यजुर्वेद - अध्याय 24/ मन्त्र 37
ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः
देवता - अर्द्धमासादयो देवताः
छन्दः - भुरिग्जगती
स्वरः - निषादः
86
अ॒न्य॒वा॒पोऽर्द्धमा॒साना॒मृश्यो॑ म॒यूरः॑ सुप॒र्णस्ते ग॑न्ध॒र्वाणा॑म॒पामु॒द्रो मा॒सान् क॒श्यपो॑ रो॒हित् कु॑ण्डृ॒णाची॑ गो॒लत्ति॑का॒ तेऽप्स॒रसां॑ मृ॒त्यवे॑ऽसि॒तः॥३७॥
स्वर सहित पद पाठअ॒न्य॒वा॒प इत्य॑न्यऽवा॒पः। अ॒र्द्ध॒मा॒साना॒मित्य॑र्द्धऽमा॒साना॑म्। ऋश्यः॑। म॒यूरः॑। सु॒प॒र्ण इति॑ सुऽप॒र्णः। ते। ग॒न्ध॒र्वाणा॑म्। अ॒पाम्। उ॒द्रः। मा॒सान्। क॒श्यपः॑। रो॒हित्। कु॒ण्डृ॒णाची॑। गो॒लत्ति॑का। ते। अ॒प्स॒रसा॑म्। मृ॒त्यवे॑। अ॒सि॒तः ॥३७ ॥
स्वर रहित मन्त्र
अन्यवापोर्धमासानामृश्यो मयूरः सुपर्णस्ते गन्धर्वाणामपामुद्रो मासाङ्कश्यपो रोहित्कुण्डृणाची गोलत्तिका ते प्सरसाम्मृत्यवे सितः ॥
स्वर रहित पद पाठ
अन्यवाप इत्यन्यऽवापः। अर्द्धमासानामित्यर्द्धऽमासानाम्। ऋश्यः। मयूरः। सुपर्ण इति सुऽपर्णः। ते। गन्धर्वाणाम्। अपाम्। उद्रः। मासान्। कश्यपः। रोहित्। कुण्डृणाची। गोलत्तिका। ते। अप्सरसाम्। मृत्यवे। असितः॥३७॥
भाष्य भाग
संस्कृत (1)
विषयः
पुनस्तमेव विषयमाह॥
अन्वयः
हे मनुष्याः! युष्माभिर्योऽन्यवापः सोऽर्द्धमासानां य ऋश्यो मयूरः सुपर्णश्च ते गन्धर्वाणामपां च य उद्रः स मासान् ये कश्यपो रोहित् कुण्डृणाची गोलत्तिका च तेऽप्सरसां योऽसितः स मृत्यवे च विज्ञेयाः॥३७॥
पदार्थः
(अन्यवापः) कोकिलाख्यः पक्षिविशेषः (अर्द्धमासानाम्) (ऋश्यः) मृगविशेषः (मयूरः) (सुपर्णः) पक्षिविशेषः (ते) (गन्धर्वाणाम्) गायकानाम् (अपाम्) जलानाम् (उद्रः) जलचरः कर्कटाख्यः (मासान्) मासानाम्। अत्र विभक्तिव्यत्ययः। (कश्यपः) कच्छपः (रोहित्) मृगविशेषः (कुण्डृणाची) वनचरी (गोलत्तिका) वनचरविशेषा (ते) (अप्सरसाम्) किरणादीनाम् (मृत्यवे) (असितः) कृष्णगुणः पशुविशेषः॥३७॥
भावार्थः
ये कालादिगुणाः पशुपक्षिणस्त उपकारिणः सन्तीति वेद्यम्॥३७॥
हिन्दी (2)
विषय
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है॥
पदार्थ
हे मनुष्यो! तुम को जो (अन्यवापः) कोकिला पक्षी है, वह (अर्द्धमासानाम्) पखवाड़ों के अर्थ जो (ऋश्यः) ऋश्य जाति का मृग (मयूरः) मयूर और (सुपर्णः) अच्छे पंखों वाला विशेष पक्षी है, (ते) वे (गन्धर्वाणाम्) गाने वालों के और (अपाम्) जलों के अर्थ जो (उद्रः) जलचर गिंगचा है, वह (मासान्) महीनों के अर्थ जो (कश्यपः) कछुआ (रोहित्) विशेष मृग (कुण्डृणाची) कुण्डृणाची नाम की वन में रहने वाली और (गोलत्तिका) गोलत्तिका नाम वाली विशेष पशुजाति है, (ते) वे (अप्सरसाम्) किरण आदि पदार्थों के अर्थ और जो (असितः) काले गुण वाला विशेष पशु है, वह (मृत्यवे) मृत्यु के लिये जानना चाहिये॥३७॥
