अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 23/ मन्त्र 24
सूक्त - अथर्वा
देवता - मन्त्रोक्ताः
छन्दः - दैवी पङ्क्तिः
सूक्तम् - अथर्वाण सूक्त
सू॒र्याभ्यां॒ स्वाहा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठसू॒र्याभ्या॑म्। स्वाहा॑ ॥२३.२४॥
स्वर रहित मन्त्र
सूर्याभ्यां स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठसूर्याभ्याम्। स्वाहा ॥२३.२४॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 23; मन्त्र » 24
भाषार्थ -
सूर्या के दो सूक्तों के लिये प्रशंसायुक्त वाणी हो।
टिप्पणी -
[“सूर्याभ्याम्” द्वारा काण्ड १४ के दो सूर्या-सूक्तों का निर्देश किया है। सूर्यासूक्त सूर्या अर्थात् आदित्य ब्रह्मचारिणी के विवाहपरक सूक्त हैं। विवाह-पद्धतियों में इन्हीं दो सूक्तों से कई मन्त्र लिए गये हैं।]