Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 11/ मन्त्र 52
    ऋषिः - सिन्धुद्वीप ऋषिः देवता - आपो देवताः छन्दः - गायत्री स्वरः - षड्जः
    1

    तस्मा॒ऽअं॑र गमाम वो॒ यस्य॒ क्षया॑य॒ जिन्व॑थ। आपो॑ ज॒नय॑था च नः॥५२॥

    स्वर सहित पद पाठ

    तस्मै॑। अर॑म्। ग॒मा॒म॒। वः॒। यस्य॑। क्षया॑य। जिन्व॑थ। आपः॑। ज॒नय॑थ। च॒। नः॒ ॥५२ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    तस्माऽअरङ्गमाम वो यस्य क्षयाय जिन्वथ । आपो जनयथा च नः ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    तस्मै। अरम्। गमाम। वः। यस्य। क्षयाय। जिन्वथ। आपः। जनयथ। च। नः॥५२॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 11; मन्त्र » 52
    Acknowledgment

    Translation -
    May we have enough of your that sap to our full satisfaction with which you nourish the whole world. And may we be born for this again. (1)

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top