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अथर्ववेद > काण्ड 8 > सूक्त 10 > पर्यायः 5

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  • अथर्ववेद - काण्ड 8/ सूक्त 10/ मन्त्र 15
    सूक्त - अथर्वाचार्यः देवता - विराट् छन्दः - साम्न्यनुष्टुप् सूक्तम् - विराट् सूक्त

    तां धृ॒तरा॑ष्ट्र ऐराव॒तोधो॒क्तां वि॒षमे॒वाधो॑क्।

    स्वर सहित पद पाठ

    ताम् । धृ॒तऽरा॑ष्ट्र: । ऐ॒रा॒ऽव॒त: । अ॒धो॒क् । ताम् । वि॒षम् । ए॒व । अ॒धो॒क् ॥१४.१५॥


    स्वर रहित मन्त्र

    तां धृतराष्ट्र ऐरावतोधोक्तां विषमेवाधोक्।

    स्वर रहित पद पाठ

    ताम् । धृतऽराष्ट्र: । ऐराऽवत: । अधोक् । ताम् । विषम् । एव । अधोक् ॥१४.१५॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 8; सूक्त » 10; पर्यायः » 5; मन्त्र » 15

    भाषार्थ -
    (ताम्) उस विराट-व्यवस्था रूपी गौ को (ऐरावतः) द्रवविषरूपी जलवाले, तथा (धृतराष्ट्रः) सांपप्रकृतिकों के राष्ट्र को धारण करने वाले व्यक्ति ने (अधोक्) दोहा, (ताम्) उस से (विषम् एव) विष को ही (अधोक्) उसने दोहा, दोहरूप में प्राप्त किया।

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