Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 23/ मन्त्र 29
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - विद्वांसो देवता छन्दः - अनुष्टुप् स्वरः - गान्धारः
    7

    यद्दे॒वासो॑ ल॒लाम॑गुं॒ प्र वि॑ष्टी॒मिन॒मावि॑षुः। स॒क्थ्ना दे॑दिश्यते॒ नारी॑ स॒त्यस्या॑क्षि॒भुवो॑ यथा॥२९॥

    स्वर सहित पद पाठ

    यत्। दे॒वासः॑। ल॒लाम॑गु॒मिति॑ ल॒लाम॑ऽगुम्। प्र। वि॒ष्टी॒मिन॑म्। आवि॑षुः। स॒क्थ्ना। दे॒दि॒श्य॒ते॒। नारी॑। स॒त्यस्य॑। अ॒क्षि॒भुव॒ इत्य॑क्षि॒ऽभुवः॑। य॒था॒ ॥२९ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    यद्देवासो ललामगुम्प्र विष्टीमिनमाविषुः । सक्थ्ना देदिश्यते नारी सत्यस्याक्षिभुवो यथा ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    यत्। देवासः। ललामगुमिति ललामऽगुम्। प्र। विष्टीमिनम्। आविषुः। सक्थ्ना। देदिश्यते। नारी। सत्यस्य। अक्षिभुव इत्यक्षिऽभुवः। यथा॥२९॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 23; मन्त्र » 29
    Acknowledgment

    Meaning -
    Just as noble people approach an eminent and reasonable judge for justice, just as a woman is distinguished by her body, so the men of reason find out the truth by direct observation of evidence.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top