ऋग्वेद - मण्डल 8/ सूक्त 16/ मन्त्र 7
ऋषिः - इरिम्बिठिः काण्वः
देवता - इन्द्र:
छन्दः - निचृद्गायत्री
स्वरः - षड्जः
इन्द्रो॑ ब्र॒ह्मेन्द्र॒ ऋषि॒रिन्द्र॑: पु॒रू पु॑रुहू॒तः । म॒हान्म॒हीभि॒: शची॑भिः ॥
स्वर सहित पद पाठइन्द्रः॑ । ब्र॒ह्मा । इन्द्रः॑ । ऋषिः॑ । इन्द्रः॑ । पु॒रु । पु॒रु॒ऽहू॒तः । म॒हान् । म॒हीभिः॑ । शची॑भिः ॥
स्वर रहित मन्त्र
इन्द्रो ब्रह्मेन्द्र ऋषिरिन्द्र: पुरू पुरुहूतः । महान्महीभि: शचीभिः ॥
स्वर रहित पद पाठइन्द्रः । ब्रह्मा । इन्द्रः । ऋषिः । इन्द्रः । पुरु । पुरुऽहूतः । महान् । महीभिः । शचीभिः ॥ ८.१६.७
ऋग्वेद - मण्डल » 8; सूक्त » 16; मन्त्र » 7
अष्टक » 6; अध्याय » 1; वर्ग » 21; मन्त्र » 1
Acknowledgment
अष्टक » 6; अध्याय » 1; वर्ग » 21; मन्त्र » 1
Acknowledgment
भाष्य भाग
संस्कृत (2)
पदार्थः
(इन्द्रः, ब्रह्मा) इन्द्र एव ब्रह्मा वेदानां प्रकाशयिताऽस्ति (इन्द्रः, ऋषिः) स एव सूक्ष्मद्रष्टा (इन्द्रः, पुरु, पुरुहूतः) स एव बहुधा बहुभिराहूतः (महीभिः, शचीभिः) महतीभिः शक्तिभिः (महान्) सर्वेभ्योऽधिकः ॥७॥
विषयः
ईशमहत्त्वं दर्शयति ।
पदार्थः
अयमिन्द्रो ब्रह्मा=सर्वेभ्योऽधिको बृहदस्ति । एष इन्द्रः । ऋषिः=सर्वद्रष्टाऽस्ति । स इन्द्रः । पुरु=बहुलम् । पुरुहूतः=पुरुभिर्बहुभिराहूतः । स एव । महीभिः=महतीभिः शचीभिः सृष्ट्यादिक्रियाभिः । महान् =श्रेष्ठोऽस्ति ॥७ ॥
हिन्दी (4)
पदार्थ
(इन्द्रः, ब्रह्मा) वह परमात्मा ही ब्रह्मा=वेदों का प्रकाशक (इन्द्रः, ऋषिः) वही सूक्ष्मपदार्थद्रष्टा (इन्द्रः, पुरु, पुरुहूतः) वह परमात्मा अनेक वार अनेकों से आहूत और (महीभिः) अपनी बड़ी (शचीभिः) शक्ति के होने से (महान्) महान् कहा जाता है ॥७॥
भावार्थ
वही सर्वशक्तिमान् परमात्मा अग्नि, वायु, आदित्य तथा अङ्गिरा द्वारा ऋगादि चारों वेदों का प्रकाशक, वही ऋषि=सूक्ष्मद्रष्टा=वेदों के सूक्ष्म=गूढ़ तत्त्वों का प्रकाशक, वही सबका पूजनीय इष्टदेव और वही सर्वोपरि होने से महान् है, उसी की उपासना करना मनुष्यमात्र का कर्तव्य है ॥७॥
विषय
ईश्वर का महत्त्व दिखलाते हैं ।
पदार्थ
यह (इन्द्रः) परमात्मा (ब्रह्मा) सर्व पदार्थों से बड़ा है (इन्द्रः) परमात्मा ही (ऋषिः) सर्वद्रष्टा महाकवि है (इन्द्रः) वही इन्द्र (पुरु) बहुत प्रकार से (पुरुहूतः) बहुतों से आहूत होता है । वही (महीभिः) महान् (शचीभिः) सृष्टि आदि कर्म द्वारा (महान्) परम महान् है ॥७ ॥
भावार्थ
वह सबसे महान् है, क्योंकि इस अनन्त सृष्टि का जो कर्त्ता है, वह अवश्य इन सबसे सब प्रकार से महान् होना चाहिये । सृष्टिरचना इसकी महती क्रिया है, हे मनुष्यों ! इसकी इस लीला को देखो ॥७ ॥
विषय
स्तुति योग्य प्रभु के गुणों का वर्णन ।
भावार्थ
इन्द्र का लक्षण और नाना भेद। ( इन्द्रः ब्रह्मा ) ज्ञान का साक्षात् दर्शन करने से चारों वेदों का ज्ञाता महान् ज्ञानी पुरुष ‘इन्द्र’ है। ( ऋषिः इन्द्रः ) यथार्थ ज्ञान का तत्वदर्शी इन्द्र है। वह अपनी वाणी औरों को प्रदान करता है। वह ( पुरुहूतः ) बहुतों से आदर प्राप्त होता है। वह ( महीभिः शचीभिः ) बड़ी २ शक्तियों और पूज्य २ वाणियों करके ( महान् ) महान् है और ( पुरु ) बहुत प्रकार से विराजता है। उसी प्रकार परमेश्वर भी महान् होने से ‘ब्रह्म’ है, सर्वद्रष्टा होने से ‘ऋषि’ है, वह बड़ी २ शक्तियों से ‘महान्’ है।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
इरिम्बठिः काण्व ऋषिः॥ इन्द्रो देवता॥ छन्दः—१, ९—१२ गायत्री। २—७ निचृद् गायत्री। ८ विराड् गायत्री॥ द्वादशर्चं सूक्तम्॥
विषय
'ब्रह्मा ऋषि-पुरुहूत'
पदार्थ
[१] (इन्द्रः) = वे परमैश्वर्यशाली प्रभु (ब्रह्मा) = [great ] महान् हैं। (इन्द्रः) = वे प्रभु ही (ऋषिः) = तत्त्वद्रष्टा हैं। (इन्द्रः) = वे प्रभु ही (पुरु) = खूब ही (पुरुहूतः) = बहुतों से पुकारे जाते हैं। अन्त में सब प्रभु को ही पुकारते हैं। [२] वे प्रभु (महीभिः शचीभिः) = महान् शक्तियों व प्रज्ञानों से महान् पूजनीय हैं।
भावार्थ
भावार्थ- वे परमैश्वर्यशाली प्रभु ही 'ब्रह्मा, ऋषि व पुरुहूत' हैं। वे महान् शक्तियों व प्रज्ञानों से सचमुच महान् हैं, पूजनीय हैं।
इंग्लिश (1)
Meaning
Indra is Brahma, great and omniscient, the all watching seer, invoked, adored and worshipped by all, universally in many ways. He is really great, magnanimous by virtue of his great actions.
मराठी (1)
भावार्थ
तो सर्वात महान आहे, कारण या अनंत सृष्टीचा जो कर्ता आहे तो अवश्य या सर्वांपेक्षा सर्व प्रकारे महान असला पाहिजे. सृष्टिरचना त्याची महान क्रिया आहे. हे माणसांनो! त्याची लीला पाहा. ॥७॥
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
N/A
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
N/A
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
N/A
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
Shri Virendra Agarwal
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal