अथर्ववेद - काण्ड 16/ सूक्त 8/ मन्त्र 2
सूक्त - दुःस्वप्ननासन
देवता - त्रिपदा निचृत गायत्री
छन्दः - यम
सूक्तम् - दुःख मोचन सूक्त
तस्मा॑द॒मुंनिर्भ॑जामो॒ऽमुमा॑मुष्याय॒णम॒मुष्याः॑ पु॒त्रम॒सौ यः ॥
स्वर सहित पद पाठतस्मा॑त् । अ॒मुम् । नि: । भ॒जा॒म॒: । अ॒मुम् । आ॒मु॒ष्या॒य॒णम् । अ॒मुष्या॑: । पु॒त्रम् । अ॒सौ । य: ॥८.२॥
स्वर रहित मन्त्र
तस्मादमुंनिर्भजामोऽमुमामुष्यायणममुष्याः पुत्रमसौ यः ॥
स्वर रहित पद पाठतस्मात् । अमुम् । नि: । भजाम: । अमुम् । आमुष्यायणम् । अमुष्या: । पुत्रम् । असौ । य: ॥८.२॥
अथर्ववेद - काण्ड » 16; सूक्त » 8; मन्त्र » 2
भाषार्थ -
(तस्मात्) उस विजित राष्ट्र१ से या उस की उस सम्पत्ति से, (अमुम्, अमुम्) उस उस व्यक्ति को अर्थात् (आमुष्यायणम्) उस-उस कुल या गोत्र के (अमुष्याः) तथा उस-उस माता के (पुत्रम्) पुत्र को (निर्भजामः) हम भाग रहित कर देते हैं, (असौ यः) वह जो हैः-
टिप्पणी -
[१. Expatriation, देश निकाला। उसे उस के निज देश से निकाल देना, पृथक् कर देना।]