ऋग्वेद - मण्डल 6/ सूक्त 59/ मन्त्र 5
ऋषि: - भरद्वाजो बार्हस्पत्यः
देवता - इन्द्राग्नी
छन्दः - निचृद्बृहती
स्वरः - मध्यमः
इन्द्रा॑ग्नी॒ को अ॒स्य वां॒ देवौ॒ मर्त॑श्चिकेतति। विषू॑चो॒ अश्वा॑न्युयुजा॒न ई॑यत॒ एकः॑ समा॒न आ रथे॑ ॥५॥
स्वर सहित पद पाठइन्द्रा॑ग्नी॒ इति॑ । कः । अ॒स्य । वा॒म् । देवौ॑ । मर्तः॑ । चि॒के॒त॒ति॒ । विषू॑चः । अश्वा॑न् । यु॒यु॒जा॒नः । ई॒य॒ते॒ । एकः॑ । स॒मा॒ने । आ । रथे॑ ॥
स्वर रहित मन्त्र
इन्द्राग्नी को अस्य वां देवौ मर्तश्चिकेतति। विषूचो अश्वान्युयुजान ईयत एकः समान आ रथे ॥५॥
स्वर रहित पद पाठइन्द्राग्नी इति। कः। अस्य। वाम्। देवौ। मर्तः। चिकेतति। विषूचः। अश्वान्। युयुजानः। ईयते। एकः। समाने। आ। रथे ॥५॥
ऋग्वेद - मण्डल » 6; सूक्त » 59; मन्त्र » 5
अष्टक » 4; अध्याय » 8; वर्ग » 25; मन्त्र » 5
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अष्टक » 4; अध्याय » 8; वर्ग » 25; मन्त्र » 5
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भाष्य भाग
संस्कृत (1)
विषयः
के मनुष्याः पदार्थविद्यां वेत्तुमर्हन्तीत्याह ॥
अन्वयः
हे अध्यापकोपदेशकौ ! कोऽस्य जगतो मध्ये वर्त्तमानो मर्त्तो विषूचोऽश्वान् समाने रथे युयुजान एको देवाविन्द्राग्नी चिकेतति स वामेयते ॥५॥
पदार्थः
(इन्द्राग्नी) वायुविद्युतौ (कः) (अस्य) (वाम्) युवाम् (देवौ) दिव्यगुणकर्मस्वभावौ (मर्त्तः) (चिकेतति) (विषूचः) व्याप्तान् (अश्वान्) आशुगामिनो विद्युदादीन् (युयुजानः) युक्तान् कुर्वन् (ईयते) गच्छति (एकः) असहायः (समाने) (आ) (रथे) विमानादौ याने ॥५॥
भावार्थः
हे विद्वांसः ! कोऽत्र पदार्थविद्याविद्विमानादियाननिर्माता सद्यो गन्ता स्यादित्यस्योत्तरं परस्ताद्दत्तमिति शृणुत ॥५॥
हिन्दी (1)
विषय
कौन मनुष्य पदार्थविद्या को जानने योग्य हैं, इस विषय को कहते हैं ॥
पदार्थ
हे अध्यापक और उपदेशको ! (कः) कौन (अस्य) इस जगत् के बीच वर्त्तमान (मर्त्तः) मनुष्य (विषूचः) व्याप्त (अश्वान्) शीघ्रगामी बिजुली आदि पदार्थों को (समाने) समान (रथे) विमान आदि यान में (युयुजानः) युक्त करता हुआ (एकः) एक विद्वान् (देवौ) दिव्यगुणकर्मस्वभावयुक्त (इन्द्राग्नी) वायु और बिजुली को (चिकेतति) जानता है, वह (वाम्) तुम दोनों को (आ, ईयते) प्राप्त होता है ॥५॥
भावार्थ
हे विद्वानो ! कौन यहाँ पदार्थविद्या का जाननेवाला, विमान आदि यानों का निर्माण करनेवाला शीघ्रगामी हो, इसका उत्तर पीछे दिया यह तुम सुनो ॥५॥
मराठी (1)
भावार्थ
हे विद्वानांनो ! येथे पदार्थविद्या जाणणारा कोण आहे? विमान इत्यादी याने तयार करणारा कोण वीर आहे? याचे उत्तर पुढे आहे ते ऐका. ॥ ५ ॥
English (1)
Meaning
Indra and Agni, energy and power of heat and electricity, who is the mortal man in this world that knows both of you divines and who, using the all pervasive fire and electricity like horses moving in all directions, solely travels in a uniformly structured systemic chariot all by himself?
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