अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 23/ मन्त्र 5
ये क्रिम॑यः शिति॒कक्षा॒ ये कृ॒ष्णाः शि॑ति॒बाह॑वः। ये के च॑ वि॒श्वरू॑पा॒स्तान्क्रिमी॑न् जम्भयामसि ॥
स्वर सहित पद पाठये । क्रिम॑य: । शि॒ति॒ऽकक्षा॑: । ये । कृ॒ष्णा: । शि॒ति॒ऽबाह॑व: । ये । के । च॒ । वि॒श्वऽरू॑पा: । तान् । क्रिमी॑न् । ज॒म्भ॒या॒म॒सि॒ ॥२३.५॥
स्वर रहित मन्त्र
ये क्रिमयः शितिकक्षा ये कृष्णाः शितिबाहवः। ये के च विश्वरूपास्तान्क्रिमीन् जम्भयामसि ॥
स्वर रहित पद पाठये । क्रिमय: । शितिऽकक्षा: । ये । कृष्णा: । शितिऽबाहव: । ये । के । च । विश्वऽरूपा: । तान् । क्रिमीन् । जम्भयामसि ॥२३.५॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
छोटे-छोटे दोषों के नाश का उपदेश।
पदार्थ
(ये) जो (क्रिमयः) कीड़े (शितिकक्षाः) काली काँखवाले, (ये) जो (कृष्णाः) काले वर्णवाले और (कृष्णबाहवः) काली भुजाओंवाले, (च) और (ये के) जो कोई (विश्वरूपाः) सब वर्णवाले हैं, (तान्) उन (क्रिमीन्) कीड़ों को (जम्भयामसि) हम नष्ट करते हैं ॥५॥
भावार्थ
मन्त्र ४ के समान ॥५॥
टिप्पणी
५−(ये) (क्रिमयः) कीटाः (शितिकक्षाः) कृष्णकक्षावन्तः (कृष्णाः) श्यामवर्णाः (शितिबाहवः) कृष्णभुजाः (के) केचित् (च) (विश्वरूपाः) सर्ववर्णाः (तान्) पूर्वोक्तान् (क्रिमीन्) कीटान् (जम्भयामसि) नाशयामः ॥
विषय
शितिकक्षा:, शितिबाहव:
पदार्थ
१. (ये) = जो (क्रिमय:) = कृमि (शितिकक्षा:) = श्वेत कोखवाले हैं, (ये) = जो (कृष्णा: शितिबाहवः) = काले व श्वेत भुजाओंवाले हैं (च) = और (ये के) = जो कोई (विश्वरूपा:) = विविध रूपोंवाले हैं, (तान्) = उन (क्रिमीन) = क्रिमियों को (जम्भयामसि) = हम विनष्ट करते हैं।
भावार्थ
'शितिकक्ष, शितिबाहु व विश्वरूप' सब कृमियों को विनष्ट किया जाए।
भाषार्थ
(ये क्रिमयः) जो क्रिमि हैं (शितिकक्षा:) श्वेत कोखोंवाले, (ये) जो हैं (कृष्णाः, शितिबाहव:) काले परन्तु श्वेत बाहुओंवाले, (ये, के, च) और जो कोई हैं (विश्वरूपाः) नानाविध रूपोंवाले (तान क्रिमीन्) उन क्रिमियों को (जम्भयामसि) हम नष्ट करते हैं।
टिप्पणी
[ये जीवाणु क्रिमि-हिंसक हैं, अतः इनके नाश का कथन हुआ है। ये क्रिमि जीवाणुरूप हैं, जिनका कि रुरणकुमार के साथ सम्बन्ध है, यह अभिप्राय प्रतीत होता है। यदि ये 'जीवाणु' रूप हैं, तो सम्भवत: माइक्रोस्कोप यन्त्र द्वारा, या योगज दृष्टि द्वारा देखने पर इन जीवाणुओं के भी सूक्ष्म 'कक्ष, बाहु' हों।]
विषय
रोगकारी जन्तुओं के नाश का उपदेश।
भावार्थ
(ये) जो (क्रिमयः) क्रिमि, कीट (शिति-कक्षाः) श्वेत कोख वाले हैं और (ये कृष्णाः) जो काले हैं, और जो (शिति-बाहवः) सफेद पैरों वाले हैं और (ये के च विश्व-रूपाः) जो कोई नाना रूप हैं। (तान् क्रिमीन्) उन क्रिमियों को हम (जम्भयामसि) विनाश करें।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
कण्व ऋषिः। क्रिमिजम्भनाय देवप्रार्थनाः। इन्द्रो देवता। १-१२ अनुष्टुभः ॥ १३ विराडनुष्टुप। त्रयोदशर्चं सूक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Subject
Destruction of Germs
Meaning
The worms and germs with white sides, those black ones with white arms, those of different forms and varieties, all these we destroy.
Translation
The worms that have white sides, or that are black with white arms, and whosoever are of various shapes and forms, all those worms we hereby utterly destroy.
Translation
We completely destroy the worms which have white sides, which are biack having black arms and those which have multifarious forms.
Translation
Worms that are white-flanked, those that are black, and those with white-hued arms, all that show various tints and hues, these worms we utterly destroy.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
५−(ये) (क्रिमयः) कीटाः (शितिकक्षाः) कृष्णकक्षावन्तः (कृष्णाः) श्यामवर्णाः (शितिबाहवः) कृष्णभुजाः (के) केचित् (च) (विश्वरूपाः) सर्ववर्णाः (तान्) पूर्वोक्तान् (क्रिमीन्) कीटान् (जम्भयामसि) नाशयामः ॥
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