ্রাতা) ভ্রাতা (ভ্রাতরম্) ভ্রাতার সাথে (মা দ্বিক্ষৎ) দ্বেষ না করুক (উত) এবং (স্বসা) বোন (স্বসারম্) বোনের সাথেও (মা) না [দ্বেষ করুক]। (সম্যঞ্চঃ) ঐকমত্য এবং (সব্রতাঃ) সমান ব্রতী (ভূত্বা) হয়ে (ভদ্রয়া) কল্যাণী রীতিতে (বাচম্) বাণী (বদত) বলুক ॥৩॥

    भावार्थ

    ভাই ভাই, বোন বোন, এবং সমস্ত আত্মীয় নিয়মপূর্বক পরস্পরের সাথে প্রীতিপূর্বক বৈদিক রীতিতে চালিত হয়ে সুখ ভোগ করুক ॥৩॥

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