यजुर्वेद - अध्याय 24/ मन्त्र 3
ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः
देवता - अश्व्यादयो देवताः
छन्दः - निचृदतिजगती
स्वरः - निषादः
126
शु॒द्धवा॑लः स॒र्वशु॑द्धवालो मणि॒वाल॒स्तऽआ॑श्वि॒नाः श्येतः॑ श्येता॒क्षोऽरु॒णस्ते रु॒द्राय॑ पशु॒पत॑ये क॒र्णा या॒माऽअ॑वलि॒प्ता रौ॒द्रा नभो॑रूपाः पार्ज॒न्याः॥३॥
स्वर सहित पद पाठशु॒द्धवा॑ल॒ इति॑ शु॒द्धऽवा॑लः। स॒र्वशु॑द्धवाल॒ऽइति॑ स॒र्वऽशु॑द्धवालः। म॒णि॒वाल॒ इति॑ मणि॒ऽवालः॑। ते। आ॒श्वि॒नाः। श्येतः॑। श्ये॒ता॒क्ष इति॑ श्येतऽअ॒क्षः। अ॒रु॒णः। ते। रु॒द्राय॑। प॒शु॒पत॑य॒ इति॑ पशु॒ऽपत॑ये। क॒र्णाः। या॒माः। अ॒व॒लि॒प्ता इत्य॑वऽलि॒प्ताः। रौ॒द्राः। नभो॑रूपा॒ इति॒ नभः॑ऽरूपाः। पा॒र्ज॒न्याः ॥३ ॥
स्वर रहित मन्त्र
शुद्धवालः सर्वशुद्धवालो मणिवालस्त आश्विनाः श्येतः श्येताक्षो रुणस्ते रुद्राय पशुपतये कर्णा यामा अवलिप्ता रौद्रा नभोरूपाः पार्जन्याः ॥
स्वर रहित पद पाठ
शुद्धवाल इति शुद्धऽवालः। सर्वशुद्धवालऽइति सर्वऽशुद्धवालः। मणिवाल इति मणिऽवालः। ते। आश्विनाः। श्येतः। श्येताक्ष इति श्येतऽअक्षः। अरुणः। ते। रुद्राय। पशुपतय इति पशुऽपतये। कर्णाः। यामाः। अवलिप्ता इत्यवऽलिप्ताः। रौद्राः। नभोरूपा इति नभःऽरूपाः। पार्जन्याः॥३॥
भाष्य भाग
संस्कृत (1)
विषयः
पुनः कीदृशगुणाः पशव इत्याह॥
अन्वयः
हे मनुष्याः! युष्माभिर्ये शुद्धवालः सर्वशुद्धवालो मणिवालश्च सन्ति, त आश्विनाः। ये श्येतः श्येताक्षोऽरुणश्च सन्ति, ते पशुपतये रुद्राय। ये कर्णाः सन्ति, ते यामाः। येऽवलिप्ताः सन्ति, तेरौद्राः। ये नभोरूपाः सन्ति, ते पार्जन्याश्च वेदितव्याः॥३॥
पदार्थः
(शुद्धवालः) शुद्धा वाला यस्य सः (सर्वशुद्धवालः) सर्वे शुद्धा वाला यस्य सः (मणिवालः) मणिरिव वाला यस्य सः (ते) (आश्विनाः) सूर्य्यचन्द्रदेवताकाः (श्येतः) श्वेतवर्णः (श्येताक्षः) श्येते अक्षिणी यस्य सः (अरुणः) रक्तवर्णः (ते) (रुद्राय) दुष्टानां रोदकाय (पशुपतये) पशूनां पालकाय (कर्णाः) ये कार्याणि कुर्वन्ति ते (यामाः) वायुदेवताकाः (अवलिप्ताः) अवलिप्तान्युपचितान्यङ्गानि येषान्ते (रौद्राः) प्राणादिदेवताकाः (नभोरूपाः) नभ इव रूपं येषान्ते (पार्जन्याः) मेघदेवताकाः॥३॥
भावार्थः
यो यस्य पशोर्देवताऽस्ति स तद्गुणोऽस्तीति वेद्यम्॥३॥
हिन्दी (2)
विषय
फिर कैसे गुण वाले पशु हैं, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है॥
पदार्थ
हे मनुष्यो तुमको जो (शुद्धवालः) जिसके शुद्ध बाल वा शुद्ध छोटे-छोटे अङ्ग (सर्वशुद्धवालः) जिसके समस्त शुद्ध बाल और (मणिवालः) जिसके मणि के समान चिलकते हुए बाल हैं, ऐसे जो पशु (ते) वे सब (आश्विनाः) सूर्य-चन्द्र देवता वाले अर्थात् सूर्य-चन्द्रमा के समान दिव्य गुण वाले, जो (श्येतः) सुपेद रंगयुक्त (श्येताक्षः) जिसकी सुपेद आंखें और (अरुणः) जो लाल रंग वाला है, (ते) वे (पशुपतये) पशुओं की रक्षा करने और (रुद्राय) दुष्टों को रुलानेहारे के लिये। जो ऐसे हैं कि (कर्णाः) जिनसे काम करते हैं, वे (यामाः) वायु देवता वाले (अवलिप्ताः) जिन के उन्नतियुक्त अङ्ग अर्थात् स्थूल शरीर हैं, वे (रौद्राः) प्राणवायु आदि देवता वाले तथा (नभोरूपाः) जिनका आकाश के समान नीला रूप है, ऐसे जो पशु हैं, वे सब (पार्जन्याः) मेघ देवता वाले जानने चाहियें॥३॥