भावार्थ
जो काल आदि गुण वाले पशु-पक्षी हैं, वे उपकार वाले हैं, यह जानना चाहिये॥३७॥
विषय
भिन्न-भिन्न गुणों और विशेष हुनरों के लिये भिन्न-भिन्न प्रकार के नाना पक्षियों और जानवरों के चरित्रों का अध्ययन और संग्रह ।
भावार्थ
( अन्यवाप: अर्धमासानाम् ) स्वक्षेत्र में दूसरों द्वारा बीज- वपन केवल ( अर्धमासानाम् ) आधे मास, ऋतुकाल- मात्र के लिये हो । उसके अतिरिक्त समय में नियुक्त पुरुष का क्षेत्र से कोई सम्बन्ध नहीं । प्रकार 'अन्यवाप' अर्थात् दूसरे के बीज से उत्पन्न कोयल का काक से पालनमात्र का सम्बन्ध है बाद में वह पुनः कोयल का ही बच्चा कहाता है इसी प्रकार असमर्थ पुरुष की स्त्री में अन्य वीर्य द्वारा उत्पादित नियोगज पुत्रों का भी वीर्यसेक्ता के साथ केवल ऋतुकाल के १५ दिनों के संगमात्र का सम्बन्ध है । उसके अतिरिक्त वे पुत्र स्त्री के पाणिगृहीता पति के ही कहाते हैं । (ऋष्यः मयूरः सुपर्णः ते गन्धर्वाणाम् ) ऋष्य नामक मृग जो गान पर मुग्ध हो जाता है 'मयूरः' मोर जो मधुर षड्ज स्वर का आलाप करता है 'सुपर्ण:' हंस ये गन्धर्व अर्थात् गान-विद्या के विशेष- विशेष पुरुषों के लिये स्वर - निर्णय में अनुकरणीय हैं । ऋष्य मृग का स्वर ऋषभ, मयूर का षड्ज और हंस का पञ्चम है । (अपाम् उद्रः) 'उद्र' अर्थात् उदक में रमण करनेहारे कर्कट नाम जीव का अनुकरण करके ( अपाम् ) जलों के विहार करने के साधन तैयार करें। (कश्यपः) सर्वप्रकाशक सूर्य ( मासान् ) १२ मासों का उत्पादक है । ( रोहित कुण्डणाची गोलत्तिका ते अप्सरसाम् ) रोहित, कुण्डणाची और गोलत्तिका ये तीन पशुजातियां स्त्री स्वभाव वाले दृष्टान्त हैं । १. 'रोहित' पुरुष का सङ्ग लाभ कर पुत्र सन्तानादि से फूलती फलती हैं, वह लता स्वभाव की हैं जो पुरुष का आश्रय करके रहती हैं। दूसरी (कुण्डुणाची) दाह या कामनावश पुरुष के पास आती हैं। तीसरी 'गोलत्तिका' अर्थात् गोरतिका, गौ के स्वभाव की, अन्न वस्त्र ही से संतोष करने वाली, अथवा गौ, इन्द्रियों को सुख देने वाली, रतिप्रदा । कदाचित् कामशास्त्र की दृष्टि से रोहित = मृगी । कुण्डुणाची = हस्तिनी और गोलत्तिका = चित्रिणी हों । (असितः) बन्धनरहित जीव (मृत्यवे) मृत्यु अर्थात् शरीर त्याग के वश होता है । अर्थात् मृत्यु का स्वरूप देहबन्धन से छूटना है । अथवा (असितः) कृष्ण, पापी बन्धनरहित, निर्मर्याद पुरुष (मृत्यवे) मृत्युदण्ड के योग्य है । कृष्ण सर्प का विष मृत्युकारक होता है ।
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
अधमासादयः । भुरिंग जगती । निषादः ॥
मराठी (2)
भावार्थ
जे काल वगैरेंच्या गुणांचे पशूपक्षी असतात ते उपकार करणारे असतात हे जाणावे.
