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  • यजुर्वेद - अध्याय 24/ मन्त्र 9
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - अग्न्यादयो देवताः छन्दः - निचृत् पङ्क्तिः स्वरः - पञ्चमः
    13

    कृ॒ष्णग्री॑वाऽआग्ने॒या ब॒भ्रवः॑ सौ॒म्याः श्वे॒ता वा॑य॒व्याऽअवि॑ज्ञाता॒ऽअदि॑त्यै॒ सरू॑पा धा॒त्रे व॑त्सत॒र्यो दे॒वानां॒ पत्नी॑भ्यः॥९॥

    स्वर सहित पद पाठ

    कृ॒ष्णग्री॑वा॒ इति॑ कृ॒ष्णऽग्री॑वाः। आ॒ग्ने॒याः। ब॒भ्रवः॑। सौ॒म्याः। श्वे॒ताः। वा॒य॒व्याः᳕। अवि॑ज्ञाता॒ इत्यवि॑ऽज्ञाताः। अदि॑त्यै। सरू॑पा॒ऽइति॒ सऽरू॑पाः। धा॒त्रे। व॒त्स॒त॒र्य्यः᳖। दे॒वाना॑म्। पत्नी॑भ्यः ॥९ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    कृष्णग्रीवाऽआग्नेया बभ्रवः सौम्याः श्वेता वायव्या अविज्ञाता अदित्यै सरूपा धात्रे वत्सतर्या देवानाम्पत्नीभ्यः ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    कृष्णग्रीवा इति कृष्णऽग्रीवाः। आग्नेयाः। बभ्रवः। सौम्याः। श्वेताः। वायव्याः। अविज्ञाता इत्यविऽज्ञाताः। अदित्यै। सरूपाऽइति सऽरूपाः। धात्रे। वत्सतर्य्यः। देवानाम्। पत्नीभ्यः॥९॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 24; मन्त्र » 9
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    पदार्थ -
    हे मनुष्यो! तुमको जो (कृष्णग्रीवाः) काले गले के हैं, वे (आग्नेयाः) अग्निदेवता वाले, जो (बभ्रवः) न्योले के रंग वाले हैं, वे (सौम्याः) सोम देवता वाले जो (श्वेताः) सुपेद हैं, वे (वायव्याः) वायु देवता वाले, जो (अविज्ञाताः) विशेष चिह्न से कुछ न जाने गये, वे (अदित्यै) जो कभी नाश नहीं होती उस उत्पत्ति रूप क्रिया के लिये, जो (सरूपाः) ऐसे हैं कि जिनका एकसा रूप है, वे (धात्रे) धारण करने हारे पवन के लिये। और जो (वत्सतर्यः) छोटी-छोटी बछियां हैं, वे (देवानाम्) सूर्य आदि लोकों की (पत्नीभ्यः) पालना करने वाली क्रियाओं के लिये जानने चाहियें॥९॥

    भावार्थ - जो पशु जोतने और निगलने वाले हैं, वे अग्नि के समान वर्त्तमान। जो ओषधि के समान गुणों को धारण करने और ढांपने वाले हैं, वे पवन के समान वर्त्तमान। जो नहीं जानने योग्य वे उत्पत्ति के लिये, जो धारण करते हुए के तुल्य गुणयुक्त हैं, वे धारण करने के लिये तथा जो सूर्य की किरणों के समान वर्त्तमान पदार्थ हैं, वे व्यवहारों की सिद्धि करने में अच्छे प्रकार युक्त करने चाहियें॥९॥

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