भावार्थ
जो जिस पशु का देवता है, वह उस का गुण है, यह जानना चाहिये॥३॥
विषय
अन्यान्य प्रत्यंगों तथा अधीन रहने वाले नाना विभागों के भृत्यों और उनकी विशेष पोशाकों और चिह्नों का विवरण ।
भावार्थ
(१) (शुद्धवालः) शुद्ध श्वेत बालों वाले, (सर्वशुद्धबालः) समस्त श्वेत वालों वाले, (मणिबालः) मणि के समान नीले बाल वाले ( ते आश्विनाः) वे अश्विन पद के अधिकारियों के अधीन हों । (२) श्येत: श्येताक्षः अरुणः ते रुद्राय पशुपतये' (श्येतः) श्वेत वर्ण का ( श्येताक्षः) आंख पर श्वेत वर्ण वाला और (अरुण:) लाल, ये (रुद्राय ) सब दुष्टों के रुलाने वाले (पशुपतये) पशुपालक जन के अधीन जानो । (३) (कर्णाः यामाः) कानों वाले अर्थात् बहुश्रुत लोग 'यम' नामक अधिकारी हों । (४) (अवलिप्ताः रौद्राः) शरीर पर चन्दन आदि के विशेष रंग का लेप 'करने वाले 'रुद्र' पद से सम्बद्ध जानो । ( नभोरूपाः पार्जन्याः) आकाश के समान वर्षा वाले हलके नीले रंग के 'पर्जन्य' अर्थात् मेघ के समान पुरुष जल-धाराओं से अग्नि बुझाने वाले विभाग के हों ।
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
अश्व्यादयो देवताः । निचृदतिसंकृतिः । निषादः ॥
मराठी (2)
भावार्थ
जी ज्या ज्या पशूंची देवता आहे तो त्या त्या पशूंना गुण जाणावा.
विषय
या मंत्रात कोणते पशू कोणकोणते गुण धारण करतात, या यिषयी -
शब्दार्थ
शब्दार्थ - हे मनुष्यांनो, हे जाणून घ्या अथवा ही माहिती लक्षात असू द्या की (शुद्धवालः) ज्या पशूच्या अंगावरील केस स्वच्छ आणि चकचकीत आहेत, अथवा ज्याचे शरीरावयव लहान-लहान आहेत. तसेच ज्या पशूचे (सव शुद्धवालः) समस्त केस अती स्वच्छ तसेच (मणिवालः) मणीप्रमाणे चमकदार आहेत, (ते) त्या सर्व पशूंचा (आश्विनाः) देवता सूर्य आणि चंद्र आहे, असे समजावे म्हणजे ते पशू सूर्य व चंद्राप्रमाणे दिव्यगुणधारक आहेत. तसेच ज्या पशूंची (श्वेतः) रंग पांढरा असून ज्याचे (श्वेताक्षः) पांढरे डोळे पांढर्या रंगाचे आहेत आणि (अरूणाः) शरीराचा रंग लाल आहे (ते) ते सर्व पशू (पशुषतये) पशूंची रक्षा करणार्या मालकासाठी लाभकारी आहेत आणि (रुद्राय ) त्या पशूंमुळे दुष्टांवर (चोर, लुटारू आदींवर) रडण्याची वेळ येते (ते आपल्या स्वामाशी फार प्रामाणिक असतात व प्रसंगी मालकाचे रक्षण करतात) जे पशू (कर्णाः) (शेतीची वा वाहनाविषयीची) कामें करतात, ते पशू (वामाः) वायूदेवतामय जाणावेत. ज्या पशूंचे अंग उन्नत (अवलिप्ताः) उन्नत आणि शरीर स्थूल आहे, त्यांना (रौद्राः) प्राणवायूमय देवतामय असून ज्या पशूंचा रंग (नभोरूपाः) आकाशवत् नीलवर्ण आहे, त्या सर्व पशूंचे देवता (पार्जन्याः) मेघ आहे, असे जाणावे. ॥
भावार्थ
भावार्थ - या मंत्रात ज्या पशूचा जो जो देवता सांगितलेला आहे, तो पशू त्या त्या देवतेचे गुण धारण करणारा आहे, असे जाणावे ॥3॥
इंग्लिश (3)
Meaning
The bright haired, the wholly bright haired, the jewel-haired beasts possess the qualities of the sun and moon. The white, the white eyed, the reddish beasts, possess the qualities of fire, the protector of cattle. Beasts of burden possess the qualities of air. Beasts with heavy limbs possess the qualities of vital breaths. Sky-coloured beasts belong to the cloud.
