Loading...
यजुर्वेद अध्याय - 24

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 24/ मन्त्र 9
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - अग्न्यादयो देवताः छन्दः - निचृत् पङ्क्तिः स्वरः - पञ्चमः
    59

    कृ॒ष्णग्री॑वाऽआग्ने॒या ब॒भ्रवः॑ सौ॒म्याः श्वे॒ता वा॑य॒व्याऽअवि॑ज्ञाता॒ऽअदि॑त्यै॒ सरू॑पा धा॒त्रे व॑त्सत॒र्यो दे॒वानां॒ पत्नी॑भ्यः॥९॥

    स्वर सहित पद पाठ

    कृ॒ष्णग्री॑वा॒ इति॑ कृ॒ष्णऽग्री॑वाः। आ॒ग्ने॒याः। ब॒भ्रवः॑। सौ॒म्याः। श्वे॒ताः। वा॒य॒व्याः᳕। अवि॑ज्ञाता॒ इत्यवि॑ऽज्ञाताः। अदि॑त्यै। सरू॑पा॒ऽइति॒ सऽरू॑पाः। धा॒त्रे। व॒त्स॒त॒र्य्यः᳖। दे॒वाना॑म्। पत्नी॑भ्यः ॥९ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    कृष्णग्रीवाऽआग्नेया बभ्रवः सौम्याः श्वेता वायव्या अविज्ञाता अदित्यै सरूपा धात्रे वत्सतर्या देवानाम्पत्नीभ्यः ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    कृष्णग्रीवा इति कृष्णऽग्रीवाः। आग्नेयाः। बभ्रवः। सौम्याः। श्वेताः। वायव्याः। अविज्ञाता इत्यविऽज्ञाताः। अदित्यै। सरूपाऽइति सऽरूपाः। धात्रे। वत्सतर्य्यः। देवानाम्। पत्नीभ्यः॥९॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 24; मन्त्र » 9
    Acknowledgment

    संस्कृत (1)

    विषयः

    पुनस्तमेव विषयमाह॥

    अन्वयः

    हे मनुष्याः! युष्माभिर्ये कृष्णग्रीवास्त आग्नेयाः, ये बभ्रवस्ते सौम्याः, ये श्वेतास्ते वायव्याः, येऽविज्ञातास्तेऽदित्यै, ये सरूपास्ते धात्रे, या वत्सतर्यस्ताश्च देवानां पत्नीभ्यो विज्ञेयाः॥९॥

    पदार्थः

    (कृष्णग्रीवाः) कृष्णकण्ठाः (आग्नेयाः) अग्निदेवताकाः (बभ्रवः) नकुलवर्णवद्वर्णयुक्ताः (सौम्याः) सोमदेवताकाः (श्वेताः) (वायव्याः) वायुदेवताकाः (अविज्ञाताः) न विशेषेण ज्ञाता विदिताः (अदित्यै) अखण्डितायै जनित्वक्रियायै। अदितिर्जनित्वमिति मन्त्रप्रामाण्यादत्रादितिशब्देन गृह्यते (सरूपाः) समानं रूपं यासां ताः (धात्रे) धारकाय वायवे (वत्सतर्य्यः) अतिशयेन वत्साः (देवानाम्) सूर्यादीनाम् (पत्नीभ्यः) पालिकाभ्यः क्रियाभ्यः॥९॥

    भावार्थः

    ये पशवः कर्षका निगलकास्त अग्निवद्वर्त्तमानाः। य ओषधीवद्धारकाः, य आवरकास्ते वायुवद्वर्त्तमानाः। येऽविज्ञातास्ते प्रजननाय, ये धातृगुणास्ते धारणाय, ये सूर्यकिरणवद्वर्त्तमानाः पदार्था सन्ति, ते व्यवहारसाधने प्रयोज्याः॥९॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    हिन्दी (2)

    विषय

    फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है॥

    पदार्थ

    हे मनुष्यो! तुमको जो (कृष्णग्रीवाः) काले गले के हैं, वे (आग्नेयाः) अग्निदेवता वाले, जो (बभ्रवः) न्योले के रंग वाले हैं, वे (सौम्याः) सोम देवता वाले जो (श्वेताः) सुपेद हैं, वे (वायव्याः) वायु देवता वाले, जो (अविज्ञाताः) विशेष चिह्न से कुछ न जाने गये, वे (अदित्यै) जो कभी नाश नहीं होती उस उत्पत्ति रूप क्रिया के लिये, जो (सरूपाः) ऐसे हैं कि जिनका एकसा रूप है, वे (धात्रे) धारण करने हारे पवन के लिये। और जो (वत्सतर्यः) छोटी-छोटी बछियां हैं, वे (देवानाम्) सूर्य आदि लोकों की (पत्नीभ्यः) पालना करने वाली क्रियाओं के लिये जानने चाहियें॥९॥