विषय
पुन्हा, तोच विषय -
शब्दार्थ
शब्दार्थ - हे मनुष्यांनो, जो (अन्यवापः) कोकिळा पक्षी आहे, तो (अर्द्धमासानाम्) अर्द्धमास म्हणजे एका पक्षासाठी जाणावा. (ऋश्यः) ऋश्य जातीचा मृग, (मयूरः) मोर आणि (सुपर्णः) सुंदर पंख असलेला विशेष पक्षी आहे, (ते) ते सर्व (गन्धर्वाणाम्) गाणार्या (गायकलोकांकरिता) आणि (अपाम्) जलासाठी आहे, असे जाणा. जो (उद्रः) जलचर (कर्कट) खेकडा पाणी आहे तो (मासान्) महिन्यांसाठी आणि (कश्यपः) कासव व (रोहित) विशेष जातीचा हरण आहे, (कुण्डृणाची नावाची व (गोलत्तिका) गोलत्तिका नावाची विशेष पशुजात आहे, (ते) ते सर्व (अप्सरसाम्) किरण आदी पदार्थांसाठी जाणावीत. आणि (असितः) आश्वेत अथवा काळ्या रंगाचा (दुष्ट स्वभावाचा) विशेष पशू आहे, तो (मृत्यवे) मृत्यूसाठी आहे, असे जाणा. ॥37॥
भावार्थ
भावार्थ - काल आदी पदार्थांचे गुण अंगी असलेले जे पशु-पक्षी आहेत, ते मनुष्याच्या लाभाकरिता आहेत, असे जाणावे (आणि त्याप्रमाणे त्यांच्यापासून फायदे घ्यावेत) ॥37॥
इंग्लिश (3)
Meaning
The cuckoo belongs to the Half Months ; antelope, peacock, swan are meant for the musicians ; the other is an aquatic being ; the tortoise belongs to the Months ; doe-antelope kundrirachi, Golattikaa belong to the beam of the sun ; the black snake belongs to death.
Meaning
The cuckoo belongs to the fortnights; the rishya deer, the peacock and the swan belong to the gandharvas (musicians); the crab belongs to the waters; the tortoise belongs to the months; the red deer, the house lizard and the golattika belong to the water nymphs and the sunbeams; and the black deer is for death.
Translation
The cuckoo (anya-vapa) belongs to Ardhamasas (the half-months) the antelope, the peacock the eagle, these belong to Gandharvas (the singers); the other (apamudra) belongs to Masas; the tortoise (kasyapa) the doe antelope (rohit), these belong to Apsaras (the dancers), and the black snake belongs to Mrtyu (the death). (1)
Notes
Golattikā not identified.
बंगाली (1)
विषय
পুনস্তমেব বিষয়মাহ ॥
পুনঃ সেই বিষয়কে পরবর্ত্তী মন্ত্রে বলা হইয়াছে ॥
पदार्थ
পদার্থঃ– হে মনুষ্যগণ! যে (অন্যবাপঃ) কোকিলা পক্ষী উহা (অর্দ্ধমাসানাম্) পক্ষের অর্থ যে (ঋশ্যঃ) ঋশ্য জাতির মৃগ (ময়ূরঃ) ময়ূর এবং (সুপর্ণঃ) উত্তম পঙ্খযুক্ত বিশেষ পক্ষী (তে) উহারা (গন্ধর্বাণাম্) গায়ন কারীদেরকে এবং (অপাম্) জলের অর্থ যে (উদ্রঃ) জলচর কর্কট উহা (মাসান্) মাসের অর্থ যে (কশ্যপঃ) কচ্ছপ (রোহিত) বিশেষ মৃগ (কুন্ডণাচী) কুন্ডৃণাচী নামক বনে নিবাসকারিণী এবং (গোলত্তিকা) গোলত্তিকা নামযুক্তা বিশেষ পশু জাতি (তে) উহারা (অপ্সরসাম্) কিরণাদি পদার্থের অর্থ এবং যে (অসিতঃ) কৃষ্ণ গুণযুক্ত বিশেষ পশু উহা (মৃত্যবে) মৃত্যুর জন্য তোমাকে জানা উচিত ॥ ৩৭ ॥
भावार्थ
ভাবার্থঃ– যে সব কৃষ্ণাদি গুণযুক্ত পশুপক্ষী উহারা উপকার যুক্ত ইহা জানা উচিত ॥ ৩৭ ॥
मन्त्र (बांग्ला)
অ॒ন্য॒বা॒পো᳖ऽর্দ্ধমা॒সানা॒মৃশ্যো॑ ম॒য়ূরঃ॑ সুপ॒র্ণস্তে গ॑ন্ধ॒র্বাণা॑ম॒পামু॒দ্রো মা॒সান্ ক॒শ্যপো॑ রো॒হিৎ কু॑ণ্ডৃ॒ণাচী॑ গো॒লত্তি॑কা॒ তে᳖ऽপ্স॒রসাং॑ মৃ॒ত্যবে॑ऽসি॒তঃ ॥ ৩৭ ॥
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
অন্যবাপ ইত্যস্য প্রজাপতির্ঋষিঃ । অর্দ্ধমাসাদয়ো দেবতাঃ । ভুরিগ্জগতী ছন্দঃ । নিষাদঃ স্বরঃ ॥
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