Loading...
अथर्ववेद > काण्ड 19 > सूक्त 28

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 28/ मन्त्र 7
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - दर्भमणिः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - दर्भमणि सूक्त

    वृ॒श्च द॑र्भ स॒पत्ना॑न्मे वृ॒श्च मे॑ पृतनाय॒तः। वृ॒श्च मे॒ सर्वा॑न्दु॒र्हार्दो॑ वृ॒श्च मे॑ द्विष॒तो म॑णे ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    वृ॒श्च। द॒र्भ॒। स॒ऽपत्ना॑न्। मे॒। वृ॒श्च। मे॒। पृ॒त॒ना॒ऽय॒तः। वृ॒श्च। मे॒। सर्वा॑न्। दु॒ऽहार्दः॑। वृ॒श्च। मे॒। द्वि॒ष॒तः। म॒णे॒ ॥२८.७॥


    स्वर रहित मन्त्र

    वृश्च दर्भ सपत्नान्मे वृश्च मे पृतनायतः। वृश्च मे सर्वान्दुर्हार्दो वृश्च मे द्विषतो मणे ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    वृश्च। दर्भ। सऽपत्नान्। मे। वृश्च। मे। पृतनाऽयतः। वृश्च। मे। सर्वान्। दुऽहार्दः। वृश्च। मे। द्विषतः। मणे ॥२८.७॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 28; मन्त्र » 7

    भावार्थ -
    हे (दर्भ) शत्रुनाशक सेनापते ! (मे सपत्नान्) मेरे शत्रुओं को और (मे पृतनायतः) मेरे ऊपर सेना से चढ़ाई करने वालों को (वृश्च) फरसा जिस प्रकार लकड़ी को काटता है उस प्रकार काट डाल (कृन्त) कैंची जिस प्रकार कपड़े को काट डालती है उस प्रकार काट डाल। (पिंश) चक्की जिस प्रकार दानों को पीस डालती है उस प्रकार पीस डाल। (विध्य) बाण जिस प्रकार लक्ष्य को वेधता है उस प्रकार वेंध डाल। इसी प्रकार (सर्वान् द्विषतः दुर्हार्द्रः) समस्त द्वेष करने वाले, दुष्ट हृदयों से युक्त, कुटिल पुरुषों को भी (वृश्च, कृन्त, पिंश, विध्य) फरसे क समान काट, कैची के समान कतर, चक्की के समान पीस, बाण के समान वेध अथवा फरसों से काट, कैंचियों से कतर, चक्कियों से पिसवा, बाणों से वेध।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - सपत्नक्षय कामो ब्रह्माऋषिः। मन्त्रोक्तो दर्भमणिर्देवता। अनुष्टुभः। दशर्चं सूक्तम्।

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top