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अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 137 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 137/ मन्त्र 13
    ऋषिः - सुकक्षः देवता - इन्द्रः छन्दः - गायत्री सूक्तम् - सूक्त १३७
    36

    इन्द्रः॒ स दाम॑ने कृ॒त ओजि॑ष्ठः॒ स मदे॑ हि॒तः। द्यु॒म्नी श्लो॒की स सो॒म्यः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    इन्द्र॑: । स । दाम॑ने । कृ॒त: । ओजि॑ष्ठ: । स: । मदे॑ । हि॒त: ॥ द्यु॒म्नी । श्लो॒की । स: । सो॒म्य: ॥१३७.१३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    इन्द्रः स दामने कृत ओजिष्ठः स मदे हितः। द्युम्नी श्लोकी स सोम्यः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    इन्द्र: । स । दामने । कृत: । ओजिष्ठ: । स: । मदे । हित: ॥ द्युम्नी । श्लोकी । स: । सोम्य: ॥१३७.१३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 137; मन्त्र » 13
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    राजा और प्रजा के कर्तव्य का उपदेश।

    पदार्थ

    (सः) वह (इन्द्रः) इन्द्र [बड़े ऐश्वर्यवाला राजा] (दामने) दान करने के लिये और (सः) वह (मदे) आनन्द देने के लिये (ओजिष्ठः) महाबली और (हितः) हितकारी (कृतः) बनाया गया है, (सः) वह (द्युम्नी) अन्नवाला और (श्लोकी) कीर्तिवाला पुरुष (सोम्यः) ऐश्वर्य के योग्य है ॥१३॥

    भावार्थ

    प्रजागण प्रतापी, गुणी पुरुष को इसलिये राजा बनावें कि वह प्रजा के उपकार के लिये दान करके प्रयत्न करे और अन्न आदि पदार्थ बढ़ाकर कीर्ति पावे ॥१३॥

    टिप्पणी

    १२-१४−एते मन्त्रा व्याख्याताः-अथ० २०।४७।१-३ ॥

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    विषय

    "सुकक्ष' द्वारा प्रभु अर्चन

    पदार्थ

    व्याख्या अथर्व० २०.४७.१-३ पर द्रष्टव्य है। प्रभु-स्तवन करता हुआ यह प्रभु का प्रिय बनता है। यह 'वत्स' कहलाता है। यह 'वत्स' ही अगले सूक्त का ऋषि है -

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    भाषार्थ

    (सः) वह (इन्द्रः) परमेश्वर, हमने मानो (दामने) उपासना और भक्ति की रस्सी में (कृतः) बांध लिया है, (ओजिष्ठाः) अत्यन्त ओजस्वी (सः) वह परमेश्वर (मदे) आनन्द तथा प्रसन्नता के प्रदान में (हितः) हमारा हित करता है। (सः) वह परमेश्वर (द्युम्नी) सम्पत्-शाली है, (श्लोकी) वेदवाणी का स्वामी है, (सोम्यः) सौम्य स्वभाववाला तथा भक्तिरस का पात्र है।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Prajapati

    Meaning

    Indra, mind and intelligence, was created for enlightenment and for giving enlightenment. Most lustrous and powerful, it is engaged in the creation of joy. It is rich in the wealth of knowledge, praise-worthy, and cool, gentle and at peace in the state of enlightenment.

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    Translation

    The mighty king has been made for giving bountee. He has been put powerful in his rapture, He is praiseworthy and is of genial temprament.

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    Translation

    The mighty king has been made for giving bountee. He has been put powerful in his rapture, He is praiseworthy and is of genial temperament.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    १२-१४−एते मन्त्रा व्याख्याताः-अथ० २०।४७।१-३ ॥

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