यजुर्वेद - अध्याय 24/ मन्त्र 14
ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः
देवता - अग्न्यादयो देवताः
छन्दः - भुरिगतिजगती
स्वरः - निषादः
77
कृ॒ष्णग्री॑वाऽआग्ने॒या ब॒भ्रवः॑ सौ॒म्याऽउ॑पध्व॒स्ताः सा॑वि॒त्रा वत्सत॒र्यः सारस्व॒त्यः श्या॒माः पौ॒ष्णाः पृश्न॑यो मारु॒ता ब॑हुरू॒पा वै॑श्वदे॒वा व॒शा द्या॑वापृथि॒वीयाः॑॥१४॥
स्वर सहित पद पाठकृ॒ष्णग्री॑वा॒ इति॑ कृ॒ष्णऽग्री॑वाः। आ॒ग्ने॒याः। ब॒भ्रवः॑। सौ॒म्याः। उ॒प॒ध्व॒स्ताऽइत्यु॑पऽध्व॒स्ताः। सा॒वि॒त्राः। व॒त्स॒त॒र्यः᳖। सा॒र॒स्व॒त्यः᳖। श्या॒माः। पौ॒ष्णाः। पृश्न॑यः। मा॒रु॒ताः। ब॒हु॒रू॒पा इति॑ बहुऽरू॒पाः। वै॒श्व॒दे॒वा इति॑ वैश्वदे॒वाः। व॒शाः। द्या॒वा॒पृ॒थि॒वीयाः॑ ॥४ ॥
स्वर रहित मन्त्र
कृष्णग्रीवाऽआग्नेया बभ्रवः सौम्याऽउपध्वस्ताः सावित्रा वत्सतर्यः सारस्वत्यः श्यामाः पौष्णाः पृश्नयो मारुता बहुरूपा वैश्वदेवा वशा द्यावापृथिवीयाः ॥
स्वर रहित पद पाठ
कृष्णग्रीवा इति कृष्णऽग्रीवाः। आग्नेयाः। बभ्रवः। सौम्याः। उपध्वस्ताऽइत्युपऽध्वस्ताः। सावित्राः। वत्सतर्यः। सारस्वत्यः। श्यामाः। पौष्णाः। पृश्नयः। मारुताः। बहुरूपा इति बहुऽरूपाः। वैश्वदेवा इति वैश्वदेवाः। वशाः। द्यावापृथिवीयाः॥४॥
भाष्य भाग
संस्कृत (1)
विषयः
पुनस्तमेव विषयमाह॥
अन्वयः
हे मनुष्याः! युष्माभिर्ये कृष्णग्रीवास्त आग्नेयाः। ये बभ्रवस्ते सौम्याः। य उपध्वस्तास्ते सावित्राः। या वत्सतर्यस्ताः सारस्वत्यः। ये श्यामास्ते पौष्णाः। ये पृश्नयस्ते मारुताः। ये बहुरूपास्ते वैश्वदेवाः। ये वशास्ते च द्यावापृथिवीया विज्ञेयाः॥४॥
पदार्थः
कृष्णग्रीवाः) कृष्णकण्ठाः (आग्नेयाः) अग्निदेवताकाः (बभ्रवः) सर्वस्य धारकाः पोषका वा (सौम्याः) सोमदेवताकाः (उपध्वस्ताः) उपाधः पतिताः (सावित्राः) सवितृदेवताकाः (वत्सतर्य्यः) ह्रस्वा वत्सा यासां ताः (सारस्वत्यः) वाग्देवताकाः (श्यामाः) श्यामवर्णाः (पौष्णाः) पुष्टिकरमेघदेवताकाः (पृश्नयः) प्रष्टव्याः (मारुताः) मनुष्यदेवताकाः (बहुरूपाः) बहूनि रूपाणि येषान्ते (वैश्वदेवाः) विश्वेदेवदेवताकाः (वशाः) देदीप्यमानाः (द्यावापृथिवीयाः) द्यावापृथिवीदेवताकाः॥१४॥
भावार्थः
यथा शिल्पिनोऽग्न्यादिभ्यः पदार्थेभ्योऽनेकानि कार्याणि साध्नुवन्ति, तथा कृषीवलाः पशुभिर्बहूनि कार्याणि साध्नुयुः॥१४॥
हिन्दी (2)
विषय
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है॥
पदार्थ
हे मनुष्यो! तुम को जो (कृष्णग्रीवाः) काले गले वाले हैं, वे (आग्नेयाः) अग्नि देवता वाले। जो (बभ्रवः) सब का धारण पोषण करने वाले हैं, वे (सौम्याः) सोम देवता वाले। जो (उपध्वस्ताः) नीचे के समीप गिरे हुए हैं, वे (सावित्राः) सविता देवता वाले। जो (वत्सतर्य्यः) छोटी-छोटी बछिया हैं, वे (सारस्वत्यः) वाणी देवता वाली। जो (श्यामाः) काले वर्ण के हैं, वे (पौष्णाः) पुष्टि करने हारे मेघ देवता वाले। जो (पृश्नयः) पूछने योग्य हैं, वे (मारुताः) मनुष्य देवता वाले जो (बहुरूपाः) बहुरूपी अर्थात् जिन के अनेक रूप हैं, वे (वैश्वदेवाः) समस्त विद्वान् देवता वाले और जो (वशाः) निरन्तर चिलकते हुए हैं, वे (द्यावापृथिवीयाः) आकाश-पृथिवी देवता वाले जानने चाहियें॥१४॥
भावार्थ
जैसे शिल्पविद्या जानने वाले विद्वान् जन अग्नि आदि पदार्थों से अनेक कार्य सिद्ध करते हैं, वैसे खेती करने वाले पुरुष पशुओं से बहुत कार्य सिद्ध करें॥१४॥
विषय
अन्यान्य प्रत्यंगों तथा अधीन रहने वाले नाना विभागों के भृत्यों और उनकी विशेष पोशाकों और चिह्नों का विवरण ।
भावार्थ
( कृष्णग्रीवा : आग्नेयाः) गर्दन पर काले चिह्न वाले सेवकजन 'अग्नि' पद के सम्बन्ध के हैं । (बभ्रवः सौम्याः ) भूरे पोशाक वाले 'सोम' पद के सम्बन्ध के हैं । ( उपध्वस्ता सावित्राः ) अन्य वर्ण से मिले-मिले वर्ण के 'सवितृ ' पद के सम्बन्धी हैं । (वात्सतर्य: सारस्वत्यः) अत्यन्त छोटे वर्ष की बाल प्रजाएं (सरस्वती) अर्थात् शिक्षाविभाग वा गृहस्थ स्त्री द्वारा पोषण योग्य हैं । (श्यामाः पौष्णाः) श्याम, हरे धान, 'पूषा ' अर्थात् भागधुक् नामक अधिकारी के हैं, अथवा (श्यामाः पौष्णाः) नीले मेघ पृथ्वी के और अन्न के निमित्त हों । ( प्रश्नयः) रसों से पूर्ण गौएं ( मारुताः) वैश्यगण की हैं । (बहुरूपाः वैश्वदेवाः) नाना प्रकार की प्रजाएं सामान्य समस्त विद्वान् पुरुषों की हैं। (वशाः) वशकारिणी शक्तियां ( द्यावा- पृथिवीयाः) द्यौ पृथिवी के समान माता पिता और राजा प्रजा के बीच में प्रयुक्त हैं ।
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
अग्न्यादयः । भुरिगतिजगती । निषादः ॥
मराठी (2)
भावार्थ
जसे कर्मकुशल विद्वान लोक अग्नीपासून अनेक क्रिया सिद्ध करतात तसे शेतकरी पशूकडून पुष्कळ काम करून घेऊ शकतात.
विषय
पुन्हा त्याच विषयी -
शब्दार्थ
शब्दार्थ - हे मनुष्यांनो, हे जाणून घ्या की ज्या (कृष्णग्रीवा) पशूंच्या गळ्याचा रंग काळा आहे, ते (आग्नेयाः) अग्निदेवतामय आहेत. जे (बभ्रवः) सर्वांच्या धारण, जीवन, पोषणाचे कारण आहेत (गाय, बैल आदी) ते पशू (सौम्याः) सौम देवतामय असून जे (उपध्वस्ताः) वरून म्हणजे उभ्या अवस्थेपासून साली म्हणजे थकलेले असल्यामुळे खाली भूमीवर बसलेले आहे, त्या पशूंना (सावित्राः) सवितादेवतामय जाणा. जे (वत्सतर्यः) असे पशू आहेत की ज्यांची लहान वासरें आहेत, अशा माता गायीना (सारस्वत्यः) वाणीदेवतामय जाणा. जे (श्यामाः) काळ्यां रंगाचे आहेत, त्यांना (पौष्णाः) पुष्टिकारक मेघदेवतामय आणि जे (पृश्नयः) विचारण्यास पात्र (म्हणजे हे पशु कुठले? कोणत्या जाति प्रजातीचे? असे ज्यांच्या विषयी विचारावे लागते,) ते पशू (मारुताः) मनुष्य देवतामय जाणा. जे पशू (बहुरूपाः) अनेक रूप धारण करणारे (स्वभाव आणि अवस्ताभेदाने वेगवेगळे रूप घेतात) ते (वैश्वदेवाः) समस्त विद्वानदेवतामय आणि जे (वशाः) निरंतर सतत चमकणारे वा दीप्तिमान आहेत, त्या पशूंना (द्यावापृथिवीयाः) आकाश आणि पृथ्वी या देवताद्यांशी (त्यांच्या मुणविशिष्टाशी) संबंधित जाणा ॥14॥
भावार्थ
भावार्थ - ज्या प्रमाणे शिल्पविद्या जाणणारे (तंत्रज्ञ, अभियंता आदी) विद्वान अग्नी आदी पदार्थांद्वारा विविध कार्यें सिद्ध करून घेतात, तसे कृषकजनांनी पशूंपासून कृषि, वाहनादी विविध कामें पूर्ण करावीत ॥14॥
इंग्लिश (3)
Meaning
Black-necked animals belong to Agni. Brown animals are calm by nature. Mixed-coloured belong to Savita. Weaned she-kids belong to Saraswati. Dark-coloured belong to cloud which brings rain. Cows full of milk belong to the agriculturists. Many coloured animals belong to the learned. All glittering substances belong to the Heaven and Earth.
