Loading...
अथर्ववेद > काण्ड 19 > सूक्त 17

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 17/ मन्त्र 3
    सूक्त - अथर्वा देवता - मन्त्रोक्ताः छन्दः - जगती सूक्तम् - सुरक्षा सूक्त

    सोमो॑ मा रु॒द्रैर्दक्षि॑णाया दि॒शः पा॑तु॒ तस्मि॑न्क्रमे॒ तस्मि॑ञ्छ्रये॒ तां पुरं॒ प्रैमि॑। स मा॑ रक्षतु॒ स मा॑ गोपायतु॒ तस्मा॑ आ॒त्मानं॒ परि॑ ददे॒ स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    सोमः॑। मा॒। रु॒द्रैः। दक्षि॑णायाः। दि॒शः। पा॒तु॒। तस्मि॑न्। क्र॒मे॒। तस्मि॑न्। श्र॒ये॒। ताम्। पुर॑म्। प्र। ए॒मि॒। सः। मा॒। र॒क्ष॒तु॒। सः। मा॒। गो॒पा॒य॒तु॒। तस्मै॑। आ॒त्मान॑म्। परि॑। द॒दे॒। स्वाहा॑ ॥१७.३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सोमो मा रुद्रैर्दक्षिणाया दिशः पातु तस्मिन्क्रमे तस्मिञ्छ्रये तां पुरं प्रैमि। स मा रक्षतु स मा गोपायतु तस्मा आत्मानं परि ददे स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    सोमः। मा। रुद्रैः। दक्षिणायाः। दिशः। पातु। तस्मिन्। क्रमे। तस्मिन्। श्रये। ताम्। पुरम्। प्र। एमि। सः। मा। रक्षतु। सः। मा। गोपायतु। तस्मै। आत्मानम्। परि। ददे। स्वाहा ॥१७.३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 17; मन्त्र » 3

    भाषार्थ -
    (रुद्रैः) रौद्र विद्युतों के साथ वर्तमान (सोमः) अभिषुत जल में प्रविष्ट सोमनामक परमेश्वर (दक्षिणायाः दिशः) दक्षिण दिशा से (मा) मेरी (पातु) रक्षा करे। तस्मिन्=पूर्ववत्।

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top