    भावार्थ

    जो पशु जोतने और निगलने वाले हैं, वे अग्नि के समान वर्त्तमान। जो ओषधि के समान गुणों को धारण करने और ढांपने वाले हैं, वे पवन के समान वर्त्तमान। जो नहीं जानने योग्य वे उत्पत्ति के लिये, जो धारण करते हुए के तुल्य गुणयुक्त हैं, वे धारण करने के लिये तथा जो सूर्य की किरणों के समान वर्त्तमान पदार्थ हैं, वे व्यवहारों की सिद्धि करने में अच्छे प्रकार युक्त करने चाहियें॥९॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    अन्यान्य प्रत्यंगों तथा अधीन रहने वाले नाना विभागों के भृत्यों और उनकी विशेष पोशाकों और चिह्नों का विवरण ।

    भावार्थ

    (कृष्णग्रीवा: आग्नेयाः) गर्दन पर काले चिह्न वाले 'अग्नि' विभाग के हैं । (बभ्रवः सौम्याः ) बभ्रु, नेवले के रंग के, या भूरे रंग के 'सोम' विभाग के हैं । (श्वेता वायव्याः) श्वेत वर्ण के वायु विभाग के हैं । (अविज्ञाताः ) इत्यादि म० ५ के समान ।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    अग्न्यादयः निचृत्पंक्तिः । पंचमः ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    मराठी (2)

    भावार्थ

    जे पशू काळ्या गळयाचे असतात ते अग्नीदेवतेप्रमाणे असतात व जे मुंगूसाच्या रंगाचे असतात ते सोमदेवतेप्रमाणे असतात. जे श्वेत असतात ते वायुदेवतेप्रमाणे असतात. जे विशेष चिन्हांनी जाणता येत नाहीत ते कधी नष्ट न होणाऱ्या उत्पत्तीरूपी क्रियेसारखे असतात. जे धारण करण्यायोग्य गुणांचे असतात ते वायूप्रमाणे व जे सूर्यकिरणांप्रमाणे पदार्थ असतात त्यांचा व्यवहारात चांगल्याप्रकारे उपयोग केला पाहिजे.

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    पुन्हा त्याच विषयी -

    शब्दार्थ

    शब्दार्थ - हे मनुष्यानो, जे (कृष्णग्रीवाः) गळा काळा असलेले पशू आहेत, ते (आग्नेयाः) अग्निदेवतामय आहेत, असे जाणावे. जे (बभ्रवः) मुंगसासारख्या रंगाचे आहेत, ते (सौम्याः) सोमदेवतामय असून जे (श्‍वेताः) पांढर्‍या रंगाचे आहेत, ते (वायव्याः) वायुदेवतामय आहेत, असे जाणावे. जे पशु (अविज्ञाताः) काही विशिष्ट चिन्ह असणारे आहेत, त्यांना (अदित्यै) कधी नाश न होणार्‍या उत्पति रूप प्रक्रियेचे आहेत, असे जाणावे. (??, उत्पत्ती ही क्रिया जगात होत असल्यामुळे ती परंपरेने अविनाशी आहे) (सरूपाः) जे पशू एकसारख्या रंग-रूपाचे आहेत, त्यांना (धात्रे) धारण करणार्‍या बा जीवन देणार्‍या वायूसाठी वा त्या गुणांचे आहेत, असे जाणावे. (वत्सतर्यः) जी लहान-लहान वासरें आहेत, ते (देवानाम्) सूर्य आदी लोकांचे रक्षण करणारी वा त्या सहायक आहेत, असे जाणावे ॥9॥

    भावार्थ

    भावार्थ - जे पशू नांगरणे आदी कामे करतात, ते अग्नीप्रमाणे आहेत, जे औषधीसम गुण धारण करतात वा जपून ठेवतात (ज्यांच्या अंगी रोगनिवारक गुण आहेत) ते वायूप्रमाणे किरणांप्रमाणे विद्यमान तेजोमय पदार्थ आहेत, त्यां पदार्थांचा आणि पशूंचा योग्य त्या कामाच्या पूर्ततेसाठी उपयोग करावा. ॥9॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    इंग्लिश (3)

    Meaning

    Black-necked animals possess the qualities of fire. Animals with brown colour like that of an ichneumon possess the qualities of Soma. White Animals belong to air. The undistinguished animals possess the qualities of Earth. Animals of the same colour, possess the qualities of air. Tender-aged calves belong to the protective forces of the Sun.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Meaning

    The black-necked animals are fiery, the brown ones are cool and gentle as soma, the white ones are airy. The unknown are for the earth, those of like form for the Protector, the young calves for the wives of the divines and for the sun-rays to foster.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    Black-necked ones belong to Agni; brown ones belong to Soma; white ones belong to Vayu; undistinguished ones belong to Aditi; those having a common form belong to Dhatr; and weaning she-calves belong to Devapatnis. (1)

    Notes

    Devānām patnībhyaḥ, देवगुणानां विदुषां भार्याभ्य:, to the wives of godly leamed persons (Dayā. ). It is not clear, who are these deities grossly grouped here together.

    इस भाष्य को एडिट करें

    बंगाली (1)

    विषय

    পুনস্তমেব বিষয়মাহ ॥
    পুনঃ সেই বিষয়কে পরবর্ত্তী মন্ত্রে বলা হইয়াছে ॥

    पदार्थ

    পদার্থঃ–হে মনুষ্যগণ! যাহারা (কৃষ্ণগ্রীবাঃ) কৃষ্ণ গ্রীবাযুক্ত তাহারা (আগ্নেয়াঃ) অগ্নি দেবতা বিশিষ্ট, যাহারা (বভ্রবঃ) নকুলবর্ণ যুক্ত তাহারা (সৌম্যাঃ) সোমদেবতা যুক্ত, যাহারা (শ্বেতাঃ) শ্বেত তাহারা (বায়ব্যাঃ) বায়ু দেবতাযুক্ত, যাহারা (অবিজ্ঞাতাঃ) বিশেষ চিহ্ন দ্বারা কিছু বিদিত নহে তাহারা (অদিত্যৈ) যাহারা কখনও নাশ প্রাপ্ত হয় না সেই উৎপত্তি রূপ ক্রিয়া হেতু যাহারা (সরূপা) এমন যে, যাহাদের একই রূপ তাহারা (ধাত্রে) ধারণকারী পবন হেতু এবং যাহারা (বৎসতর্য়ঃ) ছোট ছোট বৎস সেই সব (দেবানাম্) সূর্য্যাদি লোকের (পত্নীভ্যঃ) পালনকারী ক্রিয়াগুলির তোমার জানা উচিত ॥ ঌ ॥

    भावार्थ

    ভাবার্থঃ–যে সব পশু কৃষি কার্য্যে নিযুক্ত, নিগীরণকারী ও অগ্নিবৎ বর্ত্তমান, যে সব ওষধি সদৃশ গুণগুলি ধারণকারী ও আচ্ছাদনকারী, তাহারা পবন সমান বর্ত্তমান, যাহারা জানিবার যোগ্য নয়, তাহারা উৎপত্তির জন্য তথা যাহারা সূর্য্যের কিরণ সমান বর্ত্তমান পদার্থ তাহারা ব্যবহার সিদ্ধি করিতে উত্তম প্রকারে যুক্ত করা উচিত ॥ ঌ ॥

    मन्त्र (बांग्ला)

    কৃ॒ষ্ণগ্রী॑বাऽআগ্নে॒য়া ব॒ভ্রবঃ॑ সৌ॒ম্যাঃ শ্বে॒তা বা॑য়॒ব্যা᳕ऽঅবি॑জ্ঞাতা॒ऽঅদি॑ত্যৈ॒ সরূ॑পা ধা॒ত্রে ব॑ৎসত॒র্য়ো᳖ দে॒বানাং॒ পত্নী॑ভ্যঃ ॥ ঌ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    কৃষ্ণগ্রীবা ইত্যস্য প্রজাপতির্ঋষিঃ । অগ্ন্যাদয়ো দেবতাঃ । নিচৃৎ পংক্তিশ্ছন্দঃ ।
    পঞ্চমঃ স্বরঃ ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top