Meaning
The animals with bright hair, wholly bright hair, and jewel-bright hair belong to the Ashvins. The white, the white eyed, and the red ones are for Rudra, lord of the animals. Those which are specially serviceable belong to Yama. Those of strong limbs belong to the pranas. And those which are sky-grey belong to the clouds.
Translation
The one with bright hair, the one with all its hair bright, and the one with jewel-bright hair, these belong to Asvins: the white one, the white-cyed and the ruddy one, these belong to Rudra (the terrible punisher), the Lord of animals; those having long ears belong to Yama; arrogant ones belong to Rudras and the skyblue ones belong to Parjanya (Lord of Clouds). (1)
Notes
Syetaḥ, श्वेत:, white.
बंगाली (1)
विषय
পুনঃ কীদৃশগুণাঃ পশব ইত্যাহ ॥
পুনঃ কেমন গুণযুক্ত পশু আছে, এই বিষয়কে পরবর্ত্তী মন্ত্রে বলা হইয়াছে ॥
पदार्थ
পদার্থঃ–হে মনুষ্যগণ! (শুদ্ধবালঃ) যাহার শুদ্ধবাল অথবা শুদ্ধ ছোট-ছোট অঙ্গ (সর্বশুদ্ধবালঃ) যাহার সমস্ত শুদ্ধবাল এবং (মণিবালঃ) যাহার মণিবাল অর্থাৎ মণি সমান চমকায় এমন রোম যাহার আছে এমন পশু (তে) তাহারা সকলে (আশ্বিণাঃ) সূর্য্য চন্দ্র দেবতা যুক্ত অর্থাৎ সূর্য্য চন্দ্রের সমান দিব্য গণসম্পন্ন (শ্যেতঃ) সাদা বর্ণযুক্ত (শ্যেতাক্ষঃ) যাহার শ্বেত চক্ষু এবং (অরুণঃ) যাহা লাল রং যুক্ত (তে) তাহারা (পশুপতয়ে) পশুদিগের রক্ষাকারী এবং (রুদ্রায়) দুষ্টদিগকে রোদনকারীদের জন্য যাহারা এমন যে, (কর্ণাঃ) যদ্দ্বারা কর্ম্ম করে তাহারা (য়ামাঃ) বায়ু দেবতা যুক্ত (অবলিপ্তাঃ) যাহার উন্নতিযুক্ত অঙ্গ অর্থাৎ স্থূল শরীর আছে তাহারা (রৌদ্রাঃ) প্রাণবায়ু আদি দেবতাযুক্ত তথা (নভোরূপাঃ) যাহার আকাশসমান নীল রূপ এমন যে সব পশু তাহারা সব (পার্জন্যাঃ) মেঘ দেবতা যুক্ত তোমাকে জানা উচিত ॥ ৩ ॥
भावार्थ
ভাবার্থঃ–যে যে পশুর দেবতা সে তাহার গুণ ইহা জানা উচিত ॥ ৩ ॥
मन्त्र (बांग्ला)
শু॒দ্ধবা॑লঃ স॒র্বশু॑দ্ধবালো মণি॒বাল॒স্তऽআ॑শ্বি॒নাঃ শ্যেতঃ॑ শ্যেতা॒ক্ষো᳖ऽরু॒ণস্তে রু॒দ্রায়॑ পশু॒পত॑য়ে ক॒র্ণা য়া॒মাऽঅ॑বলি॒প্তা রৌ॒দ্রা নভো॑রূপাঃ পার্জ॒ন্যাঃ ॥ ৩ ॥
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
শুদ্ধবাল ইত্যস্য প্রজাপতির্ঋষিঃ । অশ্ব্যাদয়ো দেবতাঃ । নিচৃদতিজগতী ছন্দঃ ।
নিষাদঃ স্বরঃ ॥
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