Meaning
Black-necked animals are fiery. The brown and generous ones are gentle. The weak ones close at hand are of Savita, children of the sun. The cows with young calves are of Sarasvati. The dark ones are darlings of the cloud. The dappled cows are favourites of the Maruts. The multi-coloured ones are for Vishvedevas, the noblest people. And the brilliant domestic animals are gifts of earth and heaven.
Translation
Black-necked ones belong to Agni; brown ones to Soma; those with mixed colours to Savitr; weaned shecalves to Sarasvati; dark-coloured ones to Pusan; speckled ones to Maruts; multi-coloured ones to Visve-devas; and sterile cows to Dyava-Prthivi (the heaven and earth). (1)
बंगाली (1)
विषय
পুনস্তমেব বিষয়মাহ ॥
পুনঃ সেই বিষয়কে পরবর্ত্তী মন্ত্রে বলা হইয়াছে ॥
पदार्थ
পদার্থঃ–হে মনুষ্যগণ! যাহারা (কৃষ্ণগ্রীবাঃ) কৃষ্ণগ্রীবা যুক্ত তাহারা (আগ্নেয়াঃ) অগ্নি দেবতাযুক্ত, যাহারা (বভ্রবঃ) সকলের ধারণ-পোষণ করে তাহারা (সৌম্যাঃ) সোমদেবতাযুক্ত, যাহারা (উপধ্বস্তাঃ) নিম্নপার্শ্বে পতিত তাহারা (সাবিত্রাঃ) সবিতা দেবতা যুক্ত, যাহারা (বৎসতর্য়ঃ) ছোট ছোট বৎস তাহারা (সারস্বত্যঃ) বাণী, দেবতা সম্পন্না, যাহারা (শ্যামাঃ) শ্যাম বর্ণের তাহারা (পৌষ্ণাঃ) পুষ্টিকারী মেঘদেবতা বিশিষ্ট, যাহারা (পৃশ্নয়ঃ) জিজ্ঞাসা করিবার যোগ্য তাহারা (মারুতাঃ) মনুষ্য দেবতাসম্পন্ন (বহুরূপাঃ) বহুরূপী অর্থাৎ যাহার অনেক রূপ, তাহারা (বৈশ্বদেবাঃ) সমস্ত বিদ্বান্ দেবতাযুক্ত এবং যাহারা (বশাঃ) নিরন্তর দেদীপ্যমান তাহারা (দ্যাবাপৃথিবীয়াঃ) আকাশ পৃথিবী দেবতাযুক্ত তোমার জানা উচিত ॥ ১৪ ॥
भावार्थ
ভাবার্থঃ–যেমন শিল্পবিদ্যা জ্ঞাতা বিদ্বান্ অগ্নি আদি পদার্থ দ্বারা বহু কার্য্য সিদ্ধ করে সেইরূপ কৃষিকর্ম্ম সম্পন্নকারী পুরুষ পশুদের দ্বারা বহু কার্য্য সিদ্ধ করিবে ॥ ১৪ ॥
मन्त्र (बांग्ला)
কৃ॒ষ্ণগ্রী॑বাऽআগ্নে॒য়া ব॒ভ্রবঃ॑ সৌ॒ম্যাऽউ॑পধ্ব॒স্তাঃ সা॑বি॒ত্রা বৎসত॒র্য়ঃ᳖ সারস্ব॒ত্যঃ᳖ শ্যা॒মাঃ পৌ॒ষ্ণাঃ পৃশ্ন॑য়ো মারু॒তা ব॑হুরূ॒পা বৈ॑শ্বদে॒বা ব॒শা দ্যা॑বাপৃথি॒বীয়াঃ॑ ॥ ১৪ ॥
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
কৃষ্ণগ্রীবা ইত্যস্য প্রজাপতির্ঋষিঃ । অগ্ন্যাদয়ো দেবতাঃ । ভুরিগতিজগতী ছন্দঃ । নিষাদঃ স্বরঃ ॥
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
N/A
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
N/A
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
N/A
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
N/